म्यांमार में इंटरनेशनल साइबर रैकेट का खुलासा, थाईलैंड में नौकरी का झांसा देकर भारत और दुबई के 1500 लोगों को बनाया बंधक
मोबाइल लोन एप के बाद चीन के शातिर साइबर अपराधियों ने एक बार फिर भारत को अपना शिकार बनाया है। मुंबई पुलिस ने एक ऐसे ही गिरोह के नेटवर्क का पता लगाया है। थाईलैंड में नौकरी के सपने दिखाकर म्यांमार में करीब 3500 लोगों को बंधक बना लिया गया है।
मुंबई, मिड डे। मोबाइल लोन एप के बाद चीन के साइबर अपराधियों ने एक बार फिर भारत के लोगों को अपना शिकार बनाया है। आकर्षक सैलरी की नौकरी का झांसा देकर चीनी माफिया भारत के युवाओं के जरिए साइबर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। मुंबई की बांद्रा पुलिस ने एक ऐसे ही चीनी गिरोह के नेटवर्क का पता लगाया है। थाईलैंड में नौकरी के सपने दिखाकर चीन के साइबर अपराधियों ने म्यांमार में करीब 3500 लोगों को बंधक बना लिया है। भारत और दुबई के लगभग 1500 नागरिक म्यांमार में चीनी जालसाजी के शिकार हो गए हैं।
म्यांमार में सैंकड़ों भारतीय को बनाया बंधक
म्यांमार में फंसे अपहृत युवकों ने मुबंई पुलिस को फोन पर पूरी कहानी बताई। उन्होंने बताया कि वहां लगभग 1500 भारतीय और दुबई के नागरिक साइबर अपराधियों की कैद में है। भारत से नौकरी के बहाने विदेश ले जाकर उन्हें साइबर धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। दुनिया भर से करीब 3500 लोग म्यांमार में फंसे हैं। उनके खाने-पीने और परिजनों से बात करने पर भी पांबदी लगी है।
15-15 घंटे ड्यूटी और इलेक्ट्रिक शाक
मुंबई और आसपास के इलाकों में जांच के दौरान कुछ लोगों ने चौंकाने वाला खुलासे किए हैं। लोगों ने बताया कि थाईलैंड में आईटी नौकरी का झांसा देकर उन्हें म्यांमार ले जाकर बंधक बना लिया गया। उन्हें छोड़ने की शर्त पर अपराधियों ने कहा कि छह महीने के अंदर उन्हें $ 19,000 (15 लाख रुपये से अधिक) का फायदा कराना होगा, तभी उनका पासपोर्ट और वीजा वापस किया जाएगा। म्यांमार में फंसे भारतीय लोगों ने पुलिस को बताया कि वहां उन्हें दिन में 15 घंटे से अधिक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और लक्ष्य प्राप्त नहीं करने पर बिजली के झटके लगाए जाते हैं। छोटी-छोटी गलतियों पर उनके साथ वहां मारपीट की जाती है।
पीड़ितों ने रिहाई के लिए लगाई गुहार
सहयोगी वेबसाइट मिड डे की टीम ने वहां फंसे कुछ भारतीयों से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि उनके साथ अब तक ऐसा बर्ताव नहीं हुआ है। मगर जल्द अगर रिहाई नहीं हुई उन्हें भी इसी टार्चर का सामना करना पड़ सकता है। मुंबई और आसपास के इलाकों के कई लोग वहां फंसे हुए हैं। उन्हें थाईलैंड में एक आईटी कंपनी में नौकरी का वादा किया गया था, जहां उन्हें प्रति माह $ 1200 यानि करीब 96 हजार रुपये सैलरी देने की बात कही गई थी।
थाईलैंड से म्यांमार ले गए अपराधी
वहीं, एक भारतीय ने बताया कि थाईलैंड पहुंचने तक सब कुछ वादे के मुताबिक था लेकिन उसके बाद सब कुछ बदल गया। पहले उन्होंने हमारे पासपोर्ट और वीजा जब्त किए और हमें एक कार में बिठाकर म्यांमार ले गई। वहां पहुंचने में उन्हें 9 घंटे लगे। वहां सभी को डिटेंशन सेंटर जैसे छोटे कमरों में रखा गया और उसी परिसर में कॉल सेंटर ले जाया गया। पीड़ितों ने बताया कि पूरी यात्रा के दौरान आर्म्स गार्ड उनके साथ थे।
नौकरी के नाम पर कराई जाती है साइबर ठगी
पीड़ितों ने बताया कि उनसे कहा गया कि ग्राहक सेवा का काम है, लेकिन यह एक साइबर धोखाधड़ी का जाल है, जिसमें उन्हें धोखे से फंसा लिया गया। वहां उनसे अनजान लड़कियों की प्रोफाइल बना कर भोले-भाले लोगों से दोस्ती करके जाल में फंसाया की तरकीब सिखाई जा रही थी। फेक प्रोफाइल से दोस्ती करने के बाद क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने के नाम पर ठगी को अंजाम दिया जा रहा था।
अगर कोई व्यक्ति लड़कियों से कॉल या वीडियो कॉल पर बात करने की इच्छा जाहिर करता तो वे लड़कियों को भी इसके लिए तैनात रखते हैं। पीड़ितों ने बताया कि वे लोगों को तब तक ठगते रहते हैं जब तक कि उनका पूरा पैसा खत्म नहीं हो जाता या उन्हें अपने साथ हुई धोखाधड़ी का एहसास नहीं हो जाता।
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पुलिस ने एक को गिरफ्तार किया
मुंबई पुलिस ने बताया कि विभिन्न देशों में इन साइबर अपराधियों का नेटवर्क फैला है। इनके एजेंट लोगों के लिए वीजा की व्यवस्था करते हैं। मुंबई पुलिस ने इस मामले में लखनऊ हवाई अड्डे से 32 वर्षीय लाइबेरियाई नागरिक इमैनुएल ग्रीन को गिरफ्तार किया है, जो भारत से भागने की फिराक में था। पुलिस ने बताया पीड़ितों से पूछताछ में कुछ चीनी नागरिकों सहित कई नाम सामने आए हैं, जो थाईलैंड और म्यांमार में साइबर अपराध का नेटवर्क चला रहे हैं, जबकि इनके दो साथी दुबई से काम कर रहे हैं।