आखिर कैसे विमानों से टूट जाता है संपर्क, NASA करेगा अध्ययन
नासा छोटे सैटेलाइट का एक पेयर अंतरिक्ष में भेजकर यह अध्ययन करेगा कि किस तरह से सैन्य और एयरलाइन संचार जीपीएस सिग्नल आदि पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में गुजरने के दौरान टूट जाता है।
वॉशिंगटन,प्रेट्र। नासा छोटे सैटेलाइट का एक पेयर (जोड़ा) अंतरिक्ष में भेजकर यह अध्ययन करेगा कि किस तरह से सैन्य और एयरलाइन संचार, रेडियो, जीपीएस सिग्नल आदि पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में गुजरने के दौरान टूट जाते हैं। 24 जून को अमेरिकी रक्षा विभाग के अंतरिक्ष परीक्षण कार्यक्रम में लांच होने वाले कुल 24 सैटेलाइट के साथ दो जुड़वा ई-टीबीईएक्स (इनहैंस्ड टैंडम बीकन इक्सपेरीमेंट) क्यूबसैट भी लांच किए जाएंगे।
ई-टीबीईएक्स क्यूबसैट यह अध्ययन करेगा कि आयनमंडल में (पृथ्वी से 80 किमी के ऊपर का वायुमंडल) हवा से बने बुलबुलों में किस तरह से रेडियो सिग्नल खो जाते हैं। इसकी सबसे ज्यादा समस्या भूमध्य रेखा के ऊपर होती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि सबसे पहले समझने की बात यह है कि आयनमंडल में बुलबुले विकसित कैसे होते हैं। क्योंकि जितना इनके बारे में जान सकेंगे उतना ही समस्या का निराकरण किया जा सकेगा। अभी तक वैज्ञानिक यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि ये बुलबुले कब बनेंगे और कम खत्म हो जाएंगे।
ई-टीबीईएक्स मिशन के पेलोड प्रोग्राम मैनेजर रिक डो ने बताया कि धरती से इन बुलबुलों के बारे में अध्ययन करना बहुत कठिन है। आयनमंडल का आयतन अपनी निचली परत से कई गुना अधिक है पर यहां हवा की कुल मात्र निचले वायुमंडल की मात्र के 200वें भाग के बराबर है। यहां पर हवा के कण आयनित होते हैं मतलब ये पॉजिटिव और निगेटिव में बंट जाते हैं जिनको प्लाज्मा कहा जाता है।
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