Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2024: खोई मंजिल की तलाश में रास्ता भटक गया हाथी, हिसार में पिछले 25 साल से कैसे रहे BSP के हालात

Lok Sabha Election 2024 बहुजन समाज पार्टी हरियाणा में मजबूत बुनियाद होने के बावजूद चुनावी मंजिल पाने का रास्ता भूल गई है। ऐसा करीब ढाई दशक से हो रहा है। लोकसभा की अदद सीट तो दूर वोटों की साझेदारी भी कम से कमतर होती जा रही है। बसपा को धरातल पर उतारने के लिए पार्टी के रणनीतिकार दो अप्रैल से लोकसभावार मीटिंग आयोजित करने जा रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Published: Thu, 28 Mar 2024 03:21 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2024 03:21 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: खोई मंजिल की तलाश में रास्ता भटक गया हाथी, हिसार में पिछले 25 साल से कैसे रहे BSP के हालात
Lok Sabha Election 2024: खोई मंजिल की तलाश में रास्ता भटक गया हाथी

हिसार, मणिकांत मयंक l सियासी तौर पर सबसे उर्वरा उत्तर प्रदेश की जमीन से उपजी बहुजन समाज पार्टी (BSP) हरियाणा में दिशाहीन हो गई है। यहां यह कहना मुनासिब होगा कि बसपा का हाथी प्रदेश में मजबूत बुनियाद होने के बावजूद चुनावी मंजिल पाने का रास्ता भूल गया है। ऐसा करीब ढाई दशक से हो रहा है। लोकसभा की अदद सीट तो दूर वोटों की साझेदारी भी कम से कमतर होती जा रही है।

loksabha election banner

हरियाणा की दस सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी

अब जबकि इंडियन नेशनल लोकदल और राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से गठबंधन की गांठ खुली है तो इस बार देशभर में अकेली चल रही बसपा ने हरियाणा की सभी दस सीटों पर प्रत्याशी उतारने की रणनीति बनाई है। इसे धरातल पर उतारने के लिए पार्टी के रणनीतिकार दो अप्रैल से लोकसभावार मीटिंग आयोजित करने जा रहे हैं।

इन जिलों में BSP का रहा है मजबूत जनाधार

यहां यह बता दें कि हरियाणा के जीटी बेल्ट और उत्तर प्रदेश से सटे फरीदाबाद, नूंह, पलवल जैसे क्षेत्रों में बसपा के मजबूत जनाधार का इतिहास रहा है।

इस सुखद अतीत का साक्षी है बारहवीं लोकसभा के लिए वर्ष 1998 का आम चुनाव। इस चुनाव में अंबाला जैसी बेहद अहम लोकसभा सीट से बसपा के अमन कुमार नागड़ा विजयी रहे थे। उन्होंने भाजपा के सूरजभान को 2,864 मतों से पराजित किया था।

2009 में बसपा का रहा अप्रत्याशित मत प्रतिशत

बेशक, इस जीत में अमन कुमार की लोकप्रियता, पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय सुप्रीमो कांशीराम के क्रेज के साथ सहयोगी दल इनेलो का जनाधार भी काम कर गया था। पार्टी के कैडर वोटों ने भी विजयी आहूति दी थी। इस इकलौती जीत को बसपा आगे नहीं बढ़ा सकी।

इस सच के साथ एक सुखद पक्ष यह भी है कि वर्ष 2009 के आम चुनाव में बसपा ने मत प्रतिशतता में अप्रत्याशित छलांग लगाई। लेकिन अगले दो चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। वर्ष 2019 की मोदी लहर में बसपा सुप्रीमो कुमारी मायावती की रैलियों के बावजूद मंजिल से दूर महज 3.6 प्रतिशत वोट लेकर एकबार फिर खो गई।

यह भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: हरियाणा में BJP ने घोषित किए सभी 10 उम्मीदवार, कुछ पुराने तो कुछ नए चेहरों पर खेला चुनावी दांव


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.