मानवाधिकार कार्यकर्ता ने संयुक्त राष्ट्र में खोली थी पोल, अब पाक सरकार ले रही बदला
पाकिस्तान सरकार और सुरक्षा एजेंसियां धार्मिक हिंसा के पीड़ितों की मदद करने को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ता नावेद वाल्टर और उनके सहयोगियों को निशाना बना रही है।
वॉशिंगटन, एएनआइ। पाकिस्तानी ईसाई मानवाधिकार कार्यकर्ता ने इमरान सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि देश की सरकार और सुरक्षा एजेंसियां धार्मिक हिंसा के पीड़ितों की मदद करने के लिए उनको और उनके सहयोगियों को निशाना बना रही है।
पाकिस्तान के फैसलाबाद में ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान (HRFP) नामक एनजीओ चलाने वाले नावेद वाल्टर हाल ही में पाकिस्तान छोड़ अमेरिका चले गए थे। पाकिस्तान सरकार पर आरोप लगाते हुए नावेद ने कहा, 'मुझे धार्मिक अल्पसंख्यकों और धार्मिक आजादी के लिए काम करने को लेकर निशाना बनाया जा रहा है। विशेष रूप से कानूनी कार्यवाही के माध्यम से अल्पसंख्यकों की सहायता और दोषियों को न्याय दिलाने के लिए मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है।
ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान एनजीओ 1994 से लगातार पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के लिए लड़ रहा है। चौबिस घंटे सहायता देने वाला ये एनजीओ खास तौर पर धार्मिक अल्पसंख्यकों को लिए कानूनी सहायता प्रदान करता है, साथ ही धार्मिक हिंसा के पीड़ितों को हर संभव मदद पहुंचाता है।
बता दें कि हाल ही में नावेद वाल्टर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) पाकिस्तान की पोल खोली थी, जिसकी वजह से वह पाकिस्तान सरकार के निशाने पर आ गए। अपने भाषण में नावेद ने पाकिस्तान में धर्म के नाम पर की जा रही हिंसा की निंदा की थी।
वहीं, पाकिस्तान सरकार का आरोप है कि नावेद ने अपने संबोधन में कश्मीर मुद्दे का जिक्र नहीं किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की नकारात्मक छवि पेश की। नवेद ने एएनआई को बताया, 'जब भी मैंने अंतरराष्ट्रीय मंचों को संबोधित किया, विभिन्न सरकारी विभागों ने मुझ पर दबाव डाला। उन्होंने एचआरएफपी के कार्यालय का भी दौरा किया और मेरे सहयोगी पर दबाव डाला। इसके अलवा उन लोगों ने मेरे पीछे मेरे परिवार को भी डराने की कोशिश की।'
नावेद ने बताया कि पाक सरकार ने एनजीओ के पंजीकरण के नवीनीकरण में भी समस्याएं पैदा कर दी है। उन्होंने बैंक खातों को सील कर दिया है। इसके बाद भी जब वो मुझे अपना काम रोकने पर मजबूर नहीं कर सके तो मुझे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। जिसके बाद हमें अमेरिका जाना पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान में मानवाधिकार रक्षकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी आवाज उठाने पर निशाना बनाया जा रहा है।