एक थे डॉ. नाकामुरा जिन्होंने अफगान के रेगिस्तान में फूंकी थी जान, पूरी कहानी
कुष्ठ रोग के इलाज के लिए 73 वर्षीय तेत्सु 1980 के दशक में अफगानिस्तान गए थे। लेकिन यह नहर निर्माण तकनीकों के इस्तेमाल से उन्होंने कईयों की जिंदगी बदल दी। ये तकनीक वे अपने साथ जापान से लेकर आए थे।
टोक्यो, रॉयटर्स। अफगानिस्तान में बुधवार को जापान के 73 वर्षीय डॉक्टर तेत्सु नाकामुरा व उनके सहयोगी की हत्या हो गई। उन्होंने अफगानिस्तान के सूखा ग्रस्त इलाके में क्लिनिक चलाया लेकिन जैसे ही उन्हें यह अहसास हुआ कि यहां के लिए उनका इलाज काफी नहीं वैसे ही वहां की मुश्किल का समाधान ढूंढने में लग गए।
जिन लोगों की उन्होंने मदद की वे उन्हें ‘अंकल मुराद’ बुलाते थे। 1980 के दशक में वे अफगानिस्तान व पाकिस्तान के कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए जापान से यहां आए थे। उसके बाद उन्होंने देखा क्लिनिक में जितने लोगों की इलाज कर जान बचा रहे हैं उससे कहीं अधिक लोगों की मौत वहां सूखे के कारण हो रही है। इसलिए उन्होंने एक पुरानी जापानी तकनीक को अपनाया। 2000 के दशक में उन्होंने जापानी तकनीक की मदद से वहां के ग्रामीणों की परेशानी को खत्म किया।
दरअसल तकनीक की मदद से उन्होंने वहां नहरों का एक नेटवर्क का निर्माण किया। डॉक्टर ने कहा था, ‘एक डॉक्टर एक के बाद एक मरीज का इलाज करता है लेकिन इससे पूरे गांव की मदद हो गई। मुझे गांव में दोबारा जिंदगी देखने को मिली जो मुझे अच्छा लगा।’
पूर्वी अफगानिस्तान के नांगरहार प्रांत स्थित जलालाबाद में कुछ बंदूकधारियों ने डॉक्टर पर हमला कर दिया। इस हमले में डॉक्टर समेत 6 लोग मारे गए।
डॉक्टर नाकामुरा ने स्थानीय भाषा पश्तो भी सीख ली थी। शुरू में उन्होंने गांव की दशा सुधारने के लिए सैंकड़ों कुओं की खुदाई की लेकिन जल्द ही उन्हें इस बात का अहसास हो गया कि यह बड़ी परेशानी का हल नहीं है। कुल 6 सालों में उन्होंने गांव वालों की सहायता से 15 मील लंबा एक नहर का निर्माण किया। इस आतंकियों ने उनके एक सहयोगी का अपहरण कर हत्या भी कर दी।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने डॉक्टर नाकामुरा की मौत पर खेद प्रकट किया। गत अक्टूबर माह में ही राष्ट्रपति ने डॉक्टर नाकामुरा को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया था। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी ने डॉक्टर नाकामुरा के उत्कृष्ट कामों की सराहना की और कहा, ‘इस तरह से उनकी मौत की खबर सुनकर मैं हैरान था।‘