प्रतिबंध हटाने की बात पर अटके ट्रंप-किम वार्ता के पहिए, दुनिया को निराशा हाथ लगी

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पोंपियो का कहना है कि प्रतिबंध हटाने से पहले ही उत्तर कोरिया को परमाणु निशस्त्रीकरण की दिशा में कदम उठाना होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 28 Feb 2019 06:46 PM (IST) Updated:Thu, 28 Feb 2019 06:46 PM (IST)
प्रतिबंध हटाने की बात पर अटके ट्रंप-किम वार्ता के पहिए, दुनिया को निराशा हाथ लगी
प्रतिबंध हटाने की बात पर अटके ट्रंप-किम वार्ता के पहिए, दुनिया को निराशा हाथ लगी

द न्यूयॉर्क टाइम्स, हनोई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की वार्ता से नतीजे की उम्मीद कर रही दुनिया को निराशा हाथ लगी है। वियतनाम की राजधानी हनोई में बुधवार को जोर-शोर से शुरू हुई दो दिवसीय वार्ता के पहिए उत्तर कोरिया से प्रतिबंध हटाने की बात पर अटक गए। उत्तर कोरिया परमाणु ठिकानों पर कोई कदम उठाने से पहले अपने ऊपर लगे सभी प्रतिबंध हटाने का दबाव बना रहा है।

अमेरिका का कहना है कि उत्तर कोरिया पर नियंत्रण के लिए प्रतिबंध बहुत जरूरी हैं। प्रतिबंध हटाने पर तभी विचार होगा, जब उत्तर कोरिया अपने परमाणु ठिकाने खत्म करेगा। हालांकि दोनों देशों ने भविष्य में बातचीत जारी रहने और किसी नतीजे पर पहुंचने की उम्मीद नहीं छोड़ी है।

ट्रंप ने कहा, 'वे चाहते हैं कि प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिए जाएं। हम ऐसा नहीं कर सकते।' दोनों नेताओं की बातचीत का इस तरह बीच में अटक जाना इस बात का भी संकेत है कि सालभर से अमेरिका-उत्तर कोरिया के बीच चल रही राजनयिक स्तर की वार्ता बेअसर रही। कुछ विशेषज्ञ तो यह भी मानते हैं कि उत्तर कोरिया अब भी परमाणु हथियार बनाने में लगा है।

ट्रंप का कहना था कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम के अहम ठिकाने योंगब्योन को खत्म करने पर सहमत हुआ है। वहीं किम का कहना है कि उत्तर कोरिया ऐसा कदम तभी उठाएगा, जब अमेरिका उसके ऊपर से सभी प्रतिबंध हटा ले।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पोंपियो का कहना है कि प्रतिबंध हटाने से पहले ही उत्तर कोरिया को परमाणु निशस्त्रीकरण की दिशा में कदम उठाना होगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि उनके प्रशासन को उत्तर कोरिया में योंगब्योन के अलावा भी एक परमाणु ठिकाना होने की जानकारी है। फिलहाल इस विफल वार्ता ने ट्रंप के उस दावे को ध्वस्त कर दिया है, जिसमें वह खुद को जटिल से जटिल मसले सुलझाने वाला वार्ताकार कहते हैं।

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