अफगानी सिख-हिंदुओं के लिए 20 अमेरिकी सांसदों ने की रिफ्यूजी प्रोटेक्शन की मांग

अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदू व सिख समुदाय की सुरक्षा के मद्देनजर अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप प्रशासन से मदद की गुजारिश की है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Sat, 27 Jun 2020 03:28 PM (IST) Updated:Sat, 27 Jun 2020 03:28 PM (IST)
अफगानी सिख-हिंदुओं के लिए 20 अमेरिकी सांसदों ने की रिफ्यूजी प्रोटेक्शन की मांग
अफगानी सिख-हिंदुओं के लिए 20 अमेरिकी सांसदों ने की रिफ्यूजी प्रोटेक्शन की मांग

वाशिंगटन, प्रेट्र। अफगानिस्तान में रहने वाले सिख व हिंदू समुदाय के लिए अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप प्रशासन से मदद की गुजारिश की है। अफगानिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के उत्पीड़न का मामला उठाते हुए 20 अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप प्रशासन से इमरजेंसी रिफ्यूजी प्रोटेक्शन की मांग की है।

विदेश मंत्री माइक पोंपियो ( Mike Pompeo) को संबोधित कर लिखे गए पत्र में अमेरिका के 20 सांसदों ने अफगान में रहने वाले सिख और हिंदू समुदायों को ‘यूएस रिफ्यूजी एडमिशन्स प्रोग्राम’ के तहत शरण देने का अनुरोध किया है।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के अत्याचारों और ISIS खुरासन (ISIS Khorasan, ISIS-K) के हाल के आतंकी हमलों के कारण हिंदुओं और सिखों की आबादी में गिरावट आई है। सांसदों ने कहा, ' ट्रंप प्रशासन ने हमेशा धार्मिक आजादी की रक्षा को विदेश नीति की प्राथमिकता बताया है।' उन्होंने कहा,'अफगानिस्तान में सिख और हिंदू समुदायों को अपने धर्म के कारण ISIS-K से खतरे का सामना करना पड़ता है।

उल्लेखनीय है कि इसी साल मार्च में ISIS-K ने काबुल में सिख गुरुद्वारे को निशाना बनाया था जिसमें 25 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। धार्मिक आजादी की रक्षा करने के लिए हम इन प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने के लिए आपसे ये आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध करते हैं।' इसके अलावा विदेश मंत्री से सिख और हिंदू समुदायों के उन सदस्यों को अतिरिक्त सहयोग मुहैया कराने की भी अपील की गई है जो अफगानिस्तान में रहना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि एक समय अफगानिस्तान में सिख और हिंदू समुदाय के लोगों की संख्या करीब 2,50,000 थी लेकिन दशकों की प्रताड़ना के बाद अब यह संख्या 1,000 तक रह गई है। इसके अलावा सांसदों ने कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी के मद्देनजर उपलब्ध कराई गई अमेरिकी आर्थिक मदद अफगान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को मिलने वाली सुविधा सुनिश्चित कराने की भी अपील की और कहा कि सभी देशों को इस बात की प्राथमिकता देनी चाहिए कि उनके यहां रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कोविड-19 के लिए आर्थिक सहायता मिले।

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