कश्मीर पर UN रिपोर्ट की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग को गुटेरस का समर्थन

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की तरफ से कश्मीर पर आई रिपोर्ट पर मानवाधिकार जांच की मांग का यूएन महासचिव गुटेरस ने समर्थन किया है।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Fri, 13 Jul 2018 11:45 AM (IST) Updated:Fri, 13 Jul 2018 12:51 PM (IST)
कश्मीर पर UN रिपोर्ट की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग को गुटेरस का समर्थन
कश्मीर पर UN रिपोर्ट की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग को गुटेरस का समर्थन

यूनाइटेड नेशंस (प्रेट्र)। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कश्मीर में मानवाधिकार के स्थितियों की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए यूएनएचआर प्रमुख जैद अल हुसैन की मांग का समर्थन किया है। इसके साथ ही गुटेरस ने कहा कि इस मुद्दे पर उनका यह एक्शन संयुक्त राष्ट्र की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है। वह कश्मीर मुद्दे पर उन सवालों का जवाब दे रहे थे, कि क्या वह पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की कश्मीर पर एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि वहां के हालात ठीक नहीं हैं और सरकार और आतंकियों के बीच संघर्ष में बच्चे हिंसा का शिकार हो रहे हैं और इसके लिए मानवाधिकार आयोग की जांच की जानी चाहिए।

भारत ने अल हुसैन के उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था जिसमें कहा गया था कि कश्मार में मानवाधिकार की स्थितियों की जांच के लिए मानवाधिकार आयोग की तरफ से स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोजित करवाई जाए।संयुक्त राष्ट्र में उप स्थायी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने इस सप्ताह कहा था कि कुछ तथाकथित पत्रकारों ने बिना किसी आधिकारिक सूत्रों के पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग करके यह रिपोर्ट बनाई है।

रिपोर्ट की सही से जांच नहीं हुई-भारत
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भी गुटेरस की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा कि मानवाधिकार प्रमुख के रिपोर्ट की परिषद में सही से जांच नहीं की गई। किसी ने भी वहां इस रिपोर्ट को गंभीरता से नहीं देखा जिसे अब वे समर्थन करने जा रहे हैं। अकबरुद्दीन ने रिपोर्ट को लेकर कहा कि यह बेबुनियाद दस्तावेज के अलावा और कुछ नहीं है। अकबरुद्दीन ने भी गुटेरस को कहा था कि अल हुसैन की रिपोर्ट बेबुनियाद है, कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसका हल पाकिस्तान औऱ भारत को मिल कर निकालने की जरूूरत है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की रिपोर्ट पर भी निराशा जताई और कहा कि ये रिपोर्ट कश्मीर के हालात से नहीं मिलते हैं साथ ही यह भी कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक खतरा है।

क्या थी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की रिपोर्ट
रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि विशेष रुप से जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे तीन राज्यों में सरकार और हथियारबंद समूहों के बीच संघर्ष से फैली हिंसा का सीधा प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। रिपोर्ट में हिंसा में बच्चों के इस्तेमाल की भी बातें कही गई थी। कहा गया था कि जैश-ए-मोहम्मद ने एक बच्चे को अपने समूह में शामिल किया था जबकि हिजबुल मुजाहिद्दीन ने दो बच्चों को अपने समूह में शामिल किया था। साथ ही यह भी कहा गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा बल बच्चों को अपना खबरी बना रहे हैं। हालांकि इन आरोपों को भारत सिरे से खारिज कर चुका है है।

गुटेरस से जब पाकिस्तान और भारत के बीच की समस्याओं के बार में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राजनीतिक हल राजनीतिक समस्याओं के ही होंगे। उन्होंने आगे कहा कि वे जब भी भारत और पाकिस्तान के दोनों नेताओं से मिलते हैं उन्हें दोनों तरफ से अच्छी प्रतिक्रियाएं मिलती हैं और वे उम्मीद करते हैं कि भविष्य में भी दोनों देशों के बीच ऐसी ही स्थिति बनी रहे ताकि जो भी आपसी समस्याएं हों उनका हल आसानी से ढ़ूंढ़ा जा सके।

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