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Lok Sabha Election 2024: बिहार में 1984 में महिलाओं ने बनाया था संसद पहुंचने का रिकॉर्ड, लेकिन बाद में हाथ लगी निराशा

Bihar Politics बिहार में महिलाओं के सांसद बनने का रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है। अब तक बिहार से केवल 62 महिला सांसद ही दिल्ली पहुंच सकीं। हालांकि 1984 एक ऐसा साल रहा था जब बिहार से महिलाओं ने संसद पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया था। वहीं आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में पटना पूर्वी सीट से तारकेश्वरी देवी तो भागलपुर दक्षिणी से सुषमा सेन सांसद चुनी गई थीं।

By Vyas Chandra Edited By: Sanjeev Kumar Published: Thu, 18 Apr 2024 09:31 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2024 09:31 AM (IST)
लोकसभा में बिहार से महिलाओं के सांसद बनने का रिकॉर्ड बेहद खराब (जागरण)

व्यास चंद्र, जागरण, पटना। Bihar Lok Sabha Election History: महिला सशक्तीकरण की मिसाल से भरी माता जानकी की भूमि मिथिला में प्राचीन काल से अबतक आधी आबादी ज्ञान-विज्ञान, कला-संस्कृति से लेकर राजनीति तक में अपनी सशक्त पहचान साबित करती आई हैं। लेकिन, लोकतंत्र में बिहार की महिलाओं को वह हिस्सेदारी नहीं मिल सकी, जो संविधान ने उन्हें दी है। सन 1947 में देश आजाद होने के बाद से बिहार की महज 62 महिलाएं ही संसद की दहलीज तक पहुंच पाई हैं। इनमें भी कई नाम ऐसे हैं, जिन्हें बार-बार प्रतिनिधित्व मिलता रहा है। 

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पहले चुनाव में दो महिलाएं बनीं सांसद 

Bihar News: आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में पटना पूर्वी सीट से तारकेश्वरी देवी, तो भागलपुर दक्षिणी से सुषमा सेन सांसद चुनी गई थीं। 1957 के चुनाव में यह संख्या पांच पहुंच गई। बांका से शकुंतला देवी, बाढ़ से तारकेश्वरी देवी, नवादा से सत्यभामा देवी, चतरा से विजया राजे और हजारीबाग से ललिता राज्य लक्ष्मी शामिल थीं। विजया राजे और ललिता राज्य लक्ष्मी राज परिवार की थीं।

इसके बाद 1962 के चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व और बढ़ा। कटिहार से प्रिया गुप्ता, बांका से शकुंतला देवी, बाढ़ से तारकेश्वरी सिन्हा, पटना से रामदुलारी देवी, औरंगाबाद से ललिता राज्य लक्ष्मी, जहानाबाद से सत्यभामा देवी और चतरा से विजया राजे सांसद निर्वाचित हुईं। इनमें प्रिया गुप्ता और रामदुलारी सिन्हा ही नई थीं, शेष पांच सांसद पिछले चुनाव में भी जीत चुकी थीं। 

1971 में एक तो 77 में दिल्ली हुई दूर

1967 के चुनाव में बाढ़ से तारकेश्वरी सिन्हा, चतरा से विजया राजे, धनबाद से ललिता राज्य लक्ष्मी और पलामू से कमला कुमारी संसद तक पहुंचने में सफल रहीं। चार में से तीन पहले से सांसद रही थीं। 1971 चुनाव में महज एक महिला सांसद ही बिहार से दिल्ली पहुंच सकीं। पलामू सीट से कमला कुमारी को जीत मिली। बुरा हाल रहा 1977 का, जब एक भी महिला सांसद निर्वाचित नहीं हुईं। 

1984 में आधी आबादी का दबदबा

1977 में शून्य प्रतिनिधित्व के बाद जब 1980 में चुनाव हुआ तो पांच महिलाओं ने जीत हासिल की। इनमें वैशाली से किशोरी सिन्हा, शिवहर से रामदुलारी सिन्हा, पूर्णिया से माधुरी सिंह, बेगूसराय से कृष्णा शाही और पलामू से कमला कुमारी शामिल थीं।

रामदुलारी सिन्हा बिहार की पहली महिला थीं, जिन्हें राज्यपाल बनाया गया था। महिलाओं का सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व 1984 में रहा, जब बिहार की नौ महिलाएं लोकसभा सदस्य चुनीं गईं। मोतिहारी से प्रभावती गुप्ता, वैशाली से किशोरी सिन्हा, बलिया से चंद्रभानु देवी, पूर्णिया से माधुरी सिंह, बांका से मनोरमा सिंह, बेगूसराय से कृष्णा शाही, लोहरदगा से सुमति ओरांंव और पलामू से कमला कुमारी चुनाव में निर्वाचित हुईं। 

महिलाओं को नहीं मिल सका पर्याप्त प्रतिनिधित्व 

1989 के चुनाव में वैशाली से उषा सिंह और लोहरदगा से सुमति ओरांव, 1991 में बेगूसराय से कृष्णा शाही, धनबाद से रीता वर्मा और महाराजगंज से गिरिजा देवी चुनाव जीतने में सफल रहीं। इसके अगले चुनाव में भी संख्या में इजाफा नहीं हुआ।

केवल तीन महिलाएं 1996 में सांसद चुनी गईं। बिक्रमगंज से कांति सिंह, गया से भगवती देवी और धनबाद से रीता वर्मा चुनाव जीत सकीं। मध्यावधि चुनाव का वक्त देश में था।

1998 में फिर चुनाव हुए। मोतिहारी से रमा देवी, नवादा से मालती देवी, धनबाद से रीता वर्मा और जमशेदपुर से आभा महतो निर्वाचित हुईं। एक साल बाद 1999 में पांच महिलाएं संसद पहुंचीं। इनमें खगड़िया से रेणु कुशवाहा, बिक्रमगंज से कांति सिंह, औरंगाबाद से श्यामा सिंह, धनबाद से रीता वर्मा और जमशेदपुर से आभा महतो को जनादेश मिला। 

पुराने चेहरों को ही मिलता रहा जनादेश 

अब बिहार का बंटवारा हो चुका था। झारखंड अलग राज्य बना। इसके बाद हुए पहले चुनाव में 2004 में केवल तीन महिलाएं ही जीत हासिल कर सकीं। इनमें सहरसा से रंजीत रंजन, आरा से कांति सिंह और सासाराम से मीरा कुमार शामिल थीं।

परिसीमन के बाद 2009 में चुनाव हुआ तो शिवहर से रमा देवी, उजियारपुर से अश्वमेध देवी, आरा से मीना सिंह और सासाराम से मीरा कुमार ने विजयश्री की माला पहनी। इनमें रमा देवी और मीरा कुमार पहले भी सांसद बन चुकी थीं।

इसके बाद के दो चुनावों में तीन-तीन महिलाएं ही प्रतिनिधित्व का मौका हासिल कर सकीं। 2014 में मुंगेर से वीणा देवी, शिवहर से रमा देवी और सुपौल से रंजीत रंजन जबकि 2019 में शिवहर से एक बार फिर रमा देवी, वैशाली से वीणा देवी और सिवान से कविता सिंह सांसद बनीं।

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