जानिए परमाणु समझौते पर ट्रंप के फैसले का ईरान और विश्व पर क्या पड़ेगा असर
अमेरिका के परमाणु डील से अलग होने का परिणाम यह होगा कि अब ईरान परमाणु बम बनाने के लिए स्वतंत्र है।
इस्तांबुल (एजेंसी)। ट्रंप ने अमेरिका को ईरान परमाणु समझौते से अलग कर लिया है। जाहिर है कि इस फैसले का असर न केवल ईरान पर पड़ेगा, बल्कि विश्व भी इससे प्रभावित होगा। ईरान की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नरम नहीं पड़े और 16 मई से पहले ही उन्होंने परमाणु समझौता रद करने का ऐलान कर दिया। यूरोपीय देशों का कहना है कि ट्रंप परमाणु समझौता तोड़ने की जो वजह बता रहे हैं उनका कोई मजबूत आधार नहीं है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिनके कार्यकाल में यह समझौता हुआ था उन्होंने भी इसे बड़ी गलती कहा है। ऐसे में भले ही ट्रंप अपने फैसले पर अडिग हो, लेकिन पूरा विश्व इससे होने वाले घातक और नुकसानदायक परिणामों को पहले ही भाप चुका है।
ईरान पर क्या पड़ेगा प्रभाव
- ईरान अब परमाणु बम बनाने के लिए स्वतंत्र है
- ट्रम्प का निर्णय सहयोगियों को अलग कर देगा
- इस फैसले से ईरान की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और पश्चिमी एशिया में तनाव बढ़ेगा
- ये फैसला उत्तर कोरिया के साथ होने वाले सौदे को बाधित कर सकता है
- ईरान पर फिर से प्रतिबंध लागू हो जाएंगे, लेकिन जिनकी चर्चा 2015 समझौते में हुई थी
- इनमें ईरान का तेल सेक्टर, विमान निर्यात, कीमती धातु का व्यापार और ईरानी सरकार के अमरीकी डॉलर खरीदने की कोशिशें शामिल
ट्रंप के फैसले का इन देशों पर पड़ेगा
यूरोपीय देशों का मानना है कि अगर यह समझौता टूटता है तो ईरान पर फिर दबाव बनाकर उसे नई शर्तों पर राजी करवाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। साथ ही ऐसे में ईरान द्वारा गुप्त परमाणु हथियार कार्यक्रम फिर शुरू किये जाने का खतरा भी बना रहेगा। वहीं, परमाणु समझौता को न तोड़ने की सबसे बड़ी वजह यूरोपीय देशों द्वारा पिछले दो सालों में ईरान में किया गया अरबों डॉलर का निवेश भी है।
जनवरी, 2016 में ईरान से प्रतिबंध हटने की घोषणा के बाद ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने यूरोपीय देशों से अरबों डॉलर के व्यापारिक समझौते किये थे। ईरान ने अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार इटली के साथ ऊर्जा, स्टील, भवन निर्माण और यात्री विमानों की खरीद और तेल गैस के निर्यात सहित 20 बिलियन डॉलर यानी एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के समझौते किये थे। वहीं, फ्रांस की तेल कंपनी ‘टोटल’ के साथ 4.8 बिलियन डॉलर यानी 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की डील साइन की है जिसके तहत यह कंपनी फारस की खाड़ी से गैस और तेल निकालेगी। परमाणु समझौता होने के बाद जर्मनी की कंपनियों ने भी ईरान में बड़ा निवेश किया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त, 2017 में ईरान और चीन के बीच कुल सालाना आयात और निर्यात दोनों बढ़कर करीब 18 अरब डॉलर (करीब एक लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है। कुछ ऐसी ही तेजी रूस-ईरान कारोबार में भी देखी गई है। जाहिर है कि अमेरिका के परमाणु समझौते से हटने के फैसले और ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने से अरबों डॉलर का यह निवेश डूबने की आशंका बन गई है। ऐसी स्थिति में इसका सीधा प्रभाव इन सभी देशों की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर पड़ेगा।