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सबक सीखने का समय, भारत को पाकिस्तान की बिगड़ती स्थितियों से सतर्क रहना होगा

पाकिस्तान की अस्थिरता से भारत अप्रभावित रहे इसके लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाने होंगे। यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि एक अस्थिर और अराजक पाकिस्तान अपने पड़ोसी देशों के लिए कहीं अधिक खतरनाक सिद्ध होगा। इसलिए और भी क्योंकि वह एक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र है ।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Tue, 31 Jan 2023 11:13 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 11:13 PM (IST)
पाकिस्तान की अस्थिरता से भारत अप्रभावित रहे, इसके लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाने होंगे।

पेशावर की एक मस्जिद में आत्मघाती हमले में करीब सौ लोगों की मौत यही बता रही है कि पाकिस्तान आर्थिक रूप से जितना खस्ताहाल है, उतना ही सुरक्षा की दृष्टि से भी। उसकी स्थिति यही बता रही है कि वह चौतरफा संकट से घिर गया है और बचने के रास्ते दिख नहीं रहे हैं। इस पर आश्चर्य नहीं कि उसके दिवालिया होने की आशंका बढ़ती जा रही है। पाकिस्तान पहुंची अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की टीम ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सामने जो शर्तें रखी हैं, उन्हें मानना उनके लिए आसान नहीं। यदि वह ये शर्तें मानते हैं तो उनकी सरकार अलोकप्रियता की तली पर आ लगेगी और अगर वह शर्तें मानने से मना करते हैं तो देश के दिवालिया होने का खतरा है। इसी कारण यह कहा जा रहा है कि पाकिस्तान एक ओर कुआं और दूसरी ओर खाई वाली स्थिति में पहुंच गया है।

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पता नहीं वह इस स्थिति से कैसे उबरेगा, लेकिन भारत को उसकी बिगड़ती स्थितियों से सावधान रहना चाहिए। यदि पाकिस्तान की आर्थिकी और बिगड़ती हैं तो वैसी ही स्थिति बन सकती है, जैसी एक समय पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश की बनी थी और वहां के लाखों नागरिक भारत आ गए थे। स्पष्ट है कि भारत को पाकिस्तान की बिगड़ती स्थितियों से सतर्क रहना होगा। इसलिए और भी, क्योंकि पाकिस्तान मामलों के विशेषज्ञ इसी निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं कि उसके बिगड़े हालात से पूरा क्षेत्र प्रभावित हो सकता है।

पाकिस्तान की अस्थिरता से भारत अप्रभावित रहे, इसके लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाने होंगे। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि एक अस्थिर और अराजक पाकिस्तान अपने पड़ोसी देशों के लिए कहीं अधिक खतरनाक सिद्ध होगा। इसलिए और भी, क्योंकि वह एक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र है और उसके यहां न जाने कितने आतंकी गुट पल रहे हैं। पाकिस्तान की स्थितियों से न केवल सावधान रहना होगा, बल्कि उन कारणों पर भी गौर करना होगा, जिनके चलते उसकी यह दुर्दशा हुई।

वैसे तो उसकी दुर्दशा के कई कारण हैं, लेकिन एक प्रमुख कारण आर्थिक नियमों की अनदेखी कर रेवड़ी संस्कृति को बढ़ावा देना भी है। रेवड़ी संस्कृति के कारण अन्य अनेक देश भी आर्थिक रूप से तबाह हुए हैं। विडंबना यह है कि इसके बाद भी भारत में कुछ राजनीतिक दल इस संस्कृति को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं। एक ऐसे समय जब आर्थिक चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं और आर्थिक सर्वेक्षण भी उनकी ओर संकेत कर रहा है, तब यह ठीक नहीं कि रेवड़ी संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ उसकी वकालत भी की जाए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि फिलहाल ऐसा ही हो रहा है। यह सही है कि पाकिस्तान से दूरी बनाए रखने में ही भलाई है, लेकिन उससे यह तो सीखा ही जाना चाहिए कि आर्थिक मोर्चे पर क्या नहीं किया जाना चाहिए?


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