CBSE Class 12 Results 2019: साइंस, कॉमर्स हो या आर्ट्स हर स्ट्रीम में नए विकल्पों की भरमार
CBSE Class 12 Results 2019 बदलते वक्त के साथ आजकल हर स्ट्रीम (साइंस कॉमर्स या आर्ट्स) की पढ़ाई का महत्व बढ़ता जा रहा है। कोई भी स्ट्रीम किसी से बिल्कुल कमतर नहीं है।
नई दिल्ली,जेएनएन। CBSE Class 12 Results 2019, बदलते वक्त के साथ आजकल हर स्ट्रीम (साइंस, कॉमर्स या आर्ट्स) की पढ़ाई का महत्व बढ़ता जा रहा है। कोई भी स्ट्रीम किसी से बिल्कुल कमतर नहीं है। ऐसे में 12वीं के बाद आप चाहे साइंस और कॉमर्स विषयों की पढ़ाई करें या फिर आर्ट्स की, ये तीनों ही स्ट्रीम आपको उभरते मार्केट एवं इंडस्ट्री में बेहतर तरीके से स्थापित करने का दमखम रखते हैं। आइए जानें, अनेक नए-नए विकल्पों के आ जाने से साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स की पढ़ाई आपके लिए कितना फायदेमंद है? इन्हीं संभावनाओं पर एक नजर...
साइंस स्ट्रीम
साइंस (बायोलॉजी व मैथ्स) से 12वीं के बाद आज भी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स द्वारा मेडिकल एवं इंजीनियरिंग में करियर बनाने को पहली प्राथमिकता दी जाती है। इसमें कोई दो राय नहीं। इन दो फील्ड को पहले की तरह आज भी सबसे प्रतिष्ठित पेशा माना जाता है। लेकिन हाल के वर्षों में जब से साइंस स्ट्रीम से जुड़े नैनो-टेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, फूड प्रोसेसिंग, स्पेस साइंस, एस्ट्रो-फिजिक्स, रोबोटिक साइंस, आर्किटेक्चर, फिजियोथेरेपी जैसे अनेक नये विकल्प सामने आए हैं, तब से युवा इन नए विकल्पों को भी अपनाने में काफी रुचि ले रहे हैं, जहां पर्याप्त नौकरी के मौके भी हैं।
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फिलहाल जब भी हम मेडिकल की बात करते हैं, तो एमबीबीएस का सबसे पहले ख्याल आता है। हालांकि अब इस सेक्टर का दायरा भी और बढ़ गया है। इसमें मास्टर्स के बाद आजकल सुपर स्पेशलाइजेशन होने लगे हैं। मेडिकल फील्ड में आने के लिए एमबीबीएस के अलावा बीडीएस, बीएचएमएस, बीएएमएस जैसी डिग्री, एमडी, एमएस कोर्स कर सकते हैं। इसी तरह, जिन स्टूडेंट्स की मशीनों में दिलचस्पी है, इनोवेटिव और क्रिएटिव हैं, वे अपनी रुचि के अनुसार इंजीनियरिंग का कोई ब्रांच चुन सकते हैं।
कॉमर्स स्ट्रीम
जीएसटी (गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स) लागू होने के बाद से केंद्र और राज्य सरकारों के कई तरह के टैक्स की जगह इसी टैक्स ने ले ली है। इससे इन दिनों जीएसटी और एकाउंटेंसी के प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स की मांग काफी बढ़ गई है। इसलिए कॉमर्स के साथ 12वीं करने के बाद स्टूडेंट्स का विकल्प अब सिर्फ सीए (चार्टर्ड एकाउंटेंसी) या सीएस (कंपनी सेक्रेटरी) जैसे प्रचलित कोर्स तक ही सीमित नहीं रहा।
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जीएसटी और एकाउंटेंसी पर आधारित हाईटेक सॉफ्टवेयर्स आ जाने से अब इनसे जुड़े कई और आकर्षक विकल्प सामने आ गए हैं, जैसे कि कॉस्ट ऐंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट, बैचलर ऑफ कॉमर्स इन फाइनेंशियल मार्केट्स, बैचलर ऑफ कॉमर्स इन एकाउंटिंग ऐंड फाइनेंस, स्टॉक ब्रोकिंग, इंटीग्रेटेड कॉरपोरेट लॉ इत्यादि। इसे करने के बाद युवा ब्रोकरेज फर्म्स, इंश्योरेंस कंपनीज, बैंक, इनवेस्टमेंट बैंक, पेंशन फंड या किसी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट में काम कर सकते हैं। इसी तरह, 12वीं कॉमर्स के बाद अर्थशास्त्र या वाणिज्य विषय में स्नातक करने वालों के पास स्टेटिस्टिशियन, स्ट्रेटेजिस्ट, रिस्क मैनेजमेंट एनालिस्ट, ऑपरेशंस रिसर्च एनालिस्ट, इंश्योरेंस अंडर राइटर, बजट एनालिस्ट, शिक्षा, जनसंचार, बिजनेस, डेटा एनालिटिक्स जैसे विकल्प होते हैं।
आर्ट्स स्ट्रीम
कॉप्पिटिटिव एग्जाम्स के लिए आजकल आर्ट्स को आजकल काफी लाजवाब स्ट्रीम माना जाने लगा है। सिविल सेवाओं में हर साल इसी स्ट्रीम के विषयों से परीक्षा देने वाले कैंडिडेट सबसे अधिक सिलेक्ट होते हैं। इसलिए इन विषयों को बिल्कुल भी कमतर न आंकें। पहले की तुलना में आर्ट्स विषयों से ग्रेजुएशन करने के बाद आज सरकारी और निजी क्षेत्रों में करियर के ऑप्शंस भी बहुत हैं।
खासतौर से इकोनॉमिक्स, साइकोलॉजी, फिलॉसफी, पॉलिटिकल साइंस जैसे विषयों की तो आजकल बहुत ही पूछ है। अगर करियर की बात करें तो आर्ट्स विषयों से ग्रेजुएशन करके आप एमबीए, जर्नलिज्म, टीचिंग, ह्यूमन रिसोर्स जैसे करियर की राह चुन सकते हैं। अगर आप एलएलबी करना चाहते हैं, तो आर्ट्स से बारहवीं के बाद सीधे पांच वर्षीय एलएलबी कोर्स कर सकते हैं।
देश में कई नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और कॉलेज हैं, जो क्लैट (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) के आधार पर इस कोर्स में प्रवेश देते हैं। खास बात यह है कि पांच वर्षीय लॉ कोर्स में एक साल का फायदा भी होता है, क्योंकि जो लोग तीन साल का ग्रेजुएशन करने के बाद फिर तीन साल का लॉ करते हैं, उन्हें इस पर छह साल लगाना पड़ता है। ऐसे में बारहवीं के बाद एक साल की सीधे बचत हो जाती है। अगर आप नए जमाने का कोर्स करना चाहते हैं, तो इवेंट मैनेजमेंट, डिजिटल मार्केटिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग या फैशन डिजाइनिंग के लिए भी जा सकते हैं।