बैकफूट पर US: आतंकी अजहर को लेकर पहले चीन को दी सख्‍त चेतावनी, अब लगा रहा है मरहम

चीन के मामले में अमेरिका बैकफूट पर आ गया है। अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के मामले में चीन पर दबाव बनाने वाला अमेरिका की भाषा बदल गई है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Thu, 14 Mar 2019 11:45 AM (IST) Updated:Thu, 14 Mar 2019 03:20 PM (IST)
बैकफूट पर US: आतंकी अजहर को लेकर पहले चीन को दी सख्‍त चेतावनी, अब लगा रहा है मरहम
बैकफूट पर US: आतंकी अजहर को लेकर पहले चीन को दी सख्‍त चेतावनी, अब लगा रहा है मरहम

वाशिंगटन [ एजेंसी ] । अमेरिकी दूतावास के हवाले से कहा गया है कि यूएस और चीन क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए पारस्‍परिक हितों को साझा करते रहेंगे। दूतावास का यह बयान ऐसे समय आया है जब जैश सरगना मसूद अजहर (JeM chief Masood Azhar) को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की अमेरिकी कोशिशों के बीच चीन ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो के अधिकार का इस्‍तेमाल किया। इसके चलते फ्रांस, अमेरिका समेत परिषद के सभी स्‍थाई सदस्‍य अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में विफल रहे।
चीन ने आतंकवादी मसूद अजहर पर दया दिखाते हुए बुधवार देर रात चौथी बार वीटो का इस्‍तेमाल कर अजहर को संरक्षण दिया। बता दें कि संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के समक्ष अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने 27 फरवरी को प्रस्‍ताव पेश किया था।

US Embassy Spokesperson: With respect to China, the United States and China share a mutual interest in achieving regional stability and peace, and a failure to designate Masood Azhar runs counter to this goal. https://t.co/4W2CTa1stK

— ANI (@ANI) March 14, 2019


इसके बाद समिति ने सदस्‍य देशों को आपत्ति दर्ज करने के 10 दिन का समय दिया था। लेकिन चीन ने यह मियाद खत्‍म होने से पहले ही इस प्रस्‍ताव पर तकनीकी आधार पर अड़ंगा लगा दिया, जबकि परिषद के सभी स्‍थाई सदस्‍य इसके पक्ष में  थे।

अमेरिका ने इससे पहले चेतावनी देते हुए कहा था कि अजहर को लेकर चीन का रुख क्षेत्रीय स्थिरता एवं शांति के लिए खतरा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पलाडिनो ने कहा,‘अजहर जैश-ए-मुहम्‍म्‍द का संस्थापक और सरगना है तथा उसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं। उन्होंने कहा कि जैश कई आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है और वह क्षेत्रीय स्थिरता एवं शांति के लिए खतरा है। अमेरिका और भारत आतंक के खिलाफ मिलकर काम कर रहे हैं। पुलवामा में हुए सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया था, जिसे चीन ने मित्र पाकिस्तान की मदद करते हुए मसूद अजहर को एक बार फिर बचा लिया है।
10 साल में चौथी बार लगाया वीटो
चीन ने पिछले 10 साल में चौथी बार मसूद को लेकर अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल किया है। इससे पहले साल 2009 में भारत ने मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया था और दुनियाभर के देशों ने भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया था, लेकिन चीन ने वीटो कर दिया। इसके बाद 2016 में अमेरिका, ब्रिटेन व फ्रांस के साथ भारत ने प्रस्ताव रखा था और चीन ने वीटो कर दिया। साल 2017 में अमेरिका, ब्रिटेन व फ्रांस ने प्रस्ताव रखा था, लेकिन चीन इस बार भी नहीं माना।

भारत की पहल पर चीन ने फेरा पानी
आतंकवादी संगठन जैश का प्रमुख मसूद अजहर ने भारत में कई आतंकवादी वारदातों को अंजाम दे चुका है। वह भारतीय संसद, पाठनकोट वायुसेना स्‍टेशन, उरी और पुलवामा सहित जम्‍मू कश्‍मीर के कई हिस्‍सों में आतंकी हमले करा चुका है। भारत अरसे से इस वैश्विक आतंवादी घोषित कराने की कूटनीतिक पहल करता रहा है। लेकिन भारत की इस पहल पर हर बार चीन पानी फेरता रहा है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद चीन को छोड़कर फ्रांस, अमेरिका व ब्रिटेन भारत के इस दृष्टिकोण का समर्थन करते रहे हैं। लेकिन चीन ने चौथी बार भी अजहर को संरक्षण देने में कामयाब रहा।
संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो के मायने किसी प्रस्‍ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी स्‍थाई सदस्‍यों की रजामंदी जरूरी। यदि कोई भी स्‍थाई सदस्‍य किसी प्रस्‍ताव पर वीटो लगा देता है तो यह प्रस्‍ताव खत्‍म हो जाता है यानी खारिज हो जाता है। यदि किसी आतंकी संगठन या आतंकवादी को सुरक्षा परिषद वैश्विक आतंकी संगठन या आतंकवादी घोषित करती है तो उसकी समस्‍त चल-अचल संपत्ति जब्त कर ली जाती है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र से जुड़े  सभी राष्‍ट्र उसका किसी तरह की राजनीतिक या आर्थिक मदद नहीं करते। सभी राष्‍ट्रों पर यह प्रस्‍ताव बाध्‍यकारी होते हैं।  इसके अलावा संयुक्‍त राष्‍ट्र का कोई सदस्‍य देश मसूद को हथियार मुहैया नहीं करा सकता। यदि कोई राष्‍ट्र इसके बावजूद भी मदद करता तो यह अंतरराष्‍ट्रीय कानून का उल्‍लंघन माना जाता है।
 

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