Water crises in Pakistan: पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन बना बड़ा संकट, चिलचिलाती गर्मी और सूखे के बीच बढ़ी चिंताएं

जलवायु परिवर्तन दक्षिण एशिया के लिए एक बड़ी समस्या है जो दीर्घकालिक चुनौतियां प्रस्तुत करता है जैसे ग्लेशियर का पिघलना समुद्र के स्तर में वृद्धि चरम मौसम की घटनाएं और प्राकृतिक खतरे। यदि ग्लोबल वार्मिंग इसी गति से जारी रहती है तो संभावित विनाशकारी प्रभाव पड़ सकते हैं।

By Ashisha RajputEdited By: Publish:Tue, 17 May 2022 01:34 PM (IST) Updated:Tue, 17 May 2022 01:34 PM (IST)
Water crises in Pakistan: पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन बना बड़ा संकट, चिलचिलाती गर्मी और सूखे के बीच बढ़ी चिंताएं
पाकिस्तान को 2025 तक पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है: शेरी रहमान

इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। देश एक बुरे दौर से गुजर रहा है। देश में आर्थिक संकट के बीच चिलचिलाती गर्मी और पानी की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है। यही नहीं पाकिस्तान को दुनिया के तीन सबसे अधिक जल-तनाव वाले देशों में से एक के रूप में नामित किया गया है। ऐसे में, अब जाकर पाकिस्तान की जलवायु परिवर्तन की संघीय मंत्री शेरी रहमान ने सोमवार को पानी की कमी का मुद्दा उठाया है।

देश में पड़ा भयंकर सूखा

सोमवार को प्रधान मंत्री कार्यालय में एक बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, संघीय मंत्री शेरी रहमान ने चेतावनी दी कि पाकिस्तान को 2025 तक पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि देश में प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने तपती गर्मी और ग्लेशियरों के पिघलने के बीच जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है। मंत्री ने आगे गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भविष्य में और अधिक ग्लेशियर फटेंगे, जो बेहद भयानक हो सकते हैं। संघीय मंत्री शेरी रहमान ने कहा कि कोटरी बैराज के डाउनस्ट्रीम के बाद, सिंधु नदी जिसपर देश के प्रमुख कृषि निर्भर करती थी, विशेष रूप से पानी की भारी कमी का सामना कर रही थी।

पाकिस्तानी अखबार डान ने बताया, 'वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट 2022' ने आगाह किया है कि देश में गर्मी की लहरें प्रति दशक 0.71 दिनों की दर से बढ़ने का अनुमान है, साथ ही पाकिस्तान में सूखे की तीव्रता और गंभीरता में भी वृद्धि होगी। वहीं वाशिंगटन स्थित अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआइ) द्वारा जारी एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में पानी की कमी , जलवायु परिवर्तन के साथ और खराब होने का अनुमान है।

इस साल पढ़ रही भयंकर गर्मी से सबकी हालत खराब है,वहीं इसका सीधा प्रभाव नदियों पर पड़ रहा है। बता दें कि दक्षिण एशिया में नदियों का एक महत्वपूर्ण स्रोत, हिमालय के ग्लेशियर हैं, 2000 के बाद से , पूरे बीसवीं सदी की तुलना में यह ग्लेशियर अधिक द्रव्यमान खो चुके हैं।

पाकिस्तान के कई प्रांत भयंकर सूखे का समाना कर रहे है। जल संकट से देश के हालात प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं। क्योंकि हाल ही में नदी की आपूर्ति की कुल संख्या 97 हजार क्यूबिक फीट प्रति सेकंड (क्यूसेक) हो गई है, जबकि देश में राष्ट्रीय पानी की कमी कुल गणना 29 फीसद के मुकाबले 51 फीसद तक नीचे गिर गई है। दुनिया के पांच बेसिनों की बात की जाए तो जहां पानी की कमी के कारण सकल घरेलू उत्पाद का नुकसान सबसे अधिक होने का अनुमान है। वे तीन (सिंधु, साबरमती और गंगा-ब्रह्मपुत्र) दक्षिण एशिया में हैं।

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