कोरोना से ठीक हो चुके लोगों की शील्ड इम्यूनिटी से उम्मीद, निभा सकते हैं बड़ी भूमिका
कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में वायरस के प्रति एक शील्ड इम्यूनिटी पैदा हो जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि शील्ड इम्यूनिटी से लैस लोग बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
वाशिंगटन, पीटीआइ। कोविड-19 वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में वायरस के प्रति एक शील्ड इम्यूनिटी पैदा हो जाती है। यह शील्ड इम्यूनिटी उस व्यक्ति को दोबारा वायरस की चपेट में आने से बचाती है। अब वैज्ञानिकों को इसी शील्ड इम्यूनिटी वाले लोगों में उम्मीद की किरण दिख रही है। उनका मानना है कि ऐसे वक्त में जब दुनिया के ज्यादातर देश धीरे-धीरे लॉकडाउन खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, तब ऐसे शील्ड इम्यूनिटी वाले लोग बड़ा सहारा बनकर सामने आ सकते हैं।
शील्ड इम्यूनिटी का अध्ययन करने और यह निष्कर्ष देने वालों में अमेरिका के जॉíजया इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोधकर्ता भी शामिल रहे। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस वायरस से ठीक हो चुके लोगों को ऐसी जगहों पर काम करने के लिए कहा जा सकता है, जहां लोगों के संपर्क में ज्यादा आना पड़ता है। स्वास्थ्य सेवा भी इनमें शामिल है। इनकी शील्ड इम्यूनिटी उन्हें दोबारा संक्रमित होने से बचाएगी और इससे संक्रमण के प्रसार को धीमा करना संभव हो सकेगा। विज्ञान पत्रिका नेचर मेडिसिन में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों का दावा है कि यह रणनीति मौजूदा दौर में कामकाज शुरू करते हुए भी वायरस के प्रसार को धीमा करने में सहायक हो सकती है।
हालांकि, इस रणनीति में अभी सबसे बड़ा पेच यह है कि वैज्ञानिक यह नहीं जानते हैं कि कोविड-19 वायरस के खिलाफ शील्ड इम्यूनिटी कितने दिन तक प्रभावी रहती है। हालांकि इस तरह के पहले के कुछ वायरस को लेकर डाटा उपलब्ध है। सार्स वायरस के खिलाफ बनी एंटीबॉडी करीब दो साल तक व्यक्ति को संक्रमण से बचाने में सक्षम होती है, वहीं मर्स के मामले में शील्ड इम्यूनिटी तीन साल तक प्रभावी रहती है।