अमेरिका के भूजल में इस जीन की भरमार, लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए है खतरनाक

अमेरिका के भूमिगत जल भंडार में एंटोबॉयोटिक प्रतिरोधी जीन (Antibiotic Genes) तेजी से फैल रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 06 Oct 2019 09:33 PM (IST) Updated:Sun, 06 Oct 2019 09:48 PM (IST)
अमेरिका के भूजल में इस जीन की भरमार, लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए है खतरनाक
अमेरिका के भूजल में इस जीन की भरमार, लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए है खतरनाक

न्यूयॉर्क, आइएएनएस। अमेरिका के भूमिगत जल भंडार में एंटोबॉयोटिक प्रतिरोधी जीन (Antibiotic Genes- एआरजी) तेजी से फैल रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के बाद यह दावा किया। उनका कहना है कि भविष्य में एआरजी लोगों की सेहत के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर एडम स्मिथ ने कहा, 'वाटर सिस्टम के जरिये एआरजी जैसे प्रदूषकों का तेजी से फैलना और एंटीबॉयोटिक के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके सुपर बग इस वक्त की सबसे बड़ी समस्या हैं। जलशोधन के दौरान एआरजी को नियंत्रित करना भी मुश्किल है, जो भविष्य में लोगों की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।'

जैविक प्रदूषक होते हैं एआरजी 

स्मिथ और उनकी टीम ने दक्षिणी कैलिफोर्निया स्थित जलशोधन प्रणाली और भूमिगत जल में एआरजी की मात्रा का अध्ययन किया था। उनका कहना है कि एआरजी डीएनए के छोटे कण होते हैं, जो पर्यावरण में फैल जाते हैं। चूंकि, ये जैविक प्रदूषक होते हैं, इसलिए पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया इन्हें पछाड़कर खुद दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता क्षमता विकसित कर लेते हैं। फिर, ये सुपरबग प्रतिरोधी क्षमता को अन्य रोगाणुओं में फैलाते हैं और यह सिलसिला लगातार चलता रहता है।

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एंटीबॉयोटिक के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण बढ़ रहे हैं एआरजी

बीते कुछ सालों से एंटीबॉयोटिक का इस्तेमाल अत्यधिक बढ़ा है, जिसके फलस्वरूप भिन्न जल स्त्रोतों में एआरजी और एंटीबॉयोटिक के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके रोगाणु तेजी से बढ़ रहे हैं। स्मिथ ने कहा, 'लगातार बढ़ रहे सुपरबग के अलावा स्वास्थ्य के कई अन्य खतरों को देखते हुए भिन्न जल स्त्रोतों में एआरजी की मात्रा के अंतर का अध्ययन किया जाना जरूरी है।'

अमेरिका के पानी माइक्रोप्‍लास्टिक के कई अवयव मौजूद 

शोधकर्ताओं ने ग्राउंडवाटर नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया कि उन्होंने अमेरिका के भूजल स्रोतों का अध्ययन किया तो यह सामने आया कि जल में माइक्रोप्लास्टिक विभिन्न अवयवों के रूप में मौजूद है। अमेरिका की इलिनोइस सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी सेंटर के शोधकर्ता जॉन स्कॉट के मुताबिक, वातावरण में मौजूद प्लास्टिक टूटकर माइक्रोप्लास्टिक बन जाता है। समुद्री जीवों की आंत और गलफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक जमा होता है। जो उनके जीवन के लिए खतरा है।

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