कोरोना से इंसानों में कैसे बढ़ता है स्ट्रोक का खतरा, वैज्ञानिकों ने लगाया पता, आप भी जानें
कोरोना इंसानों में स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है लेकिन ऐसा कैसे होता है वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया है। शुरू में गंभीर श्वसन लक्षणों वाली बीमारी के तौर पर पहचाना गया था लेकिन इस बारे में बहुत कम जानकारी थी कि यह स्ट्रोक के खतरे को कैसे बढ़ाता है।
लॉस एंजिलिस, एएनआइ। कोरोना स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है लेकिन ऐसा कैसे होता है वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया है। लॉस एंजिलिस हेल्थ साइंसेज के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में यह पता लगाया गया है कि कोरोना स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता कैसे है। मालूम हो कि कोरोना को शुरू में गंभीर श्वसन लक्षणों वाली बीमारी के तौर पर पहचाना गया था, लेकिन इस बारे में बहुत कम जानकारी थी कि यह स्ट्रोक के खतरे को कैसे बढ़ाता है।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने धमनी के माध्यम से रक्त द्वारा उत्पन्न बलों का पता लगाने के लिए मस्तिष्क की रक्त धमनियों के थ्री-डी प्रिंटेड सिलिकॉन मॉडल का प्रयोग किया। इससे पता चला कि यह बल एंजियोटेंसिन कंवर्टिग एंजाइम 2 या एसीई2 को बढ़ाते हैं। बता दें कि एसीई2 कोरोना वायरस को कोशिकाओं में पहुंचाने में मदद करता है। शोध के वरिष्ठ लेखक जेसन हिनमैन ने दावा किया कि बल सीधे एसीई2 की संख्या को बढ़ाने का काम करता है।
शोधकर्ताओं ने पहले मानव मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं के सीटी स्कैन के डाटा का उपयोग करके मॉडल बनाया और फिर उन्होंने एंडोथेलियल कोशिकाओं के साथ मॉडल की आंतरिक सतहों को मिलाया। इस दौरान भी उसी तरह का बल उत्पन्न हुआ जो कोरोना संक्रमण के दौरान वास्तविक रक्त वाहिकाओं पर होता है। हिनमैन ने कहा कि यह खोज कोरोना संक्रमण के मरीजों में बढ़ती स्ट्रोक की समस्या की व्याख्या कर सकती है।
एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना तब फैलता है जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है। अमेरिकी वैज्ञानिकों की मानें तो सर्दियों में तापमान गिरने पर वायरस लंबे समय तक संक्रमणकारी रह सकता है। यही नहीं अस्पताल में कोरोना का इलाज करा रहे पुरुषों के लिए यह वायरस ज्यादा घातक हो सकता है। क्लीनिकल इंफेक्शियस डिजीज पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, महिलाओं की तुलना में ऐसे पुरुषों में मौत का खतरा 30 फीसद अधिक हो सकता है।