रूढ़ीवादी सोच के खिलाफ जारी है संघर्ष, ‘स्वयं’ से मिला सहारा; कब बदलेंगे हालात...

सुचंद्रा चटर्जी ने बताया हम शोषण की शिकार महिलाओं को निशुल्क कानूनी सलाह प्रदान करने के साथ ही उनके अधिकारों की लड़ाई भी लड़ते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 10:58 AM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 10:58 AM (IST)
रूढ़ीवादी सोच के खिलाफ जारी है संघर्ष, ‘स्वयं’ से मिला सहारा; कब बदलेंगे हालात...
रूढ़ीवादी सोच के खिलाफ जारी है संघर्ष, ‘स्वयं’ से मिला सहारा; कब बदलेंगे हालात...

कोलकाता, विनय कुमार। संविधान भले नागरिकों को समानता का अधिकार देता हो लेकिन समाज में व्याप्त कुरीतियां और रुढ़ीवादी सोच आज भी महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बन रही हैं। स्वयं ने इसी के खिलाफ बंगाल में पिछले ढाई दशक से मुहिम छेड़ रखी है। यह संस्था भेदभाव की शिकार महिलाओं को कानूनी सलाह व सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण, रहने की जगह और रोजगार मुहैया करा रही है।

संस्था से मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता और प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर के तौर पर जुड़ी सुचंद्रा चटर्जी ने बताया, हम शोषण की शिकार महिलाओं को नि:शुल्क कानूनी सलाह प्रदान करने के साथ ही उनके अधिकारों की लड़ाई भी लड़ते हैं। इस मुहिम में कलकत्ता रेस्क्यू नामक संस्था भी साथ मिलकर काम कर रही है। दरअसल, शोषित महिलाएं आवाज उठाने से डरती हैं। इसका कारण कहीं न कहीं समाज में पुरुषवादी सोच का हावी होना भी है। न्याय की आस में दर-दर भटक रहीं महिलाओं की मदद के लिए स्वयं हरसंभव प्रयास कर रही हैं।

‘स्वयं’ से मिला सहारा: नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर लैंगिक भेदभाव की शिकार एक महिला ने बताया-%परिवार में मेरे साथ वह सब हुआ, जो एक सभ्य महिला पसंद नहीं करेगी। मैं उत्पीडऩ से मानसिक रूप से टूट चुकी थी। ऐसे में स्वयं ने सहारा दिया। स्वयं ने मुझे नि:शुल्क कानूनी सलाह प्रदान की और न्यायालय तक मेरी लड़ाई लड़ी। आज मैं सम्मान से जीवन यापन कर रही हूं।’ एक अन्य महिला ने बताया-%बस्ती इलाके में महिला उत्पीडऩ और घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज बनकर उभरी इस संस्था से जुडऩे के बाद मेरी जिंदगी बदल गई। संस्था द्वारा उपलब्ध कराए गए रोजगार से मुझे जीने का नया आधार मिला है।’

कब बदलेंगे हालात...

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि अब भी बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में महिलाएं एसिड अटैक का शिकार हो रही हैं। दुकानों पर एसिड की खुली बिक्री पर प्रतिबंध के लिए नियम बना, लेकिन क्या हुआ? आज भी आसानी से सभी जगह मामूली सी कीमत पर एसिड मिल जाता है।

लक्ष्मी अग्रवाल, एसिड अटैक सर्वाइवर

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