बच्चों के लिए मांसाहार से कम पौष्टिक नहीं है शाकाहार, जानिए सेहत के लिए कौन कितना ज्यादा पोषक और है उचित

इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और सेंट माइकल हास्पिटल आफ यूनिटी हेल्थ टोरंटो के बाल रोग विशेषज्ञ डा. जोनाथन मैगुइरे के मुताबिक बीते दो दशक से वनस्पति आधारित आहार की लोकप्रियता बढ़ रही है। वनस्पति आधारित आहार के विकल्प बढ़ने से खान-पान की आदतें बदल रही हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 07 May 2022 09:53 PM (IST) Updated:Sat, 07 May 2022 09:53 PM (IST)
बच्चों के लिए मांसाहार से कम पौष्टिक नहीं है शाकाहार, जानिए सेहत के लिए कौन कितना ज्यादा पोषक और है उचित
इस अध्ययन के परिणाम पीडियाट्रिक्स नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए

ओटावा, एएनआइ। शाकाहार और मांसाहार को लेकर लंबे समय से बहस चली आ रही है। कौन कितना ज्यादा पोषक है और क्या ज्यादा उचित है, इसे लेकर अलग-अलग बातें सामने आती रहती हैं। अब एक नवीन अध्ययन में सामने आया है कि शाकाहारी बच्चों की वृद्धि और पोषण मांस खाने वाले बच्चों के समान ही होती है। करीब नौ हजार बच्चों पर किया गया यह अध्ययन सेंट माइकल अस्पताल के शोधकर्ताओं ने किया है। इस अध्ययन के परिणाम पीडियाट्रिक्स नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।

अध्ययन के निष्कर्ष कनाडा में लोगों के खान-पान में आ रहे बदलाव का समर्थन करते हैं। वर्ष 2019 में कनाडा की फूड गाइड को अपडेट किया गया और इसमें लोगों से आग्रह किया गया कि वे अपने भोजन में मांस के बजाए वनस्पति आधारित प्रोटीन, बींस और टोफू आदि का उपभोग करें।

वनस्पति आधारित आहार के विकल्प बढ़ने से खान-पान की बदल रही आदतें

इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और सेंट माइकल हास्पिटल आफ यूनिटी हेल्थ टोरंटो के बाल रोग विशेषज्ञ डा. जोनाथन मैगुइरे के मुताबिक, बीते दो दशक से वनस्पति आधारित आहार की लोकप्रियता बढ़ रही है। वनस्पति आधारित आहार के विकल्प बढ़ने से खान-पान की आदतें बदल रही हैं। हालांकि, कनाडा में ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया गया, जो यह बताए कि बच्चों के विकास के लिए शाकाहार कितना उपयोगी है। यही जानने के लिए यह अध्ययन किया गया।

शोधकर्ताओं ने छह महीने से आठ साल की उम्र के 8,907 बच्चों पर अध्ययन किया है। यह अध्ययन 2008 से 2019 के बीच उपलब्ध डाटा के आधार पर किया गया। इसके लिए शोधकर्ताओं ने बच्चों को दो वर्गो शाकाहारी और मांसाहारी में विभाजित किया।

शोध में पता चले ये खास बिंदु

इस अध्ययन से पता चला कि शाकाहारी भोजन करने वाले कनाडाई बच्चों का मांसाहारी भोजन करने वाले बच्चों के समान ही विकास हुआ। हालांकि, शाकाहारी भोजन से उनके वजन के कम रहने की आशंका होती है, जिसके लिए उनकी आहार योजना सावधानीपूर्वक बनाई गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि शाकाहारी भोजन करने वाले बच्चों का बाडी इंडेक्स मास (बीएमआइ), ऊंचाई, आयरन, विटामिन डी और कोलेस्ट्राल मांसाहारी भोजन करने वाले बच्चों के ही समान था। अध्ययन में यह भी पता चला कि शाकाहारी भोजन करने वाले बच्चों के कम वजन का होने की संभावना लगभग दोगुनी अधिक थी। हालांकि, अधिक वजन या मोटापे के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं मिले।

सेंट माइकल हास्पिटल में शहरी स्वास्थ्य समाधान के लिए मैप सेंटर में विज्ञानी डा. मैगुइरे के मुताबिक, फलों, सब्जियों, फाइबर, साबुत अनाज और कम संतृप्त वसा के सेवन के कारण पौधे आधारित आहार पैटर्न को स्वस्थ खाने के पैटर्न के रूप में पहचाना जाता है। हालांकि, कुछ ही ऐसे अध्ययन हुए हैं, जिनमें बच्चों के विकास और पोषण में शाकाहार की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। यह नया अध्ययन शाकाहार को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकता है।

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