उफनती झीलों के कारण मंगल ग्रह पर बनीं कैस्पियन सागर जितनी विशाल घाटियां

मंगल ग्रह की झीलों से तेज बाढ़ की बात भले ही किसी उपन्यास की कहानी जैसी लग रही हो लेकिन पृथ्वी पर भी ऐसा ही कुछ होने का अनुमान है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 06:01 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 06:01 PM (IST)
उफनती झीलों के कारण मंगल ग्रह पर बनीं कैस्पियन सागर जितनी विशाल घाटियां
उफनती झीलों के कारण मंगल ग्रह पर बनीं कैस्पियन सागर जितनी विशाल घाटियां

वाशिंगटन, प्रेट्र। मंगल ग्रह पर बनी घाटियों को लेकर नया अध्ययन सामने आया है। अध्ययन के मुताबिक, उफनती झीलों के कारण आई बाढ़ ने लाल ग्रह पर घाटियों का निर्माण किया है। यह सब तीन अरब साल पहले हुआ। इस शोध से यह तथ्य सामने आया है कि ऊपरी सतह पर आने वाली आपदाएं भी मंगल या अन्य ग्रहों की भूमि की संरचना का कारण हो सकती हैं। आमतौर पर माना जाता है कि भीतरी सतह में होने वाली हलचल (प्लेट टैक्टोनिक्स) ही नदी, घाटी या पर्वत जैसी संरचनाओं के बनने का कारण होती है।

अमेरिका की ऑस्टिन स्थित टेक्सास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता टिम गॉज ने कहा, 'मंगल पर बनी ये घाटियां काफी मिलती-जुलती हैं। इनका आकार भी बहुत बड़ा है। कुछ घाटियां कैस्पियन सागर जितनी विशाल हैं।' उपग्रहों से मिली तस्वीरों के जरिये चट्टानों के बनने की प्रक्रिया के अध्ययन से वैज्ञानिकों को पता लगा है कि मंगल की सतह पर बने सैकड़ों गड्ढे ऐसे हैं, जिनमें कभी पानी भरा था।

इनमें से 200 से ज्यादा झीलें ऐसी हैं जिनके आगे सैकड़ों किलोमीटर लंबी और कई किलोमीटर चौड़ी घाटियां हैं। ये घाटियां इन झीलों से बहते पानी से बनी हैं। हालांकि अभी वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं कि ये घाटियां लाखों साल में धीरे-धीरे बनी हैं या अचानक आई किसी बाढ़ के कारण बन गई।

नासा के मंगलयान द्वारा ली गई उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरों के जरिये वैज्ञानिकों ने घाटियों और झीलों का अध्ययन किया। इसमें इन घाटियों के आकार और किसी बाढ़ की स्थिति में बहने वाले जल की अनुमानित मात्रा के बीच संबंध पाया गया है। हालांकि यदि घाटियां लाखों साल में धीरे-धीरे बनी होंगी, तो यह संबंध का सिद्धांत काम नहीं करेगा।

24 झीलों का किया अध्ययन

वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की 24 प्राचीन झीलों और उनसे जुड़ी घाटियों का अध्ययन किया है। इनमें से एक जजेरो क्रेटर भी है, जहां 2020 में नासा का मंगलयान उतरेगा। यह यान जीवन की संभावनाएं तलाशेगा। वैज्ञानिकों ने पहले के अध्ययनों के आधार पर इसे मंगलयान की लैंडिंग साइट के रूप में चुना है। अध्ययन के मुताबिक, यहां लंबे समय तक पानी का अस्तित्व रहा है।

पृथ्वी पर भी हुआ था ऐसा

मंगल ग्रह की झीलों से तेज बाढ़ की बात भले ही किसी उपन्यास की कहानी जैसी लग रही हो लेकिन पृथ्वी पर भी ऐसा ही कुछ होने का अनुमान है। यहां ग्लेशियर से घिरी झीलों ने जब किनारे तोड़े, तब ऐसा ही दृश्य रहा होगा। मंगल और पृथ्वी पर बाढ़ की प्रक्रिया एक सी ही रही थी, लेकिन दोनों की भूगर्भीय स्थिति अलग-अलग है। धरती पर प्लेट टैक्टोनिक ने लाखों साल में भूमि की संरचना को बहुत बदल दिया है। मंगल की सतह में प्लेट टैक्टोनिक जैसी हलचल नहीं होने के कारण यहां बाढ़ से बनी संरचनाओं ने स्थायी रूप ले लिया।

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