चांद पर ड्रैगन के 'सॉफ्ट' कदम, 'चांग ई- 4' रोवर देगा दुनिया को गूढ़ जानकारी

चीन की पौराणिक गाथाओं में चांग ई को चांद की देवी माना जाता है। यूतू इस देवी का पालतू खरगोश है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sat, 08 Dec 2018 03:01 PM (IST) Updated:Sat, 08 Dec 2018 03:27 PM (IST)
चांद पर ड्रैगन के 'सॉफ्ट' कदम, 'चांग ई- 4' रोवर देगा दुनिया को गूढ़ जानकारी
चांद पर ड्रैगन के 'सॉफ्ट' कदम, 'चांग ई- 4' रोवर देगा दुनिया को गूढ़ जानकारी

बीजिंग  [ जागरण स्‍पेशल ]। 'चांग ई- 4' चंद्रमा की सतह के बहुत दूर जमीन पर उतरने वाला पहला रोवर होगा। शोधकर्ताओं का उम्‍मीद है कि चंद्रमा की सतह पर चट्टानों को एकत्र करके यह चांद के इतिहास और उसके भूविज्ञान के बारे में एक नई रोशनी डालेगा। विशाल गहराई वाला वॉन कर्मन क्रेटर चंद्रमा की सतह और सतह के नीचे की परतों के अध्‍ययन में सहायक होगा। 

'चांग ई- 4' मिशन की सफलता के साथ चीन चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला मुल्‍क बन गया है। सॉफ्ट लैंडिंग यानी विमान बहुत ही धीमी गति से चांद की सतह पर उतरा जाता है और उसके अंदर उपकरणों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है। दुनिया में यह तकनीक चीन के पास है। 'चांग ई- 4' चार दिनों के भीतर चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद उम्‍मीद की जा रही है कि यह उसकी सतह पर 27 दिनों तक भ्रमण करेगा। 


चीन की खोई साख को लौटाएगा चांग ई- 4
'चांग ई- 4' चीन की स्‍पेश एजेंसी की एक महत्‍वाकांक्षी परियोजना है। तियांगोंग-1 की असफलता के बाद चीन को 'चांग ई- 4' से काफी उम्‍मीदें बंधी है। चीन ने 29 सितंबर, 2011 को तियांगोंग-1 को लॉन्च किया था, लेकिन अंतरिक्ष कक्षा से बाहर निकलने के बाद यह पृथ्वी पर वापस आते वक्‍त वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इससे चीन की स्‍पेश एजेंसी को काफी धक्‍का लगा था। अंतरराष्‍ट्रीय जगत में उसको काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था। लेकिन चीन को अब उम्‍मीद है कि वह 'चांग ई- 4' से अपनी साख को हासिल कर लेगा। इसके पूर्व चीन का मानवरहित अंतरिक्ष यान 'चांग ई-3' चांद की सतह पर कदम रख चुका है। यह धरती के बाहर किसी सतह पर चीन का पहला अंतरिक्ष मिशन है। पिछले करीब चार दशकों में यह चांद पर पहली सॉफ्ट लैंडिंग है।


चीन के पौराणिक गाथाओं में चांग ई यानी चांद की देवी
करीब 56.4 मीटर ऊंचे लॉन्ग मार्च 3- बी रॉकेट के जरिए चांग ई-4 प्रोब को धरती की कक्षा में प्रक्षेपित किया। चांग ई- 4 को शीचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से अंतरिक्ष में भेजा गया। लॉन्ग मार्च रॉकेट के पेलोड (रोवर को ले जाने वाला वाहन) में लैंडिंग मॉड्यूल और छह पहियों वाला रोबोटिक रोवर जुड़ा है। इसे यूतू नाम दिया गया है, जिसका मतलब होता है हरे पत्थर से बना खरगोश। चीन की पौराणिक गाथाओं में चांग ई को चांद की देवी माना जाता है। यूतू इस देवी का पालतू खरगोश है।
चीनी योजना के दो मिशन
इसी चीनी योजना के दो मिशन। पहला, इसका एक्सप्लोरर क्विकिओ, उपग्रह के द्वारा एकत्र की गई जानकारी और डेटा को चीन तक भेजने में सक्षम होगा। दूसरा, इसमें एक लैंडर और रोवर शामिल ,है जो चंद्रमा की सतह का पता लगाने के लिए मिलकर काम करेंगे। इसके पेलोड में प्रयोगों के लिए आवश्यक सामग्री शामिल होगी। इसमें कम आवृत्ति रेडियो स्पेक्ट्रोमीटर, एक मनोरम कैमरा और घुमावदार रडार शामिल है।


चीन ने भारत से हाथ मिलाने की इच्छा जताई
बता दें कि चीन ने 2003 में अपना पहला चालित अंतरिक्ष मिशन आयोजित किया था और वह रूस और अमेरिका के बाद ऐसा करने वाला तीसरा देश बना। चांद पर चांग ई-3 को भेजने के बाद चीन ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए भारत से हाथ मिलाने की इच्छा जताई थी। मंगलयान की अब तक की सफलता के बाद भारत अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों के उस समूह में शामिल हो गया है जिसको मंगल मिशन में सफलता मिली है। बता दें कि भारत ने मंगलयान को अंतरिक्ष में भेजने में कामयाब रहा। चीन के लॉन्च के एक दिन पहले ही भारत के मंगलयान ने पृथ्वी की कक्षा सफलतापूर्वक छोड़ी और वह 300 दिन की यात्रा करने के बाद मंगल की कक्षा में दाखिल होनेे में कामयाब हुआ था।

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