हांगकांग में काली पोशाक पहने प्रदर्शनकारियों ने लगाए हाई कोर्ट के सामने आजादी के नारे

चीन को आर्थिक नुकसान हो रहा है और उसकी छवि भी बिगड़ रही है। महाशक्ति बनने को अग्रसर चीन को सूझ नहीं रहा कि वह हालात को काबू में लाने के लिए क्या करे।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 09 Oct 2019 11:43 PM (IST) Updated:Wed, 09 Oct 2019 11:43 PM (IST)
हांगकांग में काली पोशाक पहने प्रदर्शनकारियों ने लगाए हाई कोर्ट के सामने आजादी के नारे
हांगकांग में काली पोशाक पहने प्रदर्शनकारियों ने लगाए हाई कोर्ट के सामने आजादी के नारे

हांगकांग, रायटर। काली पोशाक पहने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को हांगकांग हाई कोर्ट के समक्ष प्रदर्शन कर आजादी के लिए नारे लगाए। ये प्रदर्शनकारी 2016 के आंदोलन में शामिल एक आंदोलनकारी को दंगा करने के लिए छह साल के कारावास की सजा मिलने के विरोध में एकत्रित हुए थे।

प्रदर्शनकारियों ने अपने नारों से हाई कोर्ट की दीवारों को भी रंग दिया

निचली अदालत से मिली सजा को चुनौती देने के लिए दंडित आंदोलनकारी हाई कोर्ट आया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अपने नारों से हाई कोर्ट की दीवारों को भी रंग दिया।

लोकतंत्र की मांग को लेकर आंदोलन से अर्थव्यवस्था चौपट

लोकतंत्र की मांग को लेकर हांगकांग में चार महीने से छिड़े आंदोलन से वहां की अर्थव्यवस्था को बड़ी चोट पहुंची है। आए दिन सड़क जाम और पथराव से विदेशी लोगों का वहां आना कम हो गया है, बाजार भी बंद रहने लगे हैं।

कई मेट्रो स्टेशन जला दिए गए

तोड़फोड़ में सैकड़ों दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों का नुकसान हो चुका है। कई मेट्रो स्टेशन जला दिए गए हैं या फिर उनमें बहुत ज्यादा तोड़फोड़ की गई है।

सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान

सड़क के किनारे की सार्वजनिक संपत्तियों, सिग्नल और संकेतकों को नुकसान पहुंचाया गया है। इस सबके चलते आर्थिक नुकसान के साथ ही रोजगार का भी नुकसान हुआ है। दुकानों की बंदी का असर उसकी आर्थिक स्थिति पर हुआ है और तमाम अस्थायी कर्मचारी हटा दिए गए हैं।

हांगकांग बना चीन के लिए मुसीबत

1997 में अधिकार में आए हांगकांग में चीन को इस समय सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वह हालात बिगड़ने के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहरा रहा है।

चीन अनिर्णय की स्थिति में

इस हालात से चीन को आर्थिक नुकसान हो रहा है और उसकी छवि भी बिगड़ रही है। महाशक्ति बनने को अग्रसर चीन को सूझ नहीं रहा कि वह हालात को काबू में लाने के लिए क्या करे।

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