2020 Nobel Prize in Literature: अमेरिकी कवयित्री लुइस ग्लक को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

अमेरिकी कवयित्री लुइस ग्लक को वर्ष 2020 के लिए साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लुइस को उनकी बेमिसाल काव्यात्मक आवाज के लिए यह सम्मान दिया गया है। वर्ष 1943 में न्यूयॉर्क में जन्मीं 77 वर्षीय लुइस ग्लक येल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 08 Oct 2020 04:51 PM (IST) Updated:Thu, 08 Oct 2020 07:55 PM (IST)
2020 Nobel Prize in Literature: अमेरिकी कवयित्री लुइस ग्लक को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार
अमेरिकी कवि लुईस ग्लूक की फाइल फोटो।

स्टॉकहोम, एजेंसियां। अमेरिकी कवयित्री लुइस ग्लक को वर्ष 2020 के लिए साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लुइस को उनकी बेमिसाल काव्यात्मक आवाज के लिए यह सम्मान दिया गया है। स्वीडिश एकेडमी के स्थायी सचिव मैट्स माल्म ने स्टॉकहोम में पुरस्कारों की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी आवाज खूबसूरत होने के साथ-साथ व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक बनाती है।

बेमिसाल काव्यात्मक आवाज के लिए सबसे बड़े पुरस्कार से नवाजा गया

वर्ष 1943 में न्यूयॉर्क में जन्मीं 77 वर्षीय लुइस ग्लक येल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं। ग्लक ने 1968 में 'फ‌र्स्टबोर्न' के साथ अपनी शुरुआत की थी और जल्द ही अमेरिकी समकालीन साहित्य में सबसे प्रमुख कवियों में शामिल हो गई थीं। उन्होंने बारह कविताओं का संग्रह और कुछ निबंध प्रकाशित किए हैं। लुइस ग्लक के सबसे प्रशंसित संग्रहों में से एक 'द वाइल्ड आइरिस' है, जो कि 1992 में प्रकाशित हुआ था। इस संग्रह की एक कविता 'स्नोड्रॉप्स' में उन्होंने सर्दियों के बाद के जीवन की चमत्कारी वापसी का वर्णन किया है।

पिछले दो वर्षो से विवादों में घिरा रहा है साहित्य का नोबेल

स्वीडिश एकेडमी पर यौन शोषण के आरोप लगने के बाद वर्ष 2018 में इन पुरस्कारों को टाल दिया गया था। बाद में एकेडमी का पुर्नगठन किया गया और वर्ष 2019 में दोनों वर्षो के पुरस्कारों का एलान किया गया। 2018 का साहित्य का नोबेल 57 वर्ष की पोलैंड की लेखिका टोकार्चुक को जीवन की परिधियों से परे एक कथात्मक परिकल्पना करने के लिए दिया गया था। जबकि 2019 में साहित्य का नोबेल आस्टि्रयाई मूल के लेखक पीटर हैंडका को दिया गया था। उन्हें यह पुरस्कार इनोवेटिव लेखन और भाषा में नवीनतम प्रयोगों के लिए दिया गया था।

हैंडका को नोबेल मिलने का तमाम प्रगतिशील लेखक और उदारवादी संगठनों ने विरोध किया था। मशहूर लेखक सलमान रूशदी ने भी हैंडके को सम्मान देने की आलोचना की थी। विरोध का आलम यह था कि अल्बानिया, बोस्निया और तुर्की सहित कई देश विरोध स्वरूप नोबेल पुरस्कार समारोह में भी शामिल नहीं हुए।

नोबेल पुरस्कार के लिए उम्मीदवारों का नॉमिनेशन करने वाली समिति के कई सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया। 76 वर्षीय हैंडके के विरोध के तार दरअसल यूगोस्लाविया के गृह युद्ध से जुड़े हैं। ऑस्टि्रया में पैदा हुए हैंडके को संयुक्त यूगोस्लाविया और सर्ब-राष्ट्रीयता का समर्थक माना जाता है। उन पर आरोप है कि उन्होंने यूगोस्लाविया के गृह युद्ध के दौरान बोस्निया और कोसोव में हजारों लोगों के नरसंहार को जायज ठहराया।

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