Pakistan का एक और चरमपंथी वैश्विक आतंकी घोषित, US ने रखा 35 करोड़ का ईनाम

करीब चार माह पहले UNSC ने मसूद अजहर को Global Terrorist घोषित किया था। अब अमेरिका ने बेनजीर भुट्टो हत्या और मलाला पर हमला करने वाले आतंकी पर 35 करोड़ का ईनाम घोषित किया है।

By Amit SinghEdited By: Publish:Sat, 14 Sep 2019 08:18 AM (IST) Updated:Sat, 14 Sep 2019 11:44 AM (IST)
Pakistan का एक और चरमपंथी वैश्विक आतंकी घोषित, US ने रखा 35 करोड़ का ईनाम
Pakistan का एक और चरमपंथी वैश्विक आतंकी घोषित, US ने रखा 35 करोड़ का ईनाम

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान के एक और चरमपंथी को अमेरिका ने दो दिन पहले वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया है। इसके साथ ही अमेरिका ने उस पर 50 लाख डॉलर (35.48 करोड़ रुपये) का ईनाम भी घोषित कर दिया है। अमेरिका ने जिस चरमंथी को वैश्विक आतंकी घोषित किया है, वह पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या और मलाल युसुफजई पर हमले का मुख्य आरोपी भी है। मालूम हो कि करीब चार माह पहले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने जैश-ए-मुहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को भी वैश्विक आतंकी घोषित किया था। जानें- कौन है वो आतंकी?

अमेरिका ने जिसे दो दिन पहले वैश्विक आतंकी घोषित किया है, वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी-पाकिस्तान) का प्रमुख नूर वली है। 2007 में उसने अपना आतंकी संगठन बनाया था। इस संगठन ने पिछले 12 वर्षों में कई बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दिया है। नूर वली का पूरा नाम मुफ्ती नूर वली मेहसूद है। जून 2018 में मुल्ला फजलुल्लाह की मौत के बाद नूल वली को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी-पाकिस्तान) की कमान सौंपी गई थी।

मदरसे में पढ़ा भी चुका है ये आतंकी
नूर वली के प्रमुख बनने के बाद टीटीपी का नेतृत्व एक बार फिर से मेहसूद जनजाति के लोगों के हाथ में चला गया है। नूर वली दक्षिणी वजीरिस्तान के तियारजा में पैदा हुआ और उसकी पढ़ाई-लिखाई पाकिस्तान के ही अलग-अलग मदरसों में हुई है। 1999 में पढ़ाई पूरी करने के बाद नूर वली ने दक्षिण वजीरिस्तान के एक मदरसे में कुछ समय तक बच्चों को पढ़ाया भी है। बीबीसी के मुताबिक टीटीपी के पहले दो प्रमुख बैतुल्लाह मेहसूद (2007-2009) और हकीमुल्लाह मेहसूद (2009-13) भी इसी जनजाति के थे।

किताब में स्वीकारी बेनजीर की हत्या की बात
एक दशक से ज्यादा समय से जिहाद की राह पर चल रहे आतंकी नूर वली ने एक किताब और कई लेख भी लिखे हैं। 2017 में उसने उर्दु में एक किताब लिखी थी, जिसका शीर्षक 'इंकलाब-ए-मेहसूद-साउथ-वजीरिस्तानः फिरंगी राज से अमरीकी साम्राज्य तक' है। इस किताब में नूर वली ने पहली बार स्वीकार किया था कि 2007 में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या उसके ही संगठन ने की थी। बेनजीर भुट्टो को रावलपिंडी में उस वक्त गोली मारी गई थी, जब वह एक चुनावी रैली में मौजूद थीं। इस किताब में बेनजीर की हत्या में शामिल सभी आतंकियों मौलवी इमरान, अहमद उर्फ नसरूल्लाह, कारी इस्माइल, मुल्लाह एहसान और आत्मघाती हमलावर बिलाल उर्फ सईद और इकारमुल्लाह का भी जिक्र है। ये उस हमले के मास्टरमाइंड थे। 690 पन्नों की इस किताब में नूर वलीने टीटीपी के गठन और दक्षिण वजीरिस्तान से जुड़े उसके इतिहास के बारे में भी लिखा है।

मलाला की हत्या का दिया था आदेश
बीबीसी के अनुसार बेल्जियम की राजधानी में स्थित ब्रुसेल्स यूनिवर्सिटी से टेररिज्म स्टडीज में पीएचडी करने वाले डॉक्टर फरहान जाहिद ने अपने एक रिसर्च पेपर में नूर वली के बारे में विस्तार से बताया है। इसमें बताया गया है कि मेहसूद ही वो शख्स है, जिसने नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजाई कीहत्या का आदेश दिया था। नूर वली के नेतृत्व में ही टीटीपी ने वर्ष 2012 में स्वात घाटी में मलाला युसुफजाई पर जानलेवा हमला किया था। उसने अपनी किताब में ये भी लिखा है कि टीटीपी फिरौती, अपहरण और हत्याओं की बदौलत समूह की गतिविधियों के लिए फंड एकत्र करती है।

2014 में ड्रोन हमले से बचा
बताया जाता है कि दक्षिणी वजीरिस्तान पर 2014 में एक ड्रोन हमला हुआ था। ये हमला नूर वली को मारने के लिए ही किया गाय था। हालांकि नूर वली इस हमले में बाल-बाल बच गया था। उसके आठ साथी इस हमले में मारे गए थे। अमेरिका को काफी समय से पाकिस्तानी आतंकी नूर वली की तलाश है। यही वजह है कि अमेरिका ने अब उस पर 35 करोड़ रुपये से ज्यादा का ईनाम घोषित किया है। फिलहाल वह कहां पर है, इसकी कोई सटीक सूचना किसी सुरक्षा एजेंसी के पास नहीं है। हालांकि, माना जाता है कि वह अफगानिस्तान में कहीं छुपा हुआ है।

सभी आतंकी संगठनों को मिलाने का किया प्रयास
नूर वली का मानना है कि जेहादी ताकतें इसलिए कमजोर हो रही हैं, क्योंकि वह अलग-अलग गुटों में बंटी हुई हैं। लिहाजा उसने सभी आतंकी संगठनों को मिलाने का भी प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहा। अल-कायदा, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उजबेकिस्तान (IMU), चेचेन इस्लामिक मिलिटेंट्स जैसे संगठनों से उसके करीबी संबंध हैं। इतना ही नहीं पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक आंदोलन के अंतरर्गत आने वाले चीनी कट्टरपंथियों से भी उसके गहरे संबंध हैं।

आतंकी संगठन में संभाली कई जिम्मेदारियां
- नूर वली आतंकी संगठन के रेडियो पर बड़े-बड़े धार्मिक उपदेश देता था। इस वजह से उसे मौलाना रेडियो भी बुलाया जाता था।
- तमाम धार्मिक और जेहादी वारदातों को अंजाम दे चुका नूर वली अन्य जेहादी समूहों में भी खास पहचान रखता है।
- वैश्विक आतंकी घोषित किया गया नूर वली टीटीपी कोर्ट का काजी (जज) भी रह चुका है।
- नूर वली कुछ समय के लिए आतंकी संगठन की तरफ से मीडिया संबंधी मामलों का भी प्रमुख रहा है।
- जुलाई 2013 से 2015 तक नूर वली टीटीपी कराची का प्रमुख था और फिर खालिद मेहसूद का डिप्पी बना।
- मेहसूद के बाद टीटीपी में दूसरा सबसे बड़ा नाम मुफ्ती हजरतुल्लाह का है।

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