बम, नशीला पदार्थ खोजने में खोजी कुत्तों को मात देगी ‘रोबो नोज’
अमेरिका में ड्यूक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा खोजी गई यह युक्ति खोजी कुत्तों से भी ज्यादा कारगर मानी जा रही है।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी कृत्रिम रोबोटिक नाक विकसित की है, जिसकी सहायता से आरडीएक्स, डीएनटी और नशीले पदार्थ का अतिशीघ्र पता लगाया जा सकेगा। अमेरिका में ड्यूक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा खोजी गई यह युक्ति खोजी कुत्तों से भी ज्यादा कारगर मानी जा रही है।
ऐसे हुआ तैयार
ड्यूक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक चूहों के जीन से तैयार किए गए ऑडर रिसेप्टर्स (गंध ग्राही) के आधार पर रोबो नोज का एक प्रोटोटाइप विकसित किया गया है। इस ऑडर रिसेप्टर्स को बनाने के लिए चूहों के पांच फीसद जीन का इस्तेमाल किया गया है। इसके विपरीत, इंसान ऑडर रिसेप्टर्स बनाने के लिए अपने जीन का केवल दो फीसद का उपयोग करते हैं। 1990 में रिसेप्टर्स की पहचान की गई थी, लेकिन तमाम तकनीकी बाधाओं के चलते इस युक्ति में इसका उपयोग नहीं किया जा सका।
गजब की सूंघने की शक्ति
छोटे से दिखने वाले चूहों में भी सूंघने की शक्ति गजब की होती है। इंसानों के दिमाग में जो ओलफैक्ट्री बल्ब होता है, वो गंध पहचानने का काम करता है। इंसानों में ये उनके कुल दिमाग का 0.01 फीसद हिस्सा होता है। वहीं चूहों की बात करें तो उनमें ओलफैक्ट्री दिमाग का लगभग 2 फीसद होता है। अगर असल में देखा जाए तो आकार में इंसानों का दिमाग चूहों से काफी बड़ा होता है। लेकिन खास बात ये है कि दिमाग छोटा हो या बड़ा, दोनों में हीं ओलफैक्ट्री बल्ब में न्यूरॉन्स की संख्या लगभग बराबर ही होती है।
जीन का महत्व
मानव, कुत्ते और चूहे के जीनोम (किसी भी जीव के डीएनए में विद्यमान समस्त जीनों का समूह) में लगभग 20,000 जीन होते हैं, जिनमें प्रोटीन्स बनाने के लिए निर्देश होते हैं। ये प्रोटीन्स गंध, स्वाद महसूस करने में मददगार होते हैं।
ई-नाक का मजबूत विकल्प
बाजार में मौजूद ई-नाक गंध का पता लगाने के लिए रिसेप्टर स्टेम कोशिकाओं की बजाय विभिन्न रासायनिक यौगिकों का उपयोग करती है। यह उपकरण प्रशिक्षित कुत्तों की तुलना में अच्छे नहीं हैं। शोधकार्ताओं के मुताबिक रोबो नोज इससे बेहतर काम करेगी।