Uttarakhand News: सड़क निर्माण का मलबा नदी में डालने पर शासन सख्त, वैज्ञानिक तरीके से हो मलबे का निस्तारण
Uttarakhand News उत्तराखंड में अब सड़क निर्माण का मलबा नदी में डालने पर शासन सख्त हो गया है। वैज्ञानिक तरीके से मलबे का निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं। जो नदी में मलबा डालेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में अब सड़क निर्माण (Road Construction) संबंधी किसी भी परियोजना का मलबा नदी में नहीं डाला जाएगा। इस मलबे का निस्तारण चारधाम आल वेदर रोड की तर्ज पर वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा। इसके बावजूद जो भी नदी में मलबा डालेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सड़क निर्माण की कई परियोजनाओं पर चल रहा काम
प्रदेश में इस समय चारधाम आल वेदर रोड (Chardham All Weather Road) समेत सड़क निर्माण की कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। कई मामले ऐसे सामने आ चुके हैं जहां सड़कों चौड़ीकरण व इनके निर्माण के लिए पहाड़ खोद कर निकाला जा रहा मलबा नदियों में डाला जा रहा है।
कुछ समय पहले राजधानी से लगे डोईवाला विकासखंड में सैबूवाला के पास कृत्रिम झील बनने का कारण वहां प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) के मार्ग के निर्माण का मलबा नदी में फेंका जाना सामने आया था। ऐसा ही एक मामला हाल में बागेश्वर जिले में भी सामने आया।
बदल सकता है नदी का रुख
इसके अलावा भी प्रदेश में कई स्थानों सड़कों का मलबा नदी में डालने के संबंध में ग्रामीण समय-समय पर शासन और प्रशासन के समक्ष अपनी शिकायतें दर्ज करते रहे हैं। उनका तर्क रहता है कि ऐसा करने से नदी का रुख बदल सकता है जो नदी से सटे ग्रामीण इलाकों के लिए खतरे का कारण बन सकता है।
- इसके साथ ही पूर्व में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण और विभिन्न न्यायालय इस पर टिप्पणी कर चुके हैं।
- इसे देखते हुए शासन ने सख्त रुख अपनाया है।
सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा ने निर्माण कार्य से जुड़े सभी विभागों को पत्र लिखकर यह साफ किया है कि निर्माण के दौरान मलबा नदियों में फेंका जाना गंभीर मामला है। मलबे का वैज्ञानिक ढंग से निस्तारण किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मलबा इधर-उधर अथवा नदियों में फेंकने से वर्षाकाल में समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। इसे देखते हुए सड़क निर्माण से जुड़ी एजेंसियां इस मामले में संवेदनशील रुख अपनाएं।