फिरहाद को केएमसी का प्रशासक नियुक्त किए जाने पर बढ़ी तनातनी, राज्यपाल ने ममता से मांगी जानकारी

प्रशासक के तौर पर वर्तमान मेयर फिरहाद हकीम को नियुक्त किये जाने और उसकी जानकारी नहीं दिये जाने को लेकर अब राज्यपाल और ममता सरकार के बीच एकबार फिर तनातनी बढ़ गई है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Thu, 07 May 2020 08:16 PM (IST) Updated:Thu, 07 May 2020 08:16 PM (IST)
फिरहाद को केएमसी का प्रशासक नियुक्त किए जाने पर बढ़ी तनातनी, राज्यपाल ने ममता से मांगी जानकारी
फिरहाद को केएमसी का प्रशासक नियुक्त किए जाने पर बढ़ी तनातनी, राज्यपाल ने ममता से मांगी जानकारी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल सरकार की ओर से कोलकाता नगर निगम (केएमसी) में प्रशासक के तौर पर वर्तमान मेयर फिरहाद हकीम को नियुक्त किये जाने और उसकी जानकारी नहीं दिये जाने को लेकर अब राज्यपाल और ममता सरकार के बीच एकबार फिर तनातनी बढ़ गई है। इस नियुक्ति से क्षुब्ध राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत जानकारी मांगी है। इस अनुच्छेद के तहत मांगी गई जानकारी देने के लिए मुख्यमंत्री बाध्य हैं। राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कोलकाता नगर निगम में बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स की नियुक्ति से संबंधित 6 मई, 2020 की अधिसूचना की जानकारी संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत देने के लिए मुख्यमंत्री से अनुरोध किया गया है। राज्यपाल ने कहा, संविधान के तहत दिये गये ‘कर्तव्यों’ का मुख्यमंत्री पालन करें। मुख्य सचिव इस बाबत सूचना दें। 

राज्यपाल ने मुख्य सचिव को भेजे गये पत्र में कहा : कोलकाता नगर निगम के बारे में छह मई की अधिसूचना अभी तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है। इसे बिना किसी देरी के राजभवन भेजा जाना चाहिए, जबकि यह अधिसूचना मीडिया में उपलब्ध है। मुख्य सचिव तत्काल अधिसूचना के निर्णय की प्रक्रिया व निर्णय लेने के अधिकार के बार में बतायें। संविधान के भाग IX A के तहत इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाये। पत्र में कहा गया है कि सुबह मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया था, लेकिन मुख्य सचिव का जवाब नहीं मिलने के कारण संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत जवाब मांगा गया है। 

भारत के संविधान, 1949 के अनुच्छेद 167 के तहत मुख्यमंत्री का राज्यपाल को सूचना देना कर्तव्य है। यह प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री का कर्तव्य है। राज्य के राज्यपाल से राज्य के प्रशासन से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों और कानून के प्रस्तावों के लिए संवाद करना, राज्य के मामलों के प्रशासन से संबंधित जानकारी प्रस्तुत करना और राज्यपाल के लिए कानून का प्रस्ताव हो सकता है तथा यदि राज्यपाल जरूरत समझे, तो किसी भी मामले पर मंत्रिपरिषद के विचार के लिए प्रस्तुत करने के लिए, जिस पर किसी मंत्री द्वारा निर्णय लिया गया है, लेकिन जिसे परिषद द्वारा नहीं माना गया है, उसे तलब करना शामिल है। 

उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे पर राज्यपाल ने सुबह में पहले ट्वीट कर आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने मेरे नाम से अधिसूचना तो जारी की है, लेकिन मुझे इस बारे में कुछ बताया ही नहीं। उन्होंने पहले मुख्य सचिव राजीव सिन्हा से इस मामले पर जवाब तलब किया। राज्यपाल ने कहा कि छह मई को राज्य सरकार ने कोलकाता नगर निगम के बारे में जो अधिसूचना जारी की, वह अभी तक राजभवन को नहीं भेजी गयी है, जबकि यह अधिसूचना राज्यपाल के नाम से जारी किया गया है। सबसे पहले इस नोटिस को बिना देरी किये राजभवन को विचार के लिए भेजा जाना चाहिए था, लेकिन मीडिया में प्रसारित कर दिया गया। इसे लेकर उन्होंने मुख्य सचिव को तलब किया। इसके अलावा नगर निगम प्रशासन नियुक्त करने की पूरी प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी मांगी। साथ ही उन लोगों के बारे में पूछा, जिन्होंने यह फैसला किया है। उन्होंने कहा कि संविधान में प्रदत्त प्रावधानों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। किसी भी कीमत पर संविधान की अवहेलना ना हो। मेरे नाम से ऑर्डर जारी हुआ है और मुझे पता तक नहीं है। आखिर हम कहां जा रहे हैं? यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार के निर्देशों की अवहेलना हो रही है। राज्य सरकार को लोगों के हित में कानून के अनुसार काम करने की जरूरत है। हालांकि मुख्य सचिव द्वारा कोई जवाब नहीं मिलने के बाद राज्यपाल ने संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुख्यमंत्री से जानकारी मांगी है। 

क्या है मामला 

दरअसल, कोलकाता नगर निगम के बोर्ड की अवधि गुरुवार, 7 मई को खत्म हो रही है। शुक्रवार (आठ मई) से निगम में प्रशासक के तौर पर वर्तमान मेयर फिरहाद हकीम को ही नियुक्त कर दिया गया है, जबकि नगर निगम के एमएमआइसी सदस्यों को ही बोर्ड के सदस्य के तौर पर मनोनीत कर दिया गया है। राज्य सरकार के इस फैसले पर भाजपा व अन्य विपक्षी दलों ने भी सवाल उठाए हैं।

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