हालात से मजबूर यमनियों को झेलनी पड़ रही युद्ध के साथ कोविड-19 की दोहरी मार, यूएन भी बेबस

यमन में जारी संघर्ष में बीते पांच वर्षों में जबरदस्‍त तबाही हुई है। इस पर अब यहां के लोग कोविड-19 की भी मार झेलने को मजबूर हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 03:51 PM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 07:27 AM (IST)
हालात से मजबूर यमनियों को झेलनी पड़ रही युद्ध के साथ कोविड-19 की दोहरी मार, यूएन भी बेबस
हालात से मजबूर यमनियों को झेलनी पड़ रही युद्ध के साथ कोविड-19 की दोहरी मार, यूएन भी बेबस

संयुक्त राष्ट्र। वर्षों से युद्ध की आग में झुलसे यमन और सीरिया को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र काफी चिंतित है। यूएन के मुताबिक पांच वर्षों से जो युद्ध यमन में छिड़ा हुआ है उसने करोड़ों लोगों का जीवन तबाह कर दिया है। वहीं कोविड-19 से भी यमन में लगभग दस लाख प्रभावित हुए हैं। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने कहा है कि युद्ध के कारण देश की स्वास्थ्य सेवाएं बर्बाद हो चुकी हैं। इसलिए राजनैतिक समझौते के जरिये इसका समाधान निकालना पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।

आपको बता दें कि यमन में गुटारेस बतौर यूएन उच्‍चायुक्‍त अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इसको याद करते हुए उन्‍होंने कहा कि शरणार्थियों की मेजबानी करने में यमन के लोगों की उदारता को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। गुटारेस ने कहा कि यूएन महासचिव का पद संभालने के बाद उन्‍होंने लगातार यमन में संघर्ष पर विराम लगाने और समस्‍या का शांतिपूर्ण हल तलाशने के हर संभव उपाय किए हैं। इतने वर्षों से चले आ रहे इस युद्ध ने देश के संस्थानों का ही पतन नहीं किया है बल्कि यहां पर हुए विकास को भी खत्‍म कर दिया है। हालांकि यहां पर संघर्ष में शामिल गुटों ने युद्ध पर विराम लगाने की बातों का समर्थन किया था, इसके बावजूद ये आजतक जारी है।

यूमन में बीते पांच वर्षों में हूथी विद्रोहियों के हमले काफी बढ़े हैं। हवाई हमले और जमीनी झड़पों की वजह से काफी संख्‍या में यहां पर नागरिक हताहत हुए हैं। यहां पर इस वर्ष अगस्‍त में सबसे अधिक नागरिकों की मौत हमलों में हुई है, जो एक चिंता का विषय है। यूएन के मुताबिक बीते कुछ सप्‍ताह में ही हर चार में से एक व्यक्ति अपने ही घर में मौत का शिकार हुआ है। गुटारेस का कहना है कि शांति के लिए युद्ध विराम को बिना शर्त किया जाना चाहिए।

महासचिव ने कहा कि हूथी लड़ाकों और यमन की सेना के बीच जारी संघर्ष केवल यहां पर हो रहे शांति प्रयासों को विफल ही कर सकता है। आपको बता दें कि 2015 के बाद से यमन में एक लाख से अधिक शरणार्थी रह रहे हैं। उन्‍होंने संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से दिसंबर 2018 के स्टॉकहोम समझौते और सऊदी अरब के जरिये किये गए रियाध समझौते को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने यमन के पश्चिमी तट के पास गिरे तेल टैंकर के मलबे की सुरक्षा को लेकर भी चिंता व्यक्त की है। इस पर पांच वर्षों से किसी ने भी कोई ध्‍यान नहीं दिया है। यूएन का कहना है कि तेल रिसाव, विस्फोट या आग लगने से यमन और पूरे क्षेत्र को विनाशकारी पर्यावरणीय नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। इसके कारण महत्वपूर्ण हुदैदाह बन्दरगाह को महीनों तक बन्द होना पड़ सकता है, जिससे, आयात पर निर्भर लाखों यमनी लोगों के लिये खाद्य आपूर्ति बन्द हो जाएगी। इसलिए यहां पर यूएन की तकनीकी टीम को पहुंचने की अनुमति दी जानी चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के मुताबिक वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में केवल आधी रकम के दान के ही वादे किये गए और वो भी नहीं दी गई। संयुक्त राष्ट्र प्रतिक्रिया योजना का केवल 30 प्रतिशत हिस्सा ही अभी तक वित्तपोषित हो सका है, जो वर्ष 2020 के इस स्तर तक अब तक का सबसे कम स्तर है। धन की कमी की वह से संयुक्त राष्ट्र के महत्वपूर्ण कार्यक्रम बंद हो रहे हैं जबकि विनाशकारी अकाल रोकने के लिए वित्तपोषण बहुत जरूरी है।

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