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Bengal: कूचबिहार का दौरा न करें राज्यपाल बोस, चुनाव आयोग ने दी यह सलाह; जानिए पूरा मामला

चुनाव आयोग ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के आगामी कूचबिहार दौरा पर रोक लगा दी है। दरअसल राज्यपाल बोस 18-19 अप्रैल को उत्तर बंगाल के कूचबिहार लोकसभा क्षेत्र की यात्रा करने वाले थे। ऐसे में चुनाव आयोग ने राज्यपाल बोस के आगामी दौरे को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए उस पर रोक लगा दी।

By Agency Edited By: Anurag GuptaPublished: Wed, 17 Apr 2024 06:12 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2024 06:45 PM (IST)
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, कोलकाताचुनाव आयोग ने बुधवार को बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस 19 अप्रैल को उत्तर बंगाल के कूचबिहार लोकसभा क्षेत्र का दौरा नहीं करने की सलाह दी। दरअसल, उसी दिन इस क्षेत्र में पहले चरण का मतदान है। कूचबिहार के अलावा उत्तर बंगाल के दो अन्य निर्वाचन क्षेत्रों अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी में भी उसी दिन वोट पड़ेंगे।

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चुनाव आयोग की सलाह

सूत्रों के मुताबिक, आयोग की ओर से राजभवन को भेजे गए ईमेल में कहा गया कि अगर चुनाव के दिन वे (राज्यपाल) मतदान वाले क्षेत्र में मौजूद रहेंगे तो यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होगा, चूंकि चुनाव प्रचार बुधवार की शाम को ही उक्त क्षेत्रों में समाप्त हो चुका है और 48 घंटे की मौन अवधि चल रही है, इसलिए उस क्षेत्र के मतदाताओं के अलावा कोई भी वहां नहीं जा सकता है। ऐसे में अगर राज्यपाल भी जाते हैं तो यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होगा।

सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल बोस के 18 और 19 अप्रैल को कूचबिहार के प्रस्तावित दौरे के बारे में पता चलने पर चुनाव आयोग ने राज्यपाल को ईमेल के माध्यम से वहां नहीं जाने की सलाह दी है। चुनाव आदर्श आचार संहिता के तहत राज्यपाल वहां नहीं जा सकते हैं। आयोग ने यह भी कहा है कि 18 और 19 अप्रैल के दौरान पूरा जिला प्रशासन और पुलिस बल चुनाव प्रबंधन में व्यस्त रहेंगे। ऐसे में राज्यपाल की यात्रा उनके लिए समयबद्ध चुनाव-संबंधी कार्यों से ध्यान भटकाने वाली होगी, क्योंकि उन्हें किसी आसन्न ज्ञात आवश्यकता के बिना अप्रत्याशित प्रस्तावित यात्रा के लिए प्रोटोकाल और स्थानीय सुरक्षा कवर प्रदान करना होगा।

क्या है जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951?

सूत्रों ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 के अनुसार, कूचबिहार के लिए मौन अवधि 17 अप्रैल शाम छह बजे से शुरू हो चुकी है, इस दौरान चुनाव कार्य में किसी भी बाहरी व्यक्ति का इलाके में प्रवेश वर्जित है। चुनाव आयोग ने सभी जिला चुनाव अधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने के लिए स्थायी निर्देश जारी किए हैं कि स्वतंत्र, निष्पक्ष और निर्बाध मतदान प्रक्रिया के लिए सभी हाई-प्रोफाइल व्यक्ति, प्रचारक और राजनीतिक कार्यकर्ता, जो उस चुनाव क्षेत्र के मतदाता नहीं हैं, मौन अवधि की शुरुआत के बाद तुरंत बाहर निकल जाएं।

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पहले क्या था कार्यक्रम?

सनद रहे कि राज्यपाल ने पिछले चुनावों में हुई हिंसा के रिकॉर्ड पर विचार करने के बाद यह कार्यक्रम तय किया था। सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल बोस का गुरुवार सुबह कोलकाता से कूचबिहार के लिए रवाना होने का कार्यक्रम था और चुनाव खत्म होने के बाद शाम को निर्वाचन क्षेत्र से वापस लौटने वाले थे। चुनाव कार्यक्रम की जिस दिन घोषणा हुई थी उस दिन राज्यपाल बोस ने कहा था,

वह पहले दिन से ही मैदान के दिन सड़क पर रहेंगे। मैं सुबह छह बजे सड़कों पर उतरूंगा। मैं लोगों के लिए उपलब्ध रहूंगा। पिछले साल पंचायत चुनावों में हुई मानव रक्त की राजनीतिक 'होली' को अब अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

मतदाताओं की शिकायत सुनेंगे राज्यपाल

पिछले माह राज्यपाल भवन में एक नए पोर्टल का शुभारंभ हुआ था। इस पोर्टल के माध्यम से राज्यपाल राज्य के आम मतदाताओं की शिकायत सीधे सुन सकते हैं और चुनावों के बारे में उनकी शिकायतों का समाधान कर सकते थे। पोर्टल में एक समर्पित ईमेल है जिसके माध्यम से राज्य का कोई भी मतदाता सीधे अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है।

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