बुद्धदेव भट्टाचार्य और विमान बोस मुझे मार ही डालतेः तस्लीमा नसरीन

Taslima Nasrin. तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि बुद्धदेव भट्टाचार्य और विमान बोस उन्हें मारने की साजिश रच रहे थे।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Thu, 22 Aug 2019 06:39 PM (IST) Updated:Thu, 22 Aug 2019 07:20 PM (IST)
बुद्धदेव भट्टाचार्य और विमान बोस मुझे मार ही डालतेः तस्लीमा नसरीन
बुद्धदेव भट्टाचार्य और विमान बोस मुझे मार ही डालतेः तस्लीमा नसरीन

जागरण संवाददाता, कोलकाता। बांग्लादेश की निष्कासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और वाममोर्चा अध्यक्ष विमान बोस पर हमला करते हुए कहा कि ये दोनों वामपंथी नेता उन्हें मारने की साजिश कर रहे थे। उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि वे खुद भी वामपंथी विचारक थीं, सो उन्हें उम्मीद थी कि बांग्लादेश से निकाले जाने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल में शरण मिलेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, बल्कि वामपंथियों द्वारा उन्हें ज्यादा परेशान किया गया और कोलकाता से उन्हें बाहर फेंक दिया गया।

इसके अलावा उन्होंने अपनी पोस्ट में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु, बुद्धदेव भट्टाचार्य और विमान बोस के साथ उनके बेहतर संबंधों का भी जिक्र किया है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पुस्तक 'लज्जा' पर प्रतिबंध लगने के बाद बुद्धदेव को उनके चेहरे से भी नफरत हो गई थी। हालांकि दो साल बाद पुस्तक पर लगे प्रतिबंध को कोलकाता हाईकोर्ट ने हटाने का निर्देश दिया, लेकिन इसके बाद उन्हें कई बार पुलिस ने फोन किया और उन्हें तत्काल राज्य छोड़ने के आदेश के साथ ही चार माह तक नजरबंद रखा गया।

इधर, सड़कों पर 'तस्लीमा गो बैक' के नारे लगने लगे। इस बीच एक नवंबर, 2001 को पुलिस ने उन्हें उठा लिया और उन्हें एक अज्ञात घर में ले जाकर नजरबंद कर दिया गया। हालांकि जब उन्होंने सवाल किया तो उन्हें बताया गया कि सिद्दीकुल्ला के समर्थक उनकी हत्या कर सकते हैं। खैर, उनकी लोकप्रियता के कारण उनकी जान बच गई वरना तत्कालीन वाम सरकार उनकी हत्या भी कर सकती थी।

वहीं, तस्लीमा की पुस्तक 'लज्जा' का सीक्कल 'शेमलेस' 2020 में प्रकाशित होने जा रहा है। यह पुस्तक भारत में सांप्रदायिक तनावों पर आधारित है कि किस प्रकार ये लोगों के जीवन पर गहरा घाव छोड़ जाते हैं। तस्लीमा की विवादास्पद पुस्तक का यह सीक्कल उस समय लिखा गया जब वह कोलकाता में रह रही थीं। उनकी पहली पुस्तक 'लज्जा' की कहानी बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं की प्रताड़ना पर आधारित थी। जिसकी कहानी के आखिर में सुरंजन दत्ता और उनका परिवार सुरक्षा की उम्मीद में कोलकाता आ जाता है।

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