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खदानों ने भर दी झारखंड सरकार की झोली, पहली बार टूटा राजस्व का रिकॉर्ड; डेढ़ से दोगुना आय हुई प्राप्त

झारखंड सरकार को खान एवं खदानों से करोड़ों का राजस्व प्राप्त हुआ है और पहली बार यह आंकड़ा दस हजार करोड़ के पार चला गया है। इससे राज्य सरकार का खजाना तो जरूर भरा है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन इलाकों में राजस्व की वसूली अधिक हुई है जहां ईडी लगातार कैंप कर रही थी और ईडी पैसों की लेनदेन पर कड़ी निगरानी रखे हुए थी।

By Ashish Jha Edited By: Shoyeb Ahmed Published: Sat, 13 Apr 2024 11:50 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2024 11:50 PM (IST)
खदानों ने झारखंड सरकार के राजस्व में की वृद्धि (फाइल फोटो)

आशीष झा, रांची। झारखंड में खान एवं खदानों से सरकार को करोड़ों का राजस्व प्राप्त हुआ है और और पहली बार यह आंकड़ा दस हजार करोड़ के ऊपर गया है।

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राज्य सरकार का खजाना तो जरूर भरा है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन इलाकों में राजस्व की वसूली अधिक हुई है, जहां ईडी लगातार कैंप कर रही थी और ईडी पैसों की लेनदेन पर कड़ी निगरानी रख रही थी।

डेढ़ गुणा तक बढ़ा राजस्व

इसके साथ ही जिन जिलों में पहले नाम मात्र का राजस्व प्राप्त होता था उन्हीं जिलों में लक्ष्य की तुलना में डेढ़ से दो गुणा तक राजस्व प्राप्त हुए हैं। झारखंड में विभिन्न जिलों में अलग-अलग प्रकार के खदानों से राजस्व प्राप्ति में पिछले वर्ष की तुलना में पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्राप्त हुई है।

कुछ जिलों में तो यह आंकड़ा आश्चर्यजनक रूप से दोगुना के करीब पहुंच गया है। अन्य कई जिलों में सामान्य वसूली भी हुई रहती तो झारखंड का प्रदर्शन कहीं बेहतर हुआ रहता। जमशेदपुर, रांची, लातेहार, चतरा आदि जिलों में कुल वसूली लक्ष्य की तुलना में 36-60 प्रतिशत के बीच रही है।

इस वित्त वर्ष रही बड़ी बात

खान-खदानों से हुई आमदनी में इस वित्तीय वर्ष की सबसे बड़ी बात यह रही है कि राज्य के आधे जिलों ने निर्धारित लक्ष्य के हिसाब से बेहतरीन प्रदर्शन किया है। पिछले वर्षों की तुलना में आंकड़ा भले कुछ ही बेहतर नहीं दिख रहा हो, प्रतिशत के लिहाज से रिकार्ड कहीं बेहतर है।

जहां निगरानी नहीं, वहां के हालात बदतर

झारखंड के कई जिलों में जहां खनन प्रक्रिया और खनिजों के परिवहन की निगरानी नहीं की गई वहां से राजस्व में भारी गिरावट दर्ज की गई है। ऐसा उन जिलों में भी हुआ है जहां पूर्व के वर्षों में रिकॉर्ड राजस्व की प्राप्ति हुई है।

रामगढ़ में इस वर्ष की उपलब्धि महज 68 प्रतिशत रही है जबकि पूर्व के वर्षों में 80-90 प्रतिशत तक उपलब्धि दर्ज होती रही है। आश्चर्यजनक रूप से इस वर्ष जिले में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में कम राजस्व की वसूली हुई है।

धनबाद और चाईबासा मिला कम राजस्व 

कोयला उत्पादन के लिए मशहूर इस जिले से प्राप्त राजस्व राज्य के विकास को लेकर महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कोयला उत्पादन में धनबाद का पूरे देश में नाम है लेकिन इस वर्ष धनबाद से भी राजस्व में उम्मीद से कहीं कम वसूली दर्ज हुई है।

इसी प्रकार लौह अयस्क के लिए प्रसिद्ध चाईबासा से भी राज्य को कम राजस्व मिला है। अधिक जानकारी के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 के आंकड़ों को देखा जा सकता है।

जिले का नाम- निर्धारित लक्ष्य, कुल वसूली, प्रतिशत

दुमका- 7560, 14819, 196

गिरिडीह- 5130, 7002, 137

गढ़वा- 4230, 4531, 107

पाकुड़- 75975, 81090, 107

साहेबगंज- 20580, 21892, 106

गोड्डा- 27600, 28040, 102

सिमडेगा- 1200, 1205, 100

सरायकेला- 3150, 3151, 100

देवघर- 12855, 12157, 95

गुमला- 9360, 8740, 93

जामताड़ा- 2012, 1867, 93

नोट : लक्ष्य एवं वसूली की राशि लाख रुपये में

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