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सादगी हुई दूर अब शाही शादियों का है चलन

शहर की गलियों में मैरिज ब्यूरो के बोर्ड और बेहिसाब मेट्रोमोनियल साइट्स देखकर शादियों केबदलते अंदाज का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। दिल्ली एनसीआर में तो रिश्ता तय होने से लेकर शादी के सारे इंतजामात तक का वन स्टॉप सॉल्यूशन तैयार है। बस आपका बजट होना चाहिए।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 19 Nov 2016 10:20 AM (IST)Updated: Sat, 19 Nov 2016 10:41 AM (IST)

एक जमाना था जब दिल्ली के गांव देहात के साथ शहरों में भी बड़े बुजुर्ग रिश्ते करवाते थे। तब वर-वधू की शादी खानदान, जाती, पैसे को देखते हुए की जाती थी। कई कड़ी कसौटियों पर खरा उतरने के बाद ही जोडिय़ां बनती थीं। शादी के आयोजनों में भी ज्यादा ताम झाम नहीं हुआ करता था। सादगी से रीति-रिवाज, गाजे बाजे, शहनाई के साथ वैवाहिक आयोजन हुआ करते थे। लेकिन 70 की दशक में दिल्ली में शादी के आयोजनों में अहम परिवर्तन आया। शहर में जोडिय़ां बनाने से लेकर आयोजन स्थल की साज-सज्जा, टेंट, बरात, कपड़े, खान-पान,

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डीजे डांस, हनीमून पैकेज तक का बाजार पनपने लगा। करोल बाग के धर्मचंद अरोड़ा ने दिल्ली में पहले मैरिज ब्यूरो 'रिश्ते ही रिश्ते' की शुरुआत की। तब यह पहल ही थी, रिश्ते बने और बेहद सफल रहे। रिश्ते खोजने की मुश्किलें थोड़ी कम हुई, कुछ सफल रिश्तों के बाद यह निराली पहल चल निकली, फिर क्या शहर में कई मैरिज ब्यूरो की रिवायत भी चल पड़ी। धर्मचंद अरोड़ा की भतीजी पूनम सचदेव बताती हैं कि लोगों ने इन मैरिज ब्यूरो पर काफी भरोसा किया। 17 साल पहले जब चाचा जी के ब्यूरो से जुड़ी तो जाना कि कैसे लोग भरोसेमंद

रिश्ते की चाहत दिल में लिए आते थे। पहले वधू पक्ष के मुकाबले वर पक्ष की अपेक्षाएं ज्यादा रहती थीं। वे उनकी होने वाली वधू में सुंदरता के साथ सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, घर के काम में दक्षता जैसे तमाम गुण चाहते थे, लेकिन अब वधू पक्ष की भी अपेक्षाएं बढ़ गई हैं।

चांदनी चौक के विशाल भारद्वाज बताते हैं कि अब तो लोग खुल कर अपनी अपेक्षाएं बताते हैं। अगर लड़का डॉक्टर है, तो वधू भी डॉक्टर ही चाहिए ताकि उनके अस्पताल या फिर क्लिीनिक में मदद हो सके। इसी तरह अन्य प्रोफेशन में भी यही ट्रेंड है। तो, एक मेट्रीमोनियल वेबसाइट की प्रबंधक श्वेता शर्मा बताती हैं कि अन्य तरह के रिश्ते के साथ अब दूसरी शादी करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। शादी की उम्र में भी फर्क देखने को मिल रहा है। पिछले पांच साल में ही पहले जहां दिल्ली में शादी की उम्र 26-27 हुआ करती थी अब यह बढ़कर 30-32 पहुंच गई है। इतनी सारी वेबसाइट के साथ अब विश्वसनीयता की समस्या भी आन पड़ी है। लव विवाह डॉट काम

मेट्रीमोनियल वेबसाइट के मुताबिक इसके लिए वर व वधू के प्रोफाइल की जांच के लिए खास ध्यान रखा जाता है। इसलिए अब इनके प्रोफाइल को आधार कार्ड के साथ जोड़ा जा रहा है।

विदेशी कलाकार जमाते हैं रंग

रिश्ता तय होने के बाद शादी के आयोजन को शानदार और यादगार तरीके से पूरा करने के लिए शहर में एक वेडिंग प्लानर नाम की पूरी इंडस्ट्री मौजूद है। यहां कम बजट के साथ शाही शादियों के आयोजन के कई विकल्प मौजूद हैं। यदि शादी के आयोजन में विदेशी कलाकारों से रंग जमाना है तो उसके लिए भी इन दिनों कई पैकेज तैयार हैं।

पश्चिम विहार स्थित पांच सितारा होटल रेडीसन के प्रमुख और वेडिंग आर्किटेक्ट आशू गर्ग बताते हैं कि इन दिनों शादियों के लिए हवाई बीच, मेक्सिकन, गोवा बीच, फ्लोरल थीम के साथ शाही लुक देने के लिए रजवाड़ा थीम पर पूरी शादी प्लान की जाती है। इसी थीम में अगर विदेशी कलाकारों की प्रस्तुति शामिल करनी है तो

उसी के माकूल थीम रखी जाती है।

स्वागत समारोह होना चाहिए शानदार

वहीं, हौज खास में वेडिंग इवेंट कंपनी चलाने वाली श्वेता रश्मी बताती हैं कि शादी को इवेंट के प्रारूप में देखा जाता है। अगर शादी का थीम देसी और रजवाड़ों पर है तो उसमें पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल नगाड़े रखे जाते हैं। इन सबके बीच बॉलीवुड थीम तो हमेशा से ही फिट फार्मूला रहा है। अब तो शादी आयोजन से पहले वर वधू बॉलीवुड डांस भी सीखते हैं। कुछ शादी समारोह में उजबेकिस्तान से भी कलाकार आते हैं जो बेली डांस करते हैं। इन सब आयोजनों को रोचकसूत्र में बांधने के लिए एंकर भी रखा जाता है जो स्टैंड अप कॉमेडी भी करते हैं।

बालरूम डांस का बढ़ा चलन

वेडिंग प्लानर गुंजन बंसल बताती हैं कि इन दिनों शादियों में बॉलीवुड के एक्टर और सिंगर भी खूब शादियों में शिरकत करते हैं। इसके साथ देसी शादियों में विदेशी कलाकारों के साथ साथ विदेशी मेहमानों की भी मांग बढ़ गई है। खासकर छोटे शहरों में तो लोग तीन- चार विदेशी मेहमान की मांग करते हैं जिसके लिए उन्हें अच्छे पैसे भी मिलते हैं। दिल्ली में शादियों के सीजन के दौरान काफी कलाकार रशिया, यूरोप, उजबेकिस्तान से आते हैं। उनके लिए यह सीजन कमाई का होता है। एक कार्यक्रम के उन्हें अच्छे पैसे मिल जाते हैं। इन कलाकारों में जगलर, एक्रोबेट, मुंह से आग निकालने वाले विशेषज्ञ जैसे कई स्टंट भी करते हैं। इसके साथ मेहमानों के स्वागत के लिए भी स्वागत डांस का आयोजन होता है।

खासकर वर-वधू के आयोजन स्थल में प्रवेश के वक्त तो विदेशी डांस होता है जो इनका स्वागत खास तरह से करते हैं। बालरूम डांस का आयोजन की भी खास मांग रहती है। शहर के ऑफलाइन मैरिज ब्यूरो पिछले कुछ सालों से फिर से डिमांड में आ गए हैं। लोगों की च्वाइस बदली है। लोग खूबसूरती को तवज्जो नहीं देते बल्कि परिवार, नौकरी व खानदान देखते हैं। आज के दौर में लोग शादी जैसी संस्था से भी डरे हुए हैं। ऐसे में मैरिज ब्यूरो के पास इस तरह की मांग आती है कि पूरे खानदान का ब्यौरा जुटाकर दें कि परिवार के किसी भी सदस्य में शादी टूटी तो नहीं है। ग्रोवर के मुताबिक लड़का हो या लड़की अब दोनों ही पक्ष इस तरह की जिम्मेदारी भी चाहते हैं कि शादी के बाद वर या वधु सही निकलें। ऐसे में मैरिज ब्यूरो के लोग इसी तरह से पूरी जांच पड़ताल करके रिश्ता हाथ में लेते हैं। अब जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं।

-अनिल सत्य ग्रोवर, संचालक, सत्या मेट्रीमनी, गुरुग्राम

प्रस्तुति: विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली

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