बांग्‍लादेश की पीएम शेख हसीना का आरोप, खालिदा जिया और उनका बेटा मुझे मारना चाहते थे

पीएम शेख हसीना ने आरोप लगाया कि बीएनपी और जमात गठबंधन की तत्कालीन सरकार ने आतंकियों और चरमपंथियों को ट्रेनिंग देकर हमले के लिए तैयार किया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 21 Aug 2020 07:18 PM (IST) Updated:Fri, 21 Aug 2020 07:18 PM (IST)
बांग्‍लादेश की पीएम शेख हसीना का आरोप, खालिदा जिया और उनका बेटा मुझे मारना चाहते थे
बांग्‍लादेश की पीएम शेख हसीना का आरोप, खालिदा जिया और उनका बेटा मुझे मारना चाहते थे

ढाका, आइएएनएस। बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया और उनके बेटे पर सनसनीखेज आरोप लगाया है। कहा है कि खालिदा और उनके बड़े  बेटे तारेक रहमान ने 2004 में ढाका में ग्रेनेड हमले में उन्हें मारने की साजिश रची थी। हसीना ने यह रहस्योद्घाटन 21 अगस्त, 2004 को ढाका के बंगबंधु एवन्यू में आयोजित आतंकवाद विरोधी रैली पर हमले की 16 वीं वर्षगांठ पर किया है। उस हमले में 24 लोग मारे गए थे जबकि 500 से ज्यादा घायल हुए थे। 

खालिदा जिया पर निशाना साधा 

अपने ऑनलाइन संबोधन में प्रधानमंत्री हसीना ने कहा, यह रैली सिलहट में ब्रिटिश उच्चायुक्त और देश में पांच सौ से ज्यादा अन्य आतंकी हमलों के विरोध में आयोजित की गई थी। इस रैली में वह (हसीना) मुख्य निशाना थीं। क्योंकि उससे पहले खालिदा ने कहा था कि अवामी लीग (हसीना की पार्टी) अब अगले 100 साल तक सत्ता में नहीं आ सकती। हसीना ने कहा, हत्या कराना खालिदा और उनकी पार्टी बीएनपी की फितरत में है। उनके भीतर देश की आजादी की लड़ाई और देश की स्वतंत्रता को लेकर सम्मान की भावना नहीं है। उनके लिए सत्ता सब कुछ है जिसे पाकर वे भ्रष्टाचार के जरिये धन कमाना चाहते हैं। 

2004 में ढाका में कराया था ग्रेनेड अटैक

प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि बीएनपी और जमात गठबंधन की तत्कालीन सरकार ने आतंकियों और चरमपंथियों को ट्रेनिंग और अन्य सुविधाएं देकर हमले के लिए तैयार किया था। लेकिन जब बच गईं तो सरकार ने उन जिम्मेदार आतंकियों को देश से भगा दिया। सरकार को डर था कि आतंकी पकड़े गए तो हमले में बीएनपी की संलिप्तता सामने आ जाएगी। हसीना ने कहा, रैली पर आतंकी हमले के बाद पुलिस घायलों को अस्पताल पहुंचाने की जगह भीड़ पर आंसू गैस छोड़ रही थी। ..और जब घायल अस्पताल पहुंचे तो वहां पर सरकार समर्थक डॉक्टरों ने उनके इलाज में अड़चनें पैदा कीं। हमें इस त्रासदी और निर्ममता को भूलना नहीं है।

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