शिवसेना के दोनों धड़े दशहरा रैली में अधिक भीड़ जुटाने में जुटे, सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को चिढ़ाने में लगे
शिंदे कैंप के विधायकों और सांसदों को कम से कम दो हजार से तीन हजार लोग रैली में लाने को कहा गया महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे के कैंप की प्रवक्ता शीतल महात्रे ने शुक्रवार को बताया कि यह अब तक की सबसे बड़ी रैली होगी।
मुंबई, मिड डे। शिवसेना के दोनों धड़े 5 अक्टूबर को दशहरा रैली में अपनी-अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने का अवसर नहीं चूकना चाहते हैं। इसलिए दोनों धड़े पांच अक्टूबर को होने वाले इस आयोजन में अधिकाधिक भीड़ जुटाने का इंतजाम करने में जुट गए हैं। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के खेमों में भीड़ प्रबंधन की होड़ लग गई है। ठाकरे की रैली में पार्टी के शाखा प्रमुख और जिला प्रमुख पर सब निर्भर करता है। वहीं शिंदे की रैली में भीड़ बढ़ाने के लिए विधायकों और सांसदों का भरपूर जोर है।
शिंदे कैंप के विधायकों और सांसदों को कम से कम दो हजार से तीन हजार लोग रैली में लाने को कहा गया महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे के कैंप की प्रवक्ता शीतल महात्रे ने शुक्रवार को बताया कि यह अब तक की सबसे बड़ी रैली होगी। मुंबई वासियों को भीड़ और ट्रैफिक से कोई परेशानी नहीं होगी। सूत्रों का कहना है कि शिंदे खेमे में सभी विधायकों और सांसदों को कम से कम दो हजार से तीन हजार लोग रैली में लाने को कहा गया है। शिंदे के खेमे में 40 विधायक और 12 सांसद हैं।
उद्धव गुट के सभी शाखा प्रमुखों को कम से कम 150 लोग लाने को कहा गया
इसी तरह उद्धव ठाकरे के खेमे की प्रवक्ता किशोरी पेडनेकर ने कहा कि शिवसेना के लिए हमेशा से दशहरा रैली एक त्योहार की तरह रही है। कार्यकर्ता पूरे महाराष्ट्र से आते हैं और इस साल भी शिवाजी पार्क आएंगे। सूत्रों के अनुसार मुंबई के सभी शाखा प्रमुखों को कम से कम 150 लोग लाने को कहा गया है। उद्धव गुट रैली को लेकर विश्वासघात के खिलाफ वफादारी की वकालत कर रहा है और कह रहा है कि अनगिनत वफादार शिवाजी पार्क में उमड़ेंगे।
इसमें कहा गया है कि आक्रमणकारियों के खिलाफ मराठा सेना की ऐतिहासिक जीत की यादों को वापस लाते हुए सेना अपने भगवा ध्वज को अटक से आगे ले जाएगी। इसने संस्थापक बाल ठाकरे की प्रसिद्ध उद्घाटन पंक्तियों का उपयोग किया है - 'मेरे प्यारे हिंदू भाइयों और बहनों जो यहां एकत्र हुए हैं ..."
सोशल मीडिया पर एक दूसरे को चिढ़ा रहे हैं शिवसेना के दोनों गुट
शिवसेना के दोनों गुट डिजिटल प्लेटफार्म पर एक-दूसरे को चिढ़ाने में लगे हैं। दोनों गुट अपने आप को असली शिवसेना होने का दावा कर रहे हैं। टीजर में उनके बीच एक समान तत्व है दिवंगत बाल ठाकरे। उन्होंने छह दशक पहले शिवसेना की स्थापना की थी और हर दशहरा शाम को प्रतिष्ठित शिवाजी पार्क में अपने बयानों के साथ पार्टी का नेतृत्व किया। यहीं पर उन्होंने अपने बेटे उद्धव ठाकरे को कमान सौंपी थी, जो अब पार्टी में अब तक के सबसे बड़े विभाजन पर बातचीत कर रहे हैं।
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