कनाडा के बाद ब्रिटेन में उठी भारत में हो रहे किसान आंदोलन के पक्ष में आवाज, तुरंत समाधान को लेकर दबाव बनाया

सांसदों के पत्र में मंत्री से आग्रह है कि वे पंजाब में बिगड़ती स्थिति पर चर्चा करने के लिए उनके साथ एक तत्काल बैठक करें। कहा गया कि यह ब्रिटेन में सिखों और पंजाब से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से चिंता का विषय है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 04:35 PM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 04:35 PM (IST)
कनाडा के बाद ब्रिटेन में उठी भारत में हो रहे किसान आंदोलन के पक्ष में आवाज, तुरंत समाधान को लेकर दबाव बनाया
ब्रिटेन में उठी भारत में हो रहे किसान आंदोलन के पक्ष में आवाज, तुरंत समाधान को लेकर दबाव।

लंदन, पीटीआइ। भारत में किसानों का विरोध दिन पे दिन बढ़ता जा रहा है। सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के संबंध में यह विरोध हो रहा है। किसानों द्वारा राजधानी दिल्ली का ये विरोध विदेशों में भी देखने को मिल रहा है। यहां तक की कनाडा देश ने भारत के इस आंतरिक मामले में हस्ताक्षेप किया। अब जहां ब्रिटेन से भी किसानों के पक्ष में आवाज उठी है।

भारत में जारी किसान आंदोलन के समर्थन में ब्रिटेने के 36 सासंद सामने आए हैं। वहां की लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी के नेतृत्व में 36 ब्रिटिश सांसदों ने राष्ट्रमंडल सचिव डोमिनिक राब को चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि वे अपने समकक्ष भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शनों पर अपडेट लें। कहा गया है कि भारत में प्रदर्शन से यहां के पंजाबियों में भी आक्रोश है और वे प्रभावित हो रहे हैं। भारत सरकार द्वारा यहां के ब्रिटिश पंजाबियों के साथ भी बातचीत करनी चाहिए।

शुक्रवार को जारी किए गए इस पत्र को ब्रिटिश सिख लेबर सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने ड्राफ्ट किया है और इस पर लैबर के वीरेंद्र शर्मा, सीमा मल्होत्रा और वैलेरी वाज के साथ-साथ अन्य लेबर लीडर जेरेमी कॉर्बिन सहित अन्य भारतीय मूल के सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। वहीं, भारत ने किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन पर विदेशी नेताओं और राजनेताओं द्वारा की गई टिप्पणी को 'गैर-जरूरी' और 'अनुचित' कहा है क्योंकि यह मामला एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित है।

सांसदों के पत्र में मंत्री से आग्रह है कि वे पंजाब में बिगड़ती स्थिति पर चर्चा करने के लिए उनके साथ एक तत्काल बैठक करें। कहा गया कि यह ब्रिटेन में सिखों और पंजाब से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से चिंता का विषय है, हालांकि यह अन्य भारतीय राज्यों पर भी भारी पड़ता है। कई ब्रिटिश सिखों और पंजाबियों ने अपने सांसदों के साथ इस मामले को उठाया, क्योंकि वे पंजाब में परिवार के सदस्यों और पैतृक भूमि से सीधे प्रभावित हैं। तनमनजीत सिंह ने कहा कि पिछले महीने कई सांसदों ने आपको और लंदन में भारतीय उच्चायोग को किसानों और जो खेती पर निर्भर हैं उनके शोषण को लेकर तीन नए भारतीय कानूनों के प्रभावों के बारे में लिखा था।

वहीं, इससे पहले कनाडा में भारत के इस आंतरिक मामले में दखल दिया था। जिसपर भारत ने आपत्ति जताते हुए वहां के उच्‍चायुक्‍त को तलब किया था। शुक्रवार को कनाडाई सरकार को कड़ी चेतावनी दी कि यदि भारत के मुद्दों में दखलंदाजी का सिलसिला जारी रहा तो इससे द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हो सकता है। विदेश मंत्रालय ने कनाडाई उच्‍चायुक्‍त को समन भेज किसानों के आंदोलन पर प्रधानमंत्री जस्‍टिन ट्रूडो की प्रतिक्रिया को लेकर कड़ी फटकार लगाई। ट्रूडो ने किसानों के आंदोलन को लेकर चिंता जाहिर की थी।

ट्रूडो ने गुरुनानक देव के 551वें प्रकाश पर्व पर एक ऑनलाइन इवेंट के दौरान कहा कि वे हमेशा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के पक्ष में रहे हैं। भारत में किसानों के आंदोलन सेे हालात चिंताजनक हो गई है। उन्‍होंने कहा, 'भारत से किसानों के आंदोलन के बारे में खबर आ रही है। स्थिति चिंताजनक है और सच्चाई यह है कि आप भी अपने दोस्तों और परिवारों को लेकर फिक्रमंद हैं। मैं याद दिलाना चाहता हूं कि कनाडा ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन के अधिकार का समर्थन किया।'

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