ममता सरकार को दी चेतावनी, बकाया डीए का भुगतान नहीं करने पर करेंगे वृहद आंदोलन
राज्य को आर्डिनेशन कमेटी की तरफ से ममता सरकार को चेतावनी दी गई है। अगर कलकत्ता हाई कोर्ट के मौजूदा आदेश का पालन नहीं किया गया तो इसके खिलाफ वृहद आंदोलन किया जाएगा। कहा गया है कि डीए भुगतान के लिए सरकार की सद्इच्छा नहीं दिखती।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेशानुसार राज्य सरकार के कर्मचारियों के बकाए महंगाई भत्ते (डीएनए) का भुगतान नहीं करने पर वृहद आंदोलन किया जाएगा। राज्य को आर्डिनेशन कमेटी की तरफ से ममता सरकार को यह चेतावनी दी गई है। कमेटी के महासचिव विजय शंकर सिंह ने बताया कि पिछले 11 साल में डीए से संबंधित 30 मामलों में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट अथवा हाई कोर्ट से फटकार लगी है लेकिन उसके बावजूद राज्य सरकार ने अदालत के किसी भी आदेश का अनुपालन नहीं किया है। इस मामले में भी उसकी सद्इच्छा नहीं दिख रही है। अगर कलकत्ता हाई कोर्ट के मौजूदा आदेश का पालन नहीं किया गया तो इसके खिलाफ वृहद आंदोलन किया जाएगा।
डीए सरकारी कर्मचारियों का अधिकार है। राज्य सरकार इसे 'दया दान' बता रही थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि बंगाल में सरकारी कर्मियों के बकाया डीए के मामले में गत शुक्रवार को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए सरकारी कर्मचारियों को तीन महीने में उनका बकाया डीए का भुगतान करने निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सैट) के जुलाई, 2019 के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा था कि डीए सरकारी कर्मियों का मौलिक व कानूनी अधिकार है। इससे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि अगले तीन महीने के भीतर बकाया डीए क्लियर करना होगा। जुलाई, 2009 से ही बकाया डीए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने राज्य सरकार के इस तर्क को भी खारिज कर दिया था कि उसके कोष में पैसा नहीं है।
खंडपीठ ने साफ कहा कि कर्मियों को उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने इसके साथ ही कहा था कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को जिस दर पर डीए का भुगतान किया जाता है, राज्य के कर्मियों को भी उसी दर पर डीए का भुगतान करना पड़ेगा। बता दें कि केंद्र के कर्मियों को जहां सातवां वेतनमान का लाभ मिल रहा है, वहीं बंगाल में अभी भी छठा वेतनमान ही लागू है। बकाया डीए के मुद्दे पर 2016 में मामला हुआ था। सैट ने राज्य सरकार के कर्मिचारियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए केंद्रीय कर्मचारियों की दर पर ही उन्हें डीए देने का राज्य को आदेश दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की थी। इससे पहले भी हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से कहा था कि मुद्रास्फीति से जुड़ा महंगाई भत्ता कर्मचारियों के लिए कानूनी अधिकार है और यह प्रशासन के विवेक पर निर्भर नहीं करता है।