CBSE Class 12 Results 2019: इन आसान टिप्स से पीयर प्रेशर और सामाजिक दबाव से करें बचाव
CBSE Class 12 Results 2019 12वीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम आने के बाद विद्यार्थियों कौन सा विषय चुने इसकी सबसे ज्यादा चिंता रहती है उन्हें समझ नहीं
स्मिता, नई दिल्ली। CBSE Class 12 Results 2019: 12वीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम आने के बाद विद्यार्थियों कौन सा विषय चुने इसकी सबसे ज्यादा चिंता रहती है उन्हें समझ नहीं आता की भविष्य में उनके लिए कौन सा विषय फायदेमंद होगा और कौन सा नहीं, इस मुद्दे पर दिल्ली के जेएम इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल अनुराधा गोविंद एक वाकया सुनाती हैं। वे कहती हैं कि स्कूल में इंटरव्यूज कराने के दौरान एक बीटेक की डिग्री ली हुई लड़की से बातचीत करने का अवसर मिला। उसने बीटेक की डिग्री लेने के बाद मेरे स्कूल में टीचिंग की जॉब के लिए अप्लाई किया था। वह स्कूल में काउंसलर बनना चाह रही थी। मैंने उससे पूछा कि यदि आप टीचिंग लाइन ज्वाइन करना चाहती हैं, तो फिर बीटेक की डिग्री क्यों ली।
उसने जवाब दिया कि बीटेक की डिग्री लेने के बाद पापा ने कहा कि लड़कियों के लिए स्कूल की जॉब ज्यादा अच्छी होती है। इसलिए मैंने अब टीचिंग लाइन को चुनने का विचार कर लिया है। इस तरह का असमंजस ज्यादातर स्टूडेंट्स में दिखाई देता है कि 12वीं के बाद वे कौन से विषय का चुनाव करें। दरअसल, विषय के चुनाव की नींव 10वीं के बाद ही पड़ जाती है।
हर स्टूडेंट दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद ही इस पर सोच-विचार ले कि भविष्य में उन्हें क्या बनना और किस करियर का चुनाव करना है। इसके बाद ही विषयों का चुनाव करें। ये चुनाव ही 12वीं की परीक्षा के बाद आपको अपना करियर बनाने में मदद करते हैं। विषयों के चुनाव से पहले अपनी रुचि और फिर क्षमता को भी जरूर जांचें-परखें।
CBSE Class 12 Results 2019: साइंस, कॉमर्स हो या आर्ट्स हर स्ट्रीम में नए विकल्पों की भरमार
इसलिए विशेषज्ञ कहते भी हैं कि विषयों के चुनाव से पहले अपना एप्टीट्यूड, इंट्रेस्ट, स्ट्रेंथ एरिया और करियर एरिया पर काम करना आपकी बुद्धिमानी दर्शाता है। यहां करियर एरिया कहने से हमारा मतलब है कि हम पीछे आकर यह सोचें कि अगर किसी खास करियर का चुनाव करना है, तो मुझे किस सब्जेक्ट का चुनाव करना पड़ेगा।
अनुराधा गोविंद आगे बताती हैं कि स्कूल में तीन स्ट्रीम होती हैं -साइंस, कॉमर्स और ह्यूमेनिटीज। बारहवीं में तो पांच सब्जेक्ट कोर सब्जेक्ट होते हैं। सीबीएसई के अनुसार सब्जेक्ट्स का कोई कॉम्बिनेशन जरूरी नहीं है।
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स्कूल ने भले ही ऐसा कॉम्बिनेशन बना लिया है। मेरे अलावा कई स्कूलों ने स्टूडेंट्स को यह सुविधा दी है कि साइंस के साथ स्टूडेंट इकोनॉमिक्स भी ले सकते हैं। कॉमर्स का स्टूडेंट भी साइकोलॉजी ले सकता है। इसलिए 12वीं में एडमिशन के समय टीचर या पैरेंट्स यह दबाव बिल्कुल न बनाएं कि स्टूडेंट कौन सा सब्जेक्ट लें। उन्हें यह सोचने और विचारने का अवसर दें कि उनकी रुचि का कौन सा सब्जेक्ट है, जिसे अपनाने पर आगे उन्हें बारहवीं के बाद अपने पसंदीदा विषय और करियर में आगे बढ़ने में मदद मिलती है। ज्यादातर स्टूडेंट अपने पीयर या साथियों को फॉलो करते हैं।
वे सोचते हैं कि यदि उन्होंने इन सब्जेक्ट्स का चुनाव किया है, तो मैं भी ऐसा ही करूंगा। पैरेंट्स भी दबाव बनाते हैं। सामाजिक दबाव भी बनता है कि साइंस लेने से समाज में इज्जत बढ़ती है। इससे बचें। इन बातों को अनसुना करें। कई बार हम देखते हैं कि बच्चे साइंस के होते हैं, लेकिन वे बढि़या आर्टिस्ट भी होते हैं। तो फिर अपनी रुचि के आधार पर 12वीं में उन्होंने आर्ट्स या म्यूजिक भी लिया है। इसी चुनाव के आधार 12वीं के बाद विषयों को चुनने में आसानी होती है। गार्जियन द्वारा किसी भी प्रकार का बंधन या सोशल प्रेशर नहीं होना चाहिए। स्टूडेंट्स के साथ-साथ गार्जियंस को भी खुले दिमाग से इस विषय पर सोचना चाहिए।