कोलकाता मेट्रो हादसा: नए अत्याधुनिक मेट्रो रैक में पहले ही मिली थी खामियां

Kolkata metro accident कोलकाता मेट्रो रेलवे को रैक मिलने के बाद ही उसमें कई तकनीकी समस्याएं देखी गई थी। दरवाजा बंद नहीं होने के बावजूद मोटरमैन ने ट्रेन चला दी थी।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 15 Jul 2019 10:28 AM (IST) Updated:Mon, 15 Jul 2019 10:28 AM (IST)
कोलकाता मेट्रो हादसा: नए अत्याधुनिक मेट्रो रैक में पहले ही मिली थी खामियां
कोलकाता मेट्रो हादसा: नए अत्याधुनिक मेट्रो रैक में पहले ही मिली थी खामियां

कोलकाता, जागरण संवाददाता। मेट्रो के जिस नए अत्याधुनिक एसी रैक के दरवाजे में फंसकर यात्री की दर्दनाक मौत हुई थी वह रैक चेन्नई की इंट्रीगल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) से आया था। कोलकाता मेट्रो रेलवे को रैक मिलने के बाद ही उसमें कई तकनीकी समस्याएं देखी गई थी। करीब 2 वर्ष ट्रायल रन के बाद इसी वर्ष अप्रैल में उक्त नए रैक को चलाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया गया था।

बता दें कि गत शनिवार शाम करीब पौने सात बजे पार्क स्ट्रीट मेट्रो स्टेशन में एसी रैक में चढ़ते वक्त कसबा थाना क्षेत्र के बोसपुकुर इलाका निवासी सजल कांजीलाल (66) का हाथ दरवाजे में फंस गया था। दरवाजा पूरी तरह से बंद नहीं होने के बावजूद मोटरमैन ने ट्रेन चला दी थी। टनल में ट्रेन के पहुंचते ही थर्ड लाइन में गिरकर यात्री की मौत हो गई थी। कोलकाता मेट्रो रेलवे के इतिहास में इसी तरह की पहली घटना के बाद ही यात्री सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए थे।

सूत्रों के अनुसार चेन्नई की आइसीएफ से जुलाई 2017 में नए अत्याधुनिक एसी रैक कोलकाता मेट्रो रेलवे को मिले थे। लेकिन जांच के दौरान पहले ही दिन से नए रैक में कई तकनीकी खामियां सामने आई थी। इसके चलते मेधा रैक का करीब 2 वर्ष तक ट्रायल रन किया गया था। इस दौरान रैक में स्लाइडिंग डोर में सेंसर के काम नहीं करने, थर्ड लाइन के करंट कलेक्टर के ठीक से काम नहीं करने एवं टनल में मुड़ते वक्त ट्रेन के रुक जाने जैसी समस्याएं दिखाई दी थी।

इसके चलते रेलवे बोर्ड भी उक्त रैक को यात्रियों के लिए चलाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने को लेकर संशय में था। आखिर कार अप्रैल 2019 में अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद रैक को यात्रियों के लिए चला दिया गया था। उधर, यांत्रिक खामियों के चलते अन्य तीन नए अत्याधुनिक रैक को आइसीएफ को वापस भेज दिया गया था। सवाल यह उठता है कि कोलकाता पहुंचने के बाद ही नए रैक में कई मर्तबा तकनीकी खामियां मिलने के बाद भी उक्त रैक के संचालन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र कैसे दे दिया गया था?

आज आएंगे कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी, करेंगे जांच

मेट्रो रैक के दरवाजे में फंसकर यात्री की मौत की घटना की जांच मेट्रो रेलवे की उच्चस्तरीय कमेटी के साथ ही कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी भी करेंगे। वह सोमवार को कोलकाता पहुंचकर जांच शुरू करेंगे। उधर, चेन्नई के आइसीएफ से भी विशेषज्ञों और इंजीनियरों की टीम भी नए अत्याधुनिक कोचों की जांच करेगी।

सूत्रों के अनुसार कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी कोलकाता पहुंचने के बाद पार्क स्ट्रीट मेट्रो स्टेशन में घटनास्थल का मुआयना करेंगे। इसके बाद वह नोआपाड़ा कार शेड में खड़े हादसे का सबब बने नए रैक की भी जांच करेंगे। सीआरएस कई अहम बिंदुओं क्या रैक के दरवाजे का सेंसर ने ठीक से काम नहीं किया, दरवाजा ठीक से बंद होने का अलर्ट क्या ठीक मोटरमैन के पास नहीं गया था तथा क्या अलर्ट मिलने के बावजूद मोटरमैन ने उस पर ध्यान नहीं दिया था आदि सवालों के जवाब के लिए मोटरमैन और गार्ड से पूछताछ कर सकते हैं।

इसके अलावा आइसीएफ के विशेषज्ञ और इंजीनियर भी मेधा रैक में त्रुटियों की जांच करेंगे। यह भी पता किया जाएगा की किन खामियों की वजह से उक्त हादसा हुआ था। उधर, मेट्रो रेलवे के जीएम के निर्देश शुरू हुई उच्च स्तरीय जांच में कमेटी ने निलंबित मोटरमैन और गार्ड के साथ ही लोको इंस्पेक्टर के भी बयान रिकार्ड किए। घटना की तह तक पहुंचने के लिए प्लेटफार्म पर लगे सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की जा रही है। इसके अलावा उच्च स्तरीय कमेटी तकनीकी खामियों समेत अन्य बिंदुओं पर भी जांच कर रही है। सीसीटीवी फुटेज की प्राथमिक जांच के बाद यात्री की मौत थर्ड लाइन में गिरने के बाद बिजली की चपेट में आने की वजह से होने का अनुमान लगाया गया है। उधर, पोस्टमार्टम की प्राथमिक रिपोर्ट में भी यात्री की मौत थर्ड लाइन पर गिरने से करंट की चपेट में आकर होने का उल्लेख किया गया है।

कोलकाता मेट्रो रेलवे के खिलाफ 2 एफआइआर दर्ज

मृतक यात्री के परिवार की ओर से मेट्रो रेलवे के खिलाफ लापरवाही की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इसके अलावा कोलकाता पुलिस की ओर से भी मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार मृतक सजल कांजीलाल के परिवार की शिकायत पर शनिवार को शेक्सपियर थाने में मेट्रो रेलवे के खिलाफ 304ए और 34 आइपीसी में रिपोर्ट दर्ज की गई है। साथ ही पुलिस की ओर से भी लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने जांच शुरू करते हुए मेट्रो रेल प्रशासन से घटना वाले दिन पार्क स्ट्रीट स्टेशन में कार्यरत रहे अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची तलब की है। इसके अलावा पुलिस ने तीन नंबर कोच में यात्री का हाथ फंस जाने के बाद दरवाजा पूरी तरह से बंद नहीं होने के बावजूद ट्रेन कैसे चल पड़ी, 60 मीटर दूर टनल के अंदर तक कैसे चली गई, सेंसर ने क्यों काम नहीं किया, दरवाजा किस तरह से बंद होता है, मोटरमैन की क्या भूमिका रहती है आदि सवालों के जवाब भी मेट्रो प्रशासन से मांगे हैं। इसके अलावा यात्री सुरक्षा के लिए तैनात आरपीएफ की भूमिका की भी जांच की जाएगी। पुलिस ने घटना की सच्चाई जानने के लिए सीसीटीवी फुटेज भी मांगा है। मृतक के परिवार से भी बातचीत की जा रही है।

घटना के विरोध में लामबंद हुए नाट्य कर्मी

मेट्रो में यात्री की मौत की घटना में लामबंद हुए नाट्य कर्मियों ने पार्क स्ट्रीट मेट्रो स्टेशन प्रबंधक को ज्ञापन सौंप कर मृतक के परिवार को मुआवजा दिए जाने की मांग की। सूत्रों के अनुसार सजल कांजीलाल की मौत की घटना के विरोध में रविवार सुबह मेट्रो स्टेशन के बाहर एकत्र हुए नाट्य कर्मियों ने स्टेशन में प्रवेश करने का प्रयास किया तो पुलिस ने रोक दिया। काफी हुज्जत के बाद अंदर पहुंचे नाट्य कर्मियों ने स्टेशन प्रबंधक को लोगों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंपा जिसमें मृतक के परिवार को आर्थिक मदद किए जाने, भविष्य में ऐसी घटना नहीं हो उसकी व्यवस्था करने, यात्री सुरक्षा को दुरुस्त करने आदि की मांग की गई।

पीडि़त परिवार को आर्थिक मदद के नाम पर चुप मेट्रो प्रशासन

पार्क स्ट्रीट मेट्रो स्टेशन में यात्री की मौत की घटना के 24 घंटे बीतने के बाद भी पीडि़त परिवार को आर्थिक मदद की घोषणा को लेकर मेट्रो प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। इसको लेकर मेट्रो रेलवे की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार मेट्रो कोच के दरवाजे में फंसकर यात्री सजल कांजीलाल की मौत की घटना के कुछ ही घंटे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता एवं नौकरी देने का एलान कर दिया था। लेकिन घटना के 24 घंटे बीतने के बाद भी मेट्रो रेलवे की ओर से पीडि़त परिवार को आर्थिक मदद दिए जाने को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई। मेट्रो प्रशासन के इस रवैये पर सवाल उठने लगे हैं। जानकारों का मानना है कि यदि मेट्रो रेलवे ने आर्थिक मदद देने की घोषणा कर दी तो यह मान लिया जाएगा की मेट्रो रेलवे ने अपनी लापरवाही मान ली है, इसलिए ही अभी तक इस पर चुप्पी साध रखी है। 

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