कोरोना सतर्कता: कोरोना को हराना है तो बंगाल को त्यागनी होगी अपनी सदियों पुरानी संस्कृति!

कोरोना को हराना है तो बंगाल के लोगों को अपनी सदियों पुरानी संस्कृति का अगले कुछ दिनों तक त्याग करना ही होगा।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Wed, 25 Mar 2020 03:24 PM (IST) Updated:Wed, 25 Mar 2020 03:24 PM (IST)
कोरोना सतर्कता: कोरोना को हराना है तो बंगाल को त्यागनी होगी अपनी सदियों पुरानी संस्कृति!
कोरोना सतर्कता: कोरोना को हराना है तो बंगाल को त्यागनी होगी अपनी सदियों पुरानी संस्कृति!

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। सार्वजनिक स्थानों पर साथ बैठकर गप लड़ाना राज्य के लोगों की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा, प्रबुद्ध जनों ने की फिलहाल इससे परहेज करने की अपील। कोरोना को हराना है तो बंगाल के लोगों को अपनी सदियों पुरानी संस्कृति का अगले कुछ दिनों तक त्याग करना ही होगा।

यह है अड्डा जमाने की प्रवृत्ति यानी फुर्सत के समय साथ बैठकर विभिन्न मुद्दों पर गप लड़ाने की आदत। इसमें कोई दो राय नहीं कि बंगाल के लोग अड्डा जमाने में सबसे आगे रहते हैं, या यूं कहें कि यह उनकी जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है। सुबह-शाम गली-नुक्कड़, चाय-पान की दुकान, मैदान, सैलून और क्लब में लोग देश-दुनिया से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा करते देखे जाते हैं। इनमें नौजवानों से लेकर बुजुर्ग तक सभी शामिल हैं। इस मामले में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं।

कोलकाता का ऐतिहासिक कॉफी हाउस तो अड्डा जमाने की जगह के तौर पर ही जाना जाता है। आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस तक यहां आकर चाय की चुस्कियां लेते हुए विभिन्न मसलों पर चर्चा किया करते थे। लेकिन अभी वक्त की कुछ और ही मांग है। अंग्रेजी में पुरानी कहावत है कि पुरानी आदतें नहीं नहीं मरती, इसलिए बंगाल के लोगों के लिए लॉकडाउन बहुत बड़ा इम्तिहान है।

नेताजी के परपोते चंद्र कुमार बोस ने कहा-अड्डा ज़माना हमारी समृद्ध संस्कृति है, लेकिन कोई संस्कृति भी तो तभी संरक्षित रहेगी, जब मानवता का अस्तित्व रहेगा। मैंने दक्षिण कोलकाता के अपने इलाके में बहुत से लोगों को फिलहाल अड्डा कल्चर से दूर रहने को लेकर समझाया है।

बंगाल की मशहूर फैशन डिजाइनर अग्निमित्रा पाल ने कहा-बंगाल के लोग अपनी बुद्धिमत्ता और संवेदनशीलता के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। यह वक्त इस बात को फिर से साबित करने का है। पूरी दुनिया इस समय गंभीर संकट से गुजर रही है। यह सच है कि अड्डा ज़माना हमारी संस्कृति और जीवनशैली है, लेकिन यह समय इसका त्याग करने का है, समझदारी दिखाने का है। जिम्मेदार नागरिक का फर्ज निभाने का है।

लॉक डाउन के बावजूद जो लोग बाहर घूम रहे हैं, मैं उन लोगों से अपील करूंगी कि यह समय बाहर चाय-पान की दुकान के सामने भीड़ जमाने का नहीं बल्कि घर में परिवार के साथ रहने का है। बंगाल क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सम्बरन बनर्जी ने कहा- अड्डा जमाना बंगाली जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है लेकिन हमें इस वक्त अपनी इस आदत का बलिदान करना ही होगा क्योंकि पूरी मानवता खतरे में है।

हमारे सामने एक ऐसा शत्रु है, जिसे हम अपनी आँखों से देख भी नहीं पा रहे। वह हमारे आसपास कहीं भी हो सकता है। कोलकाता के सरकारी नीलरतन सरकार मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टर द्विपायन बिश्वास ने कहा- कोरोना के चेन सिस्टम को हर हाल में तोड़ना ही पड़ेगा, वरना ये जानलेवा वायरस किसी को नहीं छोड़ेगा।

अमेरिका और इटली जैसे विकसित देश इसकी कीमत चुका रहे हैं। स्वास्थ्य व्यवस्था में हम उनसे काफी पीछे हैं इसलिए इसे तीसरे चरण में जाने से रोकना ही होगा, जिसके लिए अड्डा कल्चर को भूलकर इस समय सामाजिक दूरी सबसे जरुरी है। सबको स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए। 

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