मकर संक्राति के लिए मिट्टी का सौरा बनाने का कार्य शुरू

संवाद सूत्रकालियागंज मकर संक्राति आते ही पालपाडा में मिट्टी का धामा(सौरा) बनाने का काम जोर-

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Jan 2022 07:55 PM (IST) Updated:Mon, 10 Jan 2022 07:55 PM (IST)
मकर संक्राति के लिए मिट्टी का सौरा बनाने का कार्य शुरू
मकर संक्राति के लिए मिट्टी का सौरा बनाने का कार्य शुरू

संवाद सूत्र,कालियागंज: मकर संक्राति आते ही पालपाडा में मिट्टी का धामा(सौरा) बनाने का काम जोर-शोर से जारी है। शायद ही कोई बंगाली होगा जिसका भापपीठा, पुलीपीठा, तेलपीठा और पतिसापीठा का नाम सुनते ही जीभ पर पानी ना आजाए। इस पीठा को बनाने के लिए मिट्टी का सौरा का उपयोग किया जाता है,जो कुम्हारों द्वारा कच्ची मिट्टी से बनाया जाता है। धूप में सुखाने के बाद इसे आग से तपाकर बाजार में बेचने के लिए तैयार किया जाता है। वर्ष के अन्य समय में सौरा की इतनी माग नहीं होती। लेकिन पौषपर्व में पीठा बनाने के मद्देनजर हर हिंदू गृहस्थ के घर में सौरा का उपयोग किया जाता है। जहा इस मिट्टी के बर्तन में पीठा तैयार कर घर के देवताओं और पूर्वजों को समर्पित करने की प्रथा है। उक्त परंपरा के कारण मकर संक्राति के दिन मिट्टी के सौरा का मूल्य बढ़ जाता है। इसके लेकर कालियागंज के मिशनमोड़ पालपाड़ा में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार परिवार उक्त सौरा बनाने के कार्य मे तत्परता से जुटे है। पीठा बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के मिट्टी के बर्तन होते हैं,जो 20-40 रुपये में बिकते है। कालियागंज शहर के कुछ दशकर्मा दुकानों के अलावा ज्यादातर गावों के हाट-बाजारो में सौरा बेचे जाते हैं। ऐसे इन सौरो की ज्यादातर बिक्री धनकोल, कुनोर, तरंगपुर, कुशमंडी के पनिशाला और कालियागंज के उसाहरन जैसे विभिन्न हाट-बाजारों में बेचे जाते हैं। विभिन्न पीठा बनाने के लिए अलग-अलग आकार के सौरा तैयार किये जाते हैं। इसे लेकर घर के पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी इस कार्य मे हाथ बटाती है।

इस संदर्भ में लक्ष्मी पाल नामक एक गृहिणी ने बताया कि वो मिट्टी का बर्तन आदि बनाकर परिवार का भरण पोषण करते है। यह कार्य सभी मिल जुल कर करते है।

कैप्शन : मिट्टी का सौरा

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