दंपती के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश हाई कोर्ट पहुंची भारत सरकार
दत्तक पुत्र के अपहरण और हत्या में वांछित हैं दोनों। निचली अदालत ने ठुकरा दिया था प्रत्यर्पण का अनुरोध।
लंदन, प्रेट्र। दत्तक पुत्र की हत्या के मामले में वांछित दंपती के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार ने अब ब्रिटेन के हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बता दें कि इससे पहले वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट की चीफ मजिस्ट्रेट एम्मा अर्थबथनॉट ने मानवाधिकारों पर यूरोपीय कन्वेंशन का हवाला देते हुए भारत सरकार के प्रत्यर्पण के अनुरोध को खारिज कर दिया था। अर्थबथनॉट वही न्यायाधीश हैं, जिन्होंने किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था।
अदालत में प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रही ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कहा है कि वह भारतीय मूल की ब्रिटिश नागरिक आरती धीर और उनके पति कवल रायजादा से जुड़े मामले में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश के खिलाफ अपील की अनुमति मांगेगी। दोनों पर अपने 11 वर्षीय दत्तक पुत्र गोपाल सेजानी और उसके रिश्तेदार हरसुखभाई करदानी की हत्या का आरोप है।
गुजरात पुलिस की एक जांच में दावा किया गया है कि आरोपितों ने पहले गोपाल को गोद लेने का षड्यंत्र रचा और फिर उसका 1.3 करोड़ रुपये का बीमा कराया। फरवरी 2017 में भारत में ही बच्चे का अपहरण करके हत्या कर दी और बीमा की सारी रकम का भुगतान ले लिया।
सीपीएस के प्रवक्ता ने कहा कि हमने भारतीय अधिकारियों की तरफ से अपील दायर की है। मेरिट के आधार पर एकल न्यायाधीश की पीठ अपील पर विचार करेगी। अगर अपील स्वीकार कर ली जाती है तो फिर अगले कुछ महीनों में सुनवाई शुरू होगी। दरअसल, दोनों आरोपितों को जून 2017 में ब्रिटेन में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया गया था।