चीन के खिलाफ चरम पर है ग्वादर के लोगों का गुस्सा, पानी व नौकरी की मांग के साथ ही चेकपोस्ट हटाने की अपील

ग्वादर में स्थानीय लोग क्षेत्र में चीन की मौजूदगी से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि ग्वादर में बेहद मामूली निवेश हुआ है। उन्हें ना तो जल मिलना सुनिश्चित हुआ और ना ही कोई नौकरी मिली है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 03 Jan 2022 03:33 PM (IST) Updated:Mon, 03 Jan 2022 03:44 PM (IST)
चीन के खिलाफ चरम पर है ग्वादर के लोगों का गुस्सा, पानी व नौकरी की मांग के साथ ही चेकपोस्ट हटाने की अपील
पाकिस्तान के लोकलुभावन दावों के बावजूद ग्वादर में स्थानीय लोग क्षेत्र में चीन की मौजूदगी से बेहद नाराज हैं।

ग्वादर, एएनआइ। पाकिस्तान के लोकलुभावन दावों के बावजूद ग्वादर में स्थानीय लोग क्षेत्र में चीन की मौजूदगी से बेहद नाराज हैं। उनकी यह भी शिकायत है कि ग्वादर में बेहद मामूली निवेश हुआ है। इससे उनके जीवन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्हें ना तो जल मिलना सुनिश्चित हुआ और ना ही कोई नौकरी मिली है। पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डान के अनुसार 'ग्वादर को हुकूक दो तहरीक' (ग्वादर के अधिकारों के लिए आंदोलन) मुहिम की सफलता भी इसलिए संभव हुई क्योंकि लोग पाकिस्तानी प्रशासन के दमन से तंग आ चुके हैं।

दक्षिण एशियाई शोधों के यूरोपीय फाउंडेशन के अनुसार इमरान खान सरकार पर ग्वादर के लोगों का गुस्सा देखते हुए खतरा मंडराने लगा है। स्थानीय लोगों की कई मांगों में से एक अहम मांग है कि प्रमुख सड़कों पर जगह-जगह लगाए गए अनावश्यक चेकपोस्ट हटाए जाएं। इनमें अधिकांश चेकप्वाइंट चीन-पाकिस्तान इकोनामिक कारिडोर प्रोजेक्ट (सीपीईसीपी) के रास्ते में बनाए गए हैं। इसके अलावा, इस आंदोलन के एक नेता मौलाना हिदायत ने इन रास्तों पर अवैध ट्रालर चलाने से रोका था।

सिंध प्रांत और अन्य देशों से भी आए मछुआरे इस इलाके के जल क्षेत्र में अवैध तरीके से मछली पकड़ी जाती है। बलूचिस्तान प्रांत का ग्वादर क्षेत्र कम आबादी वाला पर्वतीय क्षेत्र है जो रेगिस्तान की तरफ से अफगानिस्तान और ईरान से जुड़ा है।  

ये प्रदर्शन ऐसे वक्‍त में हो रहे हैं जब पाकिस्तान और चीन ने बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह का पूरी क्षमता से इस्तेमाल करने का संकल्प लिया है। मालूम हो कि ग्वादर बंदरगाह करीब 60 अरब डालर चीन-पाक आर्थिक करिडोर (सीपीईसी) परियोजना का हिस्सा है। इस परियोजना को चीन ने विकसित किया है। इस पहलकदमी से चीन की पहुंच अरब सागर तक हो गई है। गौर करने वाली बात यह भी है कि चीन-पाक आर्थिक करिडोर (सीपीईसी) परियोजना के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने के कारण इसका विरोध करता है।

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