Haryana Bus Accident: देहरादून में भी स्कूल बसों में खतरे में रहती है बच्चों की जान, दो साल पहले हुआ था हादसा
Haryana Bus Accident देहरादून में स्कूल बसों की दुर्घटना व चालकों की लापरवाही के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। दून के विकासनगर में दो वर्ष पूर्व फरवरी में सड़क के किनारे निकली पेड़ की टहनी स्कूल बस में घुसने से दो बच्चों की मृत्यु हो गई थी। परिवहन विभाग ने पिछले वर्ष सत्यापन व चेकिंग अभियान चलाया था लेकिन स्कूल बसों पर कार्रवाई से विभाग कन्नी काट गया।
जागरण संवाददाता, देहरादून: Haryana Bus Accident: हरियाणा के महेंद्रगढ़ में गुरुवार को हुई स्कूल बस दुर्घटना में छह बच्चों की मौत के बाद देहरादून में भी स्कूली बच्चों की परिवहन सुविधा और सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, ऐसी दुर्घटनाओं से देहरादून भी अछूता नहीं है।
दून के विकासनगर में दो वर्ष पूर्व फरवरी में सड़क के किनारे निकली पेड़ की टहनी स्कूल बस में घुसने से दो बच्चों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद भी स्कूल बसों की दुर्घटना व चालकों की लापरवाही के मामले लगातार सामने आते रहे हैं।
इसके बावजूद परिवहन विभाग स्कूल बसों के प्रति नरम रहता है। स्कूली वैन को लेकर जरूर परिवहन विभाग ने पिछले वर्ष सत्यापन व चेकिंग अभियान चलाया था, लेकिन स्कूल बसों पर कार्रवाई से विभाग कन्नी काट गया।
स्कूल बस से गिरकर छात्र की मृत्यु हो गई थी
देहरादून में स्कूल बस दुर्घटनाओं पर गौर करें तो 13 मई 2019 को भी प्रेमनगर क्षेत्र में एक निजी स्कूल की बस से गिरकर छात्र की मृत्यु हो गई थी। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में भी स्कूली वाहनों की दुर्घटना सामने आती रहती हैं। इसके बाद भी बच्चों की परिवहन सुविधा और सुरक्षा की परवाह न तो सरकार, प्रशासन व परिवहन विभाग को है और न ही मोटी फीस वसूलने वाले निजी स्कूलों को।
गौरतलब है कि जुलाई 2018 में जब नैनीताल हाईकोर्ट ने स्कूली वाहनों के लिए नियमों की सूची जारी की तो सरकार व प्रशासन कुछ दिन हरकत में दिखे। इस सख्ती के विरुद्ध ट्रांसपोर्टर हड़ताल पर चले गए और सरकार बैकफुट पर आ गई।
यौन-उत्पीड़न करने का मामला सामने आया
बीते वर्ष जब एक स्कूल वैन चालक द्वारा बच्चों का यौन-उत्पीड़न करने का मामला सामने आया तो परिवहन विभाग ने सितंबर-अक्टूबर में अभियान चलाकर स्कूल वैन व चालकों का सत्यापन किया। विभाग ने यह दावा किया था कि दूसरे चरण में स्कूल बसों की जांच की जाएगी, लेकिन दूसरा चरण छह माह बाद भी शुरू नहीं हुआ।
यह जरूर है कि जब कभी प्रदेश या दूसरे प्रदेश में स्कूली वाहन की कोई दुर्घटना होती है तो परिवहन विभाग के अधिकारी कुछ दिन सड़क पर उतरकर चेकिंग कर लेते हैं, लेकिन यह स्थायी रूप कभी नहीं ले सकी।
हर बार चेकिंग में स्कूल बसें फिटनेस और टैक्स के बिना दौड़ती मिलती हैं और चालक बिना ड्राइविंग लाइसेंस पकड़े जाते हैं। वैन एवं आटो में भेड़-बकरियों की तरह बच्चे ठूंसे हुए मिलते हैं, लेकिन सरकार और परिवहन विभाग यह लापरवाही रोकने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं बना पाए।
महज 10 प्रतिशत स्कूलों के पास बसें
देहरादून में महज 10 प्रतिशत स्कूल ही ऐसे हैं, जिनके पास अपनी बसें हैं। जबकि 40 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जो बुकिंग पर सिटी बस और निजी बस लेकर बच्चों को परिवहन सुविधा उपलब्ध कराते हैं। बाकी स्कूलों में बस की सुविधा नहीं है।
निजी बस सुविधाओं वाले 40 प्रतिशत स्कूलों को मिलाकर 90 फीसद स्कूल प्रबंधन और इनसे जुड़े अभिभावकों के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने एक अगस्त 2018 से यह व्यवस्था की थी कि बच्चे केवल नियमों का पालन कर रहे वाहनों में ही जाएंगे, लेकिन अब फिर वही सबकुछ चल रहा जो पहले से चलता आ रहा है।
अभिभावकों के पास विकल्प नहीं
निजी स्कूल बसों के साथ ही आटो व वैन चालक क्षमता से कहीं ज्यादा बच्चे बैठाते हैं। इन्हें न नियम का कोई ख्याल है और न सुरक्षा के इंतजाम। अभिभावक इन हालात से अंजान नहीं हैं, लेकिन दिक्कत ये है कि स्कूलों ने विकल्पहीनता की स्थिति में खड़ा किया हुआ है। निजी स्कूल यह जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। उन्हें न बच्चों की परवाह है, न ही अभिभावकों की। बच्चे कैसे आ रहे या कैसे जा रहे हैं, स्कूल प्रबंधन को इससे कोई मतलब नहीं।
स्कूली वाहनों के मानक
- स्कूल वाहन का रंग सुनहरा पीला हो, उस पर दोनों ओर और बीच में चार इंच की मोटी नीली पट्टी हो।
- स्कूल बस में आगे-पीछे दरवाजों के अतिरिक्त दो आपातकालीन दरवाजे हों।
- सीट के नीचे बैग रखने की व्यवस्था हो।
- बसों व अन्य वाहनों में स्पीड गवर्नर व जीपीएस लगा हो।
- एलपीजी समेत सभी वाहनों में अग्निशमन संयंत्र मौजूद हो।
- पांच साल के अनुभव वाले चालकों से ही स्कूल वाहन संचालित कराया जाए।
- स्कूल वाहन में फर्स्ट एड बाक्स की व्यवस्था हो।
- बसों की खिड़कियों के बाहर जाली या लोहे की डबल राड लगाना अनिवार्य।
- छात्राओं की बस में महिला परिचारक का होना अनिवार्य।
- वाहन चालक व परिचालक का पुलिस सत्यापन होना जरूरी।
संसदीय निर्वाचन की मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्कूल बसों की तकनीकी जांच कराई जाएगी। बच्चों की सुरक्षा को लेकर परिवहन मुख्यालय के निर्देश पर पिछले वर्ष जुलाई में स्कूली वाहन चालकों को कुशल वाहन संचालन का प्रशिक्षण देने के आदेश दिए थे, जिसमें अब तक 200 चालकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब शीघ्र ही स्कूल बसों का सेफ्टी आडिट कर चालकों का सत्यापन भी किया जाएगा।
शैलेश तिवारी, आरटीओ (प्रवर्तन) देहरादून