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MP Cabinet Expansion: मध्य प्रदेश में ओबीसी बहुल होगी यादव कैबिनेट, विस्तार की गाइडलाइन तय

शीर्ष नेतृत्व ने मंत्रियों के चयन के लिए जो मानक तय किए हैं उनमें सबसे महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार का मुद्दा है। जिस विधायक पर भ्रष्टाचार का आरोप होगा या उसकी छवि समाज में नकारात्मक होगी उसे मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया जाएगा। उन नेताओं को भी कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने पर विचार किया जा रहा है जो लंबे समय से मंत्री रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerPublished: Tue, 19 Dec 2023 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 19 Dec 2023 06:30 AM (IST)
एमपी में ओबीसी बहुल होगी यादव कैबिनेट (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश में अब भाजपा की राजनीति का केंद्र ओबीसी वर्ग होगा। पार्टी नेताओं की दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व के साथ हुई बैठक में प्रदेश के नेताओं को भी इस बात से अवगत करा दिया गया है। मंत्रिमंडल विस्तार में भी इसकी झलक दिखाई देगी। बैठक में शामिल हुए प्रदेश के सभी बड़े नेताओं की ओर से प्रस्तावित नामों की सूची भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पास है, लेकिन इस पर किसी तरह का अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

बताया जा रहा है कि अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष द्वारा अंतिम सूची तैयार की जाएगी। बैठक में शीर्ष नेतृत्व ने मंत्रियों के चयन के लिए अलग-अलग तरह के पैरामीटर (मानक) बनाए हैं, उसी आधार पर चयन होगा।

प्रदेश से मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, प्रदेश संगठन और संघ द्वारा प्रस्तावित नामों की सूची भेजी गई थी। इसके अलावा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और पूर्व केंद्रीय मंत्री व विधायक प्रहलाद पटेल से भी सुझाव लिए गए हैं।

किसको मिलेगा अवसर और किसको नहीं 

शीर्ष नेतृत्व ने मंत्रियों के चयन के लिए जो मानक तय किए हैं, उनमें सबसे महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार का मुद्दा है। जिस विधायक पर भ्रष्टाचार का आरोप होगा या उसकी छवि समाज में नकारात्मक होगी, उसे मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया जाएगा। उन नेताओं को भी कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने पर विचार किया जा रहा है, जो लंबे समय से मंत्री रहे हैं। ऐसे दावेदारों के लिए तीन कार्यकाल की अवधि तय की गई है।

जिन दावेदारों के नामों पर सहमति बनेगी, उनका जाति, वर्ग और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर चयन किया जाएगा। इसमें लोकसभा क्षेत्र का भी ध्यान रखा जाएगा। लोकसभा चुनाव का अनुमान और विधानसभा चुनाव के परिणाम को भी देखा जाएगा। जिन दावेदारों के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी, उनसे संघ और भाजपा संगठन की सहमति अवश्य ली जाएगी। जिन नामों पर संघ और संगठन खुश नहीं हैं, उन्हें अवसर नहीं मिलेगा।

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