जानिये कैसे, जानवरों की मदद से लाइलाज बीमारी का हुआ इलाज

कई लोग जो लाइलाज बीमारियों से जूझ रहे थे, उनका इलाज जानवरों की मदद से हो सकता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 03 Nov 2018 07:21 PM (IST) Updated:Sat, 03 Nov 2018 10:39 PM (IST)
जानिये कैसे, जानवरों की मदद से लाइलाज बीमारी का हुआ इलाज
जानिये कैसे, जानवरों की मदद से लाइलाज बीमारी का हुआ इलाज

वाशिंगटन, जेएनएन। कई लोग जो लाइलाज बीमारियों से जूझ रहे थे, उनका इलाज जानवरों की मदद से हो सकता है। हम में से कइयों ने कुत्तों के इलाज के बारे में सुना होगा जो बीमारी से मुक्ति पाने के लिए अस्पतालों और धर्मशालाओं में जाते हैं, लेकिन अब काफी ऐसे तथ्‍य सामने आए हैं जिसके अनुसार जानवर कई बीमारियों जैसे आत्‍मकेंद्रित होना, व्‍यवहार संबंधी दिक्‍कतों से छुटकारा, बुरी आदत, असामान्‍य व्‍यवहार करना का इलाज करने में मदद करते हैं और इसके जरिये अमेरिका में इलाज शुरू हो चुका है।

उल्‍लू जिसने बच्‍चे की जिंदगी बचाई 

दिवाली में जहां भारत के कई हिस्‍सों में धन की प्राप्ति के लिए उल्‍लू की बलि दी जाती है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका में बीमारी से उबरने के लिए उल्‍लू का प्रयोग किया जाता है। 11 साल के एलेक्स गुडविन को आठ साल की उम्र में हड्डी के कैंसर का दुर्लभ बीमारी हो गई। उसे जीवित रहने के लिए जड़ से खत्‍म करने वाली सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से गुजरना पड़ा। इस बीमारी के दौरान एलेक्स का एक गुप्त सहायक रहा-उल्लू मुर्रे। कुछ महीनों में उसके समर्पित पिता जेफ ने उसे लीसस्टरशायर में अपने घर से 100 मील की दूरी पर लेशियर में ले गए, जहां वह पक्षी उड़ाने के लिए जाते है।

इसने एलेक्स को अपने बचपन में वापस जाने में मदद मिली। जेफ ने बताया कि जब एलिक्‍स अपनी बीमारी से निपट रहा था तो उसने अपने आप को बंद कर लिया। उसे कड़े उपचार से चोट पहुंची थी। वह भयावह अनुभव से गुजर रहा था। मुर्रे की मालकिन अनिता मोरिस ने जब ट्वीटर पर एलेक्‍स के बारे में सुना तो वह उससे मिलने के लिए पहुंच गई। जेफ ने बताया कि उसने उसे जीवित रहने का कारण दिया।

मुर्रे के साथ जुड़ने से उसे एक लक्ष्‍य मिल गया और उसे आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिली। अब एलेक्स, जो व्हीलचेयर को छोड़ चुका है, बाज पालने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है। अनिता को इसके लिए धन्‍यवाद। वह एक मनोवैज्ञानिक है, जिसका अपना चिकित्सा व्यवसाय है। उसने हैक बैक स्थापित किया है।

2005 में जब उसने महसूस किया कि पक्षियों की मदद से मनुष्यों को बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है। उन्हें 2013 में एक मांद में अफ्रीकन प्रजाति का एक छोटे से सफेद चेहरे वाला मुर्रे उल्‍लू मिला था। अनिता अकेले, समूह और स्‍कूल में दौरा करती हैं। वह कहती है कि आपराधिक न्याय प्रणाली में आठ महिलाओं में से पहले अनुभवों में एक था। उन्हें मामूली अपराध में सजा मिली थी। अंत में वे सभी उल्‍लू उड़ा रही हैं।

उन्‍होंने बताया कि इसका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। आप जो हासिल करना चाहते हैं, इसके जरिये हासिल कर सकते हैं। मेरा बहुत सारा काम अब ऑटिज़्म वाले बच्चों के साथ है। पक्षी उन्हें शारीरिक भाषा की सूक्ष्मता को समझने में मदद करते हैं। पक्षी निर्णय नहीं कर सकते हैं। गंभीर विकलांगता वाले किसी व्यक्ति के लिए उल्लू उड़ सकता है, जो उस शख्‍स को समानता का भाव देता है।  

छोटी टट्टू जो अलविदा कहना नहीं चाहती

कल्पना करें कि आप मरणासन्‍न रोगियों के बिस्तर पर पड़े हुए हैं। थोड़ा सा जुकाम हुआ है। ऐसे में आप आंख खोलते हैं। एक छोटे घोड़ा आप को घूर रहा है। वह आपके गले में लिपटना चाहता है। क्रिस्टोफर के बच्चों के लिए यही होता है। सरे के चेस खेलने वाले बच्चों को इस अस्‍पताल में नियमित रूप से खिलौने वाले भालू लिए शेटलैंड के टट्टू के साथ देखा जाता है। केयर सेंटर के प्रमुख एनी ब्रिजमैन का कहना है कि वे उससे प्यार करते हैं। उन्‍होंने कहा कि हमारे पास व्हीलचेयर पर बैठे बहुत से बच्चे या खराब दृष्टि या गहन अक्षमताएं वाले बच्‍चे भर्ती हैं। यह देखना अद्भुत है कि ऐसे बच्‍चे उनके देखने, छूने और गंध को महसूस करते हैं।

कार्यक्रम के समन्वयक बारबरा हिबर्ड इससे सहमत हैं। उनका कहना है कि हमारे पास ऐसे बच्चे हैं जिन्‍होंने कभी घोड़े को सफाई करते नहीं देखा है। वे उनके साथ बगीचे के चारों ओर घूमते हैं। इससे बच्‍चों का आत्मविश्वास बढ़ता है। टेडी के साथ 11 वर्षीय माइल्‍स, समर, टेन को अपने छोटे दोस्‍त को देखने के लिए उत्‍साहित रहते हैं। बारबरा का कहना है कि एक नौजवान युवती उसकी पूजा करती है। तय समय से काफी पहले पहुंच जाती है और खिड़की के पास बैठकर उसका इंतजार करती है।

उसे जानवरों पर बिल्कुल भरोसा नहीं था लेकिन अब उसके पास एक कुत्ता है। अगर बच्‍चों के पास खिलौना नहीं होता है तो ही उसके पास जा सकते हैं। हम उसे बेडरूम में ले जाते हैं। जब वह उसका चेहरा छूते हैं तो वह अपना सिर बिस्तर पर रख देता है।

खिलौने का स्वामित्व 26 वर्षीय इलिस राइडर ऐलिस गोरिंग के पास है। क्रिस्टोफर पुराने दोस्‍तों के घरों और स्कूलों का दौरा करता है। बारबरा का कहना है कि मुझे छोटे घोड़े को शोर मचाने के लिए मजबूर करना पड़ा। उसे मरीज के व्हीलचेयर के बगल में चलने के लिए प्रशिक्षित करना पड़ा, लेकिन वह हर किसी के बाहर निकल गया। वह कभी छोड़कर नहीं जाना चाहता।

एक बिल्ली जिसने मरीज को चलने के लिए प्रेरित किया

एक आदमी जो चलने में अभ्‍यस्‍त नहीं था, दिमाग में चोट के बाद वह अपने पैरों पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रहा था लेकिन दक्षिण-पश्चिम लंदन में न्‍यूरो डिस्‍एबिल्‍टी के रॉयल अस्पताल में मरीज़ ने सुना कि जमीन पर रहने वाली सोक्स नामक एक बिल्ली थी, जो गले से लिपटकर प्यार करती है।

आदमी को हर दिन लक्ष्‍य की ओर आगे बढ़ने के लिए दो सहायकों के साथ की जरूरत होती थी। थेरेपी मैनेजर केटी रिचर्ड उसे याद करते हुए कहते हैं कि उनके प्रवास के अंत तक वह खुद से वहां पहुंच सकता था। पहले बिल्‍ली भटक गई थी। उसे अस्पताल के पीए ट्रेसी डायपलमा द्वारा एक साल पहले बचाव केंद्र से अपनाया गया था। वह बताती है कि हमारे पास बहुत से थेरेपी वाले कुत्ते थे और हमने सोचा कि हमें बिल्ली मिल गर्इ् तो अच्‍छा होगा।

नर्सिंग के कार्यालय के निदेशक टैब्बी सॉक्स ने एक रहस्योद्घाटन किया। 55 वर्षीय ट्रेसी कहती हैं कि वह मज़बूत है। वह स्ट्रोक होने पर प्यार करती है। उसे पता है कि उसका काम क्या है। जब वह व्हीलचेयर देखता है तो वह हैलो कहने के लिए चला जाती है। वास्‍तव में ज्‍यादा प्‍यार की अपेक्षा दुलारते हुए आघात किया जाता है। बचाव करने वाली ऐसी बिल्लियों को पुरस्‍कृत किया जाता है। ऐसी बिल्लियां मरीज का इलाज करती हैं। उनकी नियमित डाइट होती है।

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