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अतिवादी तत्वों की सक्रियता, देश के किसी एक हिस्से तक सीमित नहीं हैं इनकी गतिविधियां

केंद्रीय एजेंसियों के साथ राज्य सरकारों और उनकी पुलिस को पीएफआइ को लेकर इसलिए सतर्क रहना होगा क्योंकि वह केवल आतंकी समूहों से मिलकर विध्वंसक गतिविधियों को ही अंजाम नहीं दे रहा था बल्कि देश को इस्लामी राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र भी रच रहा था।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Sat, 04 Feb 2023 11:35 PM (IST)Updated: Sat, 04 Feb 2023 11:35 PM (IST)
अतिवादी तत्वों की सक्रियता, देश के किसी एक हिस्से तक सीमित नहीं हैं इनकी गतिविधियां
देश के किसी एक हिस्से तक सीमित नहीं अतिवादी तत्वों गतिविधियां

राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से बिहार के मोतिहारी से प्रतिबंधित पापुलर फ्रंट आफ इंडिया यानी पीएफआइ के सदस्यों की गिरफ्तारी यही बताती है कि इस संगठन के लोग चैन से नहीं बैठे हैं और पाबंदी का उन पर वैसा असर नहीं पड़ा, जैसा अपेक्षित था। प्रतिबंध के बाद भी पीएफआइ सदस्यों की अतिवादी गतिविधियां देश के किसी एक हिस्से तक सीमित नहीं हैं, इसका पता मध्य प्रदेश के श्योपुर से इस संगठन के फरार चल रहे एक पदाधिकारी की गिरफ्तारी से चलता है। इसके कुछ दिन पहले पीएफआइ से जुड़ी एक युवती को इंदौर में गिरफ्तार किया गया था। सच तो यह है कि पीएफआइ पर प्रतिबंध लगने के बाद से उसके सदस्यों की गिरफ्तारी का सिलसिला कायम है।

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देश के विभिन्न हिस्सों से उनकी गिरफ्तारी यही बताती है कि वे दक्षिण से लेकर उत्तर भारत तक में सक्रिय हैं। स्पष्ट है कि इस प्रतिबंधित संगठन के सदस्यों के खिलाफ और सख्ती की आवश्यकता है। उन तक यह संदेश जाना ही चाहिए कि वे गुपचुप रूप से सक्रिय नहीं रह सकते। चूंकि इसकी आशंका है कि प्रतिबंध के बाद पीएफआइ सदस्य किसी अन्य संगठन के जरिये सक्रिय हो सकते हैं, इसलिए उनकी कड़ी निगरानी आवश्यक है। इसमें सफलता तब मिलेगी, जब राज्य सरकारें पीएफआइ से जुड़े रहे लोगों की गतिविधियों की गहन छानबीन करेंगी।

केंद्रीय एजेंसियों के साथ राज्य सरकारों और उनकी पुलिस को पीएफआइ को लेकर इसलिए सतर्क रहना होगा, क्योंकि वह केवल आतंकी समूहों से मिलकर विध्वंसक गतिविधियों को ही अंजाम नहीं दे रहा था, बल्कि देश को इस्लामी राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र भी रच रहा था। यह षड्यंत्र रचने वाले पीएफआइ सदस्य भी बिहार से गिरफ्तार किए गए थे। पीएफआइ पर पाबंदी लगाए जाने के बाद से अब तक उसके करीब चार सौ सदस्य गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इस संगठन ने अपना जाल पूरे देश में फैला रखा था और कई सहयोगी संगठन भी बना रखे थे। इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि पीएफआइ और उसके सहयोगी संगठनों के सदस्य प्रतिबंध लगने के बाद चुपचाप बैठ गए होंगे।

अंदेशा यही है कि वे अन्य अतिवादी संगठनों से जाकर मिल गए होंगे। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि देश में पीएफआइ सरीखे अन्य अतिवादी संगठन भी हैं। उनकी साठगांठ दूसरे देशों के अतिवादी और आतंकी संगठनों से है। इनमें से कुछ संगठन बांग्लादेश आधारित हैं। उनके गुर्गे बंगाल के रास्ते भारत में घुसपैठ भी करते रहते हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं कि बांग्लादेशियों की घुसपैठ का असर असम और बंगाल के साथ बिहार एवं झारखंड में भी दिखने लगा है। इन राज्यों को इसलिए अतिरिक्त सजगता दिखानी होगी, क्योंकि बांग्लादेश से आतंकी तत्व भी घुसपैठ कर रहे हैं और पीएफआइ सरीखे प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों से मिलकर तरह-तरह के षड्यंत्र रच रहे हैं।


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