सोमनाथ चटर्जी का निधन

-अंत्येष्टि नहीं, अस्पताल में शव को किया गया दान -विधानसभा में दिया गया पूर्ण राजकीय सम्मान -अं

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Aug 2018 06:28 PM (IST) Updated:Mon, 13 Aug 2018 06:38 PM (IST)
सोमनाथ चटर्जी का निधन
सोमनाथ चटर्जी का निधन

-अंत्येष्टि नहीं, अस्पताल में शव को किया गया दान

-विधानसभा में दिया गया पूर्ण राजकीय सम्मान

-अंतिम यात्रा में भी माकपा दफ्तर से दूर रही सोमनाथ दा का पार्थिव शरीर

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: बंगाल से 10 बार सासद व 14 वीं लोकसभा के अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का सोमवार सुबह करीब 8.15 बजे कोलकाता के निजी अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। वे 89 साल के थे। रविवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद से उनकी स्थिति बिगड़ गई थी। आखिरकार उन्होंने सोमवार को दम तोड़ दिया। अस्पताल से उनके पार्थिक शरीर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद अपनी देखरेख में पहले हाईकोर्ट पहुंचवाया जहां खुद भी मौजूद रहीं। इस हाईकोर्ट से सोमनाथ ने अधिवक्ता का जीवन शुरू किया। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भंट्टाचार्य समेत कई न्यायाधीशों व अधिवक्ताओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किया। इसके बाद उनका पार्थिक शरीर को विधानसभा ले जाया गया। यहां राज्य सरकार की ओर से उन्हें पूरी राजकीय सम्मान के साथ-साथ गन सैल्यूट दिया दिया। इसके बाद दक्षिण कोलकाता स्थित आवास पर उनके शव को लाया गया जहां लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से लेकर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, सूर्यकांत मिश्रा, विमान बोस पहुंचे। इसके बाद उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई जो सेठ सुखलाल करनानी मेमोरियल (एसएसकेएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उनके पार्थिक शरीर को दान देने के साथ खत्म हुई। हजारों की संख्या में लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। सोमनाथ ने जीते जी ही अपने शरीर को दान कर दिया था। इसी अस्पताल में उनके राजनीतिक गुरु ज्योति बसु के शव को भी दान किया गया था।

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अंतिम यात्रा में भी माकपा प्रदेश मुख्यालय से दूर

2008 में माकपा से निकाले जाने के बाद से सोमनाथ चटर्जी कभी अलीमुद्दीन स्ट्रीट स्थित माकपा मुख्यालय नहीं गए और अंतिम यात्रा के दौरान भी उनका शव वहां नहीं गया।

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¨हदूवादी पिता के वामपंथी बेटे थे सोमनाथ

सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को असम के तेजपुर में हुआ था। उनके पिता का निर्मल चंद्र चटर्जी विख्यात अधिवक्ता थे और मा का नाम वीणापाणि देवी था। सोमनाथ चटर्जी के पिता अखिल भारतीय हिंदू महासभा के संस्थापकों में से एक थे। सोमनाथ ने कोलकाता और ब्रिटेन में पढ़ाई की। ब्रिटेन के मिडिल टैंपल से लॉ की पढ़ाई करने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट वकील हो गए। लेकिन इसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया। वह एक प्रखर वक्ता के तौर पर लोगों की नजरों में आ चुके थे। सोमनाथ का राजनीतिक जीवन विरोधाभाषों के साथ शुरू हुआ। उनके पिता जहा दक्षिणपंथी राजनीति से थे तो सोमनाथ ने करियर की शुरुआत वामपंथी माकपा के साथ 1968 में की। 1971 में पहली बार वह सासद चुने गये और फिर 10 बार लोकसभा के सासद निर्वाचित होते रहे। राजनीति में सोमनाथ चटर्जी एक बहुत ही सम्मानित नेता के तौर पर देखा जाता है।

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एक पुत्र व दो बेटी छोड़ गए

सोमनाथ चटर्जी की पत्‍‌नी रेणु चटर्जी का कुछ दिन पहले ही निधन हो गया था। उनके परिवार में एक पुत्र और दो पुत्रिया हैं। 1971 से सासद चुने जाने के बाद वह हर लोकसभा के लिए चुने गए। साल 2004 में वह 10वीं बार लोकसभा के लिए चुने गए। उन्हें 1996 में सर्वश्रेष्ठ सासद के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साल 2004 में 14वीं लोकसभा के लिये उन्हें सभी दलों की सहमति से लोकसभा का अध्यक्ष बने थे।

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माकपा ने पार्टी से

निकाल दिया था

वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौता विधेयक के विरोध में माकपा ने तत्कालीन मनमोहन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। तब सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे। पार्टी ने उन्हें स्पीकर पद छोड़ देने के लिए कहा लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद माकपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था।

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ममता से हार गए थे

लोकसभा चुनाव

राजनीतिक करियर में एक के बाद एक जीत हासिल करनेवाले सोमनाथ चटर्जी जीवन का एक चुनाव पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हार गए थे। 1984 में जादवपुर सीट पर हुए लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने तब माकपा के इस कद्दावर नेता को हराया था। इसके बाद ही उन्होंने अपना लोकसभा क्षेत्र बदल कर बोलपुर चले गए जहा से वह 2009 तक सांसद रहे।

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