Mahakal Lok Ujjain: विध्वंस की कहानी पीछे छोड़ वैभव की कथा कहने के लिए सजा महाकाल लोक
Mahakal Lok Ujjain महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) का वैभव फिर समूची सृष्टि में गूंजने वाला है। नवनिर्मित महाकाल लोक विध्वंस की तमाम कहानियों को पीछे छोड़कर सनातन धर्म के वैभव की अनूठी कथा कहने के लिए तैयार है। 11 अक्टूबर को पीएम मोदी इसे लोकार्पित करने उज्जैन पहुंचेंगे।
उज्जैन, ईश्वर शर्मा/राजेश वर्मा। Mahakal Lok Ujjain: मध्य प्रदेश का उज्जैन नगर इन दिनों पुलकित और प्रसन्नचित्त है। यहां के महाकालेश्वर या महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) का वैभव फिर समूची सृष्टि में गूंजने वाला है। वर्ष 1235 में आक्रांता इल्तुतमिश द्वारा तोड़े जाने के बाद वर्ष 1734 में यहां मराठा शासक राणौजी शिंदे का शासन स्थापित हुआ और उन्होंने इसका पुनर्निर्माण करवाया।
11 अक्टूबर को होगा लोकार्पित
इसके करीब 300 वर्ष बाद अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के कालखंड में यहां 'महाकाल लोक' का निर्माण किया गया है।नवनिर्मित महाकाल लोक विध्वंस की तमाम कहानियों को पीछे छोड़कर सनातन धर्म के वैभव की अनूठी कथा कहने के लिए तैयार है। 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री इसे लोकार्पित करने उज्जैन पहुंच रहे हैं।
पीएम मोदी का विजन, विद्वानों का सृजन, शिवराज का संकल्प
महाकाल लोक पौराणिक कालखंड से लेकर वर्तमान तक का आख्यान है। इसमें जहां पुराणों में वर्णित शिव कथाओं का वर्णन है, वहीं निर्माण व साज-सज्जा में अत्याधुनिक शैली और तकनीक की झलक है। यह पीएम मोदी के विजन व धर्म के प्रति समर्पण, सनातन धर्म के विद्वानों के वैचारिक सृजन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दृढ़ संकल्प और स्थानीय प्रशासन की प्रतिबद्धता से बनकर तैयार हो सका है।
5000 वर्ष के इतिहास का नया अध्याय बनेगा
महाकाल लोक महाकाल लोक के लोकार्पण के साथ ही, उज्जैन के 5000 वर्षों के लिखित-पूजित इतिहास में एक और नया अध्याय जुड़ जाएगा। महाकवि कालिदास व जनकवि तुलसीदास की रचनाओं में महाकाल मंदिर व उज्जैन का उल्लेख मिलता है। राजा विक्रमादित्य, राजा चंद्रप्रधोत, राजा भोज ने भी इस मंदिर में निर्माण कार्य करवाया था। बाद में हर कालखंड में हिंदू सम्राट से लेकर सिंधिया वंश के राजा यहां पूजन-अर्चन करते रहे। यह भूमि सदियों से भारत के शास्त्रों, ग्रंथों में उल्लिखित और लोक जीवन में पूजनीय है। महाकाल मंदिर का जो वर्तमान स्वरूप है, उसे वर्ष 1734 से लेकर 1863 के बीच मराठा शासकों ने बनवाया था।
'लोक' के लिए हुई खोदाई में मिले शुंग कालीन प्रमाण
महाकाल लोक बनाने के लिए मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग ने एक वर्ष पहले मंदिर परिसर में खोदाई करवाई थी। शोध अधिकारी डा.ध्रुवेंद्र जोधा ने बताया यहां से मिट्टी के बर्तन, ईट आदि के रूप में 2000 वर्ष पुराने शुंग कालीन प्रमाण प्राप्त हो चुके हैं। साथ ही, करीब 1000 वर्ष पुराना शिव मंदिर, चतुर्भुजी चामुंडा, अष्टभुजी गणेश, तिरपुरांतक शिव, कार्तिकेय की पत्नी कौमारी की मूर्तियां भी प्राा हुई हैं। इनके चलते महाकाल मंदिर धर्म, संस्कृति, इतिहास के रहस्यों को जानने व समझने का प्राचीन केंद्र भी है।
भगवान कृष्ण भी थे महाकाल के भक्त
महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्थान के निदेशक डा.पीयूष त्रिपाठी के अनुसार चारों युग (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग व कलियुग) में महाकाल की महिमा का उल्लेख मिलता है। महाभारत, स्कंद पुराण, भगवान श्रीकृष्ण रचित महाकाल सहस्त्रनामवली में महाकाल की आराधना है। भगवान बुद्ध के समय महाकाल महोत्सव आयोजित होता था। संवत प्रवर्तक राजा विक्रमादित्य ने महाकाल मंदिर का विस्तार कराकर पूजा की शास्त्रसम्मत व्यवस्था लागू की थी। सातवीं शताब्दी में बाणभट्ट ने महाकाल मंदिर के वैभव को रेखांकित किया। राजा भोज ने महाकाल मंदिर का विस्तार करवाकर वैभव को बढ़ाया।
महाकाल लोक के लोकार्पण से मंदिर के इतिहास में नया अध्याय जुड़ेगा
महाकाल मंदिर में वर्ष 1005 से 11वीं शताब्दी तक अनेक निर्माण हुए। राजाभोज के वंशज उदयादित्य ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। उस दौर के शिलालेख आज भी हैं। महाकाल लोक के लोकार्पण से इस महान मंदिर के इतिहास में नया अध्याय जुड़ेगा।
-डा. रमण सोलंकी, पुरातत्ववेत्ता, उज्जैन।