South Korea में रहस्यमयी मौत की वजह तलाशने में जुटे अधिकारी, अलग-अलग बताई जा रही वजहें

साउथ कोरिया अपने यहां एक रहस्यमय बीमारी को लेकर चर्चा में है। इस रहस्यमय बीमारी से मरने वालों की संख्या में रोजाना इजाफा हो रहा है डॉक्टर अभी तक ये तय नहीं कर पाएं हैं कि किस वजह से लोगों की मौतों की संख्या बढ़ती जा रही है।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 02:06 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 07:14 PM (IST)
South Korea में रहस्यमयी मौत की वजह तलाशने में जुटे अधिकारी, अलग-अलग बताई जा रही वजहें
साउथ कोरिया में कोरोना के प्रसार को कम करने के लिए फ्लू की वैक्सीन लगाई जा रही है। (फाइल फोटो)

सियोल, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। अक्सर नॉर्थ कोरिया के साथ तनातनी को लेकर चर्चा में रहने वाला साउथ कोरिया इन दिनों अपने यहां एक रहस्यमय बीमारी को लेकर चर्चा में है। इस रहस्यमय बीमारी से मरने वालों की संख्या में रोजाना इजाफा हो रहा है मगर डॉक्टर अभी तक ये तय नहीं कर पाएं हैं कि आखिर किस वजह से लोगों की मौतों की संख्या बढ़ती जा रही है। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि इन रहस्यमयी मौतों के पीछे फिलहाल फ्लू को कारण माना जा रहा है मगर दावे के साथ वो भी ये बात नहीं कह रहे हैं।

सर्दियों से पहले लगाई जा रही फ्लू की वैक्सीन 

कई देशों में सर्दियों के मौसम की शुरुआत के साथ कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए फ्लू की वैक्सीन लगाई जा रही है। दक्षिण कोरिया में पिछले महीने 1.9 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त फ्लू टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया गया था। दक्षिण कोरिया में एक 17 वर्षीय लड़के को फ्लू की वैक्सीन लगाई गई थी, इस वैक्सीन को लगाए जाने के दो दिन बाद ही उसकी मौत हो गई। 

साउथ कोरिया में ये पहला मामला सामने आया था जिसमें टीका लगाए जाने के बाद किसी मरीज की मौत हुई हो। वैक्सीन जांच टीम का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर किम जून-कोन ने टीकाकरण कार्यक्रम की सुरक्षा के बारे में दक्षिण कोरियाई लोगों को आश्वस्त करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में निष्कर्ष निकाला गया है कि फ्लू वैक्सीन की वजह से कुछ नहीं हुआ है। मगर चूंकि युवक की मौत टीका लगाए जाने के दो दिन बाद हुई इस वजह से लोग ऐसी बातें कर रहे थे।

बीते सप्ताह से सामने आ रहे मौतों के मामले 

बीते सप्ताह से ही कोरिया में मौतों के मामले सामने आ रहे हैं। बुधवार को यहां पांच मौतें रिपोर्ट की गई। अधिकारियों ने कहा कि दो मौतें एनाफिलेक्टिक सदमे के कारण हो सकती हैं, एक गंभीर एलर्जी की वजह से हुई है। उन्होंने बताया कि अन्य मौतों की जांच चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि फ्लू की वैक्सीन लगाए जाने की जल्दी थी, हो सकता है कि इस वैक्सीन को जिन लोगों को लगाया गया हो वो उस वैक्सीन के लिए पूरी तरह से तैयार न हो जिससे उनको इसका साइड इफेक्ट हुआ हो और मौत हो गई हो।

अधिकारियों को नहीं मिला मौतों और टीके के बीच संबंध 

कोरोना वायरस महामारी के बीच साउथ कोरिया सभी को फ्लू का टीका लगाने की तैयारी कर रही है। इसी को लेकर फ्लू टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है, जिन लोगों में बुखार और खांसी के समान लक्षण पाए जा रहे हैं उनको टीका लगाया जा रहा है। इस बीच कोरिया डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एजेंसी के कमिश्नर जंग इयोन-कियॉन्ग ने कहा कि हमने इन मौतों और टीकों के बीच सीधा संबंध नहीं पाया है या फ्लू शॉट्स के बाद होने वाली मौतों और प्रतिकूल प्रभावों के बीच संबंध है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हम यह नहीं सोचते हैं कि लोगों की मौत इस टीकाकरण की वजह से हुई है तो इस कार्यक्रम को निलंबित कर दिया जाए। 

हर वर्ग को लगाया जा रहा फ्लू का टीका 

दक्षिण कोरिया और कई अन्य देशों ने कोरोनोवायरस से निपटने के प्रयासों के लिए वार्षिक फ्लू टीकाकरण कार्यक्रमों को महत्वपूर्ण माना है। इनमें खासकर बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और चिकित्सा कर्मियों को ध्यान में रखा गया है। अधिकारियों ने पिछले साल की तुलना में इस सर्दी के लिए 20% अधिक फ्लू वैक्सीन खरीदने की योजना का खुलासा किया था, इसके तहत 30 लाख लोगों को टीका लगाया जाना है। ये देश की आधी आबादी के बराबर है।  

आपूर्ति करने वाली कंपनी ने नहीं किया मानक का पालन 

साउथ कोरिया ने फ्लू वैक्सीन के टीके सप्लाई करने के लिए एक कंपनी का चयन किया गया है। ये कंपनी ही ये टीके सप्लाई कर रही है। इस बीच पता चला कि जिन टीकों को लगाने के लिए हमेशा रेफ्रिजरेट करने की आवश्यकता होती है वो एक जगह से दूसरी जगह ले जाए जाने के दौरान मानक के हिसाब से नहीं रखी गईं। इस दौरान ये पाया गया कि जो टीके छोटे बच्चों और किशोरों को लगाए जाने थे वो खराब हो चुके थे।

फिर अक्टूबर माह की शुरुआत में, एक अन्य कंपनी द्वारा भेजे गए फ्लू वैक्सीन की 615,000 खुराकें भी वापस मंगाई गई थीं, जिनमें से कुछ में सफेद कण पाए गए थे, जिसे सरकार ने हानिरहित प्रोटीन बताया था। इससे पहले लगभग 18,000 लोगों को खुराक दी जा चुकी थी। अधिकारियों ने कहा कि उन लोगों से कोई गंभीर नुकसान की सूचना नहीं मिली है। जिन लोगों को ये टीके लगाए जा चुके थे उन्होंने बुखार या अन्य छोटी शिकायतें ही की थी।

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