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Maharashtra: 20 दिसंबर तक मुंबई निकाय वार्डों के परिसीमन को आगे नहीं बढ़ाएंगी महाराष्ट्र सरकार

जस्टिस एस वी गंगापुरवाला और ए एस डॉक्टर की खंडपीठ दो पूर्व पार्षदों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को चुनौती दी गई थी। जिसमें निर्वाचित पार्षदों की संख्या 236 से घटाकर 227 कर दी गई थी।

By AgencyEdited By: Shashank MishraPublished: Wed, 30 Nov 2022 05:12 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2022 05:12 PM (IST)
Maharashtra: 20 दिसंबर तक मुंबई निकाय वार्डों के परिसीमन को आगे नहीं बढ़ाएंगी महाराष्ट्र सरकार
अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की है।

मुंबई, पीटीआई। महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया तब तक आगे नहीं बढ़ाएगी जब तक कि बृहन्मुंबई नगर निगम में वार्डों की संख्या कम करने के खिलाफ दायर याचिका पर अगली सुनवाई नहीं हो जाती। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की है। जस्टिस एस वी गंगापुरवाला और ए एस डॉक्टर की खंडपीठ दो पूर्व पार्षदों द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें बीएमसी की सीमा के भीतर सीधे निर्वाचित पार्षदों की संख्या 236 से घटाकर 227 कर दी गई थी।

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HC मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को करेगा

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विक्रम ननकानी ने बुधवार को अदालत को बताया कि सुनवाई की अगली तारीख तक सरकार बीएमसी के संबंध में परिसीमन प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाएगी। पीठ ने इस बयान को स्वीकार किया और कहा कि याचिकाकर्ताओं की आशंका का समाधान कर दिया गया है। एचसी ने मामले को 20 दिसंबर को सुनवाई के लिए आगे बढ़ाया है।

बता दें नवंबर 2021 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने बीएमसी वार्डों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 करने का फैसला किया था। एमवीए सरकार इस साल जून में गिर गई थी। बाद में शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से सरकार बनाई थी।

अगस्त में शिंदे सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर संख्या को 227 पर वापस ला दिया था। बीएमसी के पूर्व पार्षदों राजू पेडनेकर और समीर देसाई ने अपनी याचिकाओं में इस फैसले को चुनौती दी और कहा कि इसने समय को वापस लाने की मांग की थी। राज्य के शहरी विकास विभाग ने बुधवार को दायर एक हलफनामे में कहा कि याचिकाएं "गुप्त उद्देश्यों" के साथ दायर की गई हैं और उन्हें अनुकरणीय लागत के साथ खारिज किया जाना चाहिए।

सरकार ने कहा कि जिस कारण से उसे लगा कि वार्डों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है, वह यह है कि जनसंख्या वृद्धि बहुत कम थी। 2011 की जनगणना के अनुसार पार्षदों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 करना अपर्याप्त पाया गया। राज्य निर्वाचन आयोग ने याचिकाओं के जवाब में बुधवार को दायर अपने हलफनामे में कहा कि 2021 में जब महाराष्ट्र सरकार द्वारा सीटों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 की गई थी तो एसईसी को पूर्व के संबंध में पहले से किए गए कार्यों को रद करना पड़ा था।

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इसने कहा कि पिछली एमवीए सरकार ने तब मुंबई नगर निगम अधिनियम में संशोधन किया था जिसके द्वारा परिसीमन के लिए एसईसी की शक्तियों को वापस ले लिया गया था और शक्ति राज्य को सौंपी गई थी। संशोधन को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी और यह मुद्दा अभी भी लंबित है। हलफनामे में कहा गया है, "अगस्त 2022 में, वर्तमान महाराष्ट्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया था जिसके द्वारा वार्डों की संख्या एक बार फिर 236 से घटाकर 227 कर दी गई। इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है।"

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